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Maharashtra Politics: शिवसेना (यूबीटी) को झटका, नीलम गोरे सत्तारूढ़ शिवसेना में शामिल हुईं

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Published : Jul 7, 2023, 4:47 PM IST

शिवसेना (यूबीटी) को करारा झटका देते हुए वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र विधान परिषद की उपाध्यक्ष डॉ. नीलम गोरे शुक्रवार को सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना में शामिल हो गईं.

Neelam Gore joins ruling Shiv Sena
नीलम गोरे सत्तारूढ़ शिवसेना में शामिल

मुंबई: मुंबई शिवसेना के विभाजन के बाद राज्य में शिंदे-फड़णवीस की सरकार बनी. शिंदे गुट को शिवसेना पार्टी और सिंबल मिलने के बाद अब ठाकरे गुट के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता शिंदे गुट की शिवसेना पार्टी में शामिल हो रहे हैं. पिछले महीने विधान परिषद विधायक मनीषा कायंदे पार्टी में शामिल हुई थीं और अब विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरे, जो कि ठाकरे की काफी करीबी मानी जाती रही हैं, शिंदे गुट में शामिल हो गईं हैं.

तीन दशकों से अधिक समय तक शिवसेना (यूबीटी) के साथ रहे डॉ. गोरे का निर्णय पार्टी की प्रवक्ता डॉ. मनीषा कायंदे के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल होने के बमुश्किल तीन सप्ताह बाद आया. शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने डॉ. गोरे का शिवसेना में स्वागत किया. शिवसेना में प्रवेश पर उन्होंने कहा कि शिंदे सही रास्ते पर हैं और अदालत के फैसले के मुताबिक पार्टी उनकी है. राजनीतिक गलियारों में पिछले पांच महीनों से डॉ. गोरे के राजनीतिक कदमों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था. हालांकि, विपक्ष के नेता अंबादास दानवे सहित शिवसेना (यूबीटी) के शीर्ष नेताओं ने ऐसी किसी भी संभावना से इनकार किया था.

डिप्टी स्पीकर नीलम गोरे के शिंदे गुट में शामिल होने की चर्चा एक साल पहले शुरू हुई थी. शिंदे फड़णवीस सरकार के पहले विधानमंडल सत्र के दौरान सत्ता पक्ष ने आदित्य ठाकरे पर निशाना साधा. उस वक्त ठाकरे गुट के कई विधायकों ने पार्टी और उद्धव ठाकरे से शिकायत की थी कि नीलम गोरे उन्हें सदन में बोलने नहीं दे रही हैं. इसके बाद यह जानकारी सामने आई कि उद्धव ठाकरे ने गोरे को कठोर शब्द कहे थे. इसके बाद यह भी चर्चा होने लगी कि नीलम गोरे परेशान हैं. उपसभापति रहते हुए उन्हें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ कई कार्यक्रमों में देखा गया था.

महाराष्ट्र विधानमंडल के 55 साल बाद एक महिला नीलम गोरे विधान परिषद की उपाध्यक्ष बनीं. वह 2004 से विधान परिषद के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं. 2019 से वह विधान परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं. शिव सेना पार्टी के एक वफादार नेता ने शिव सेना पार्टी के प्रवक्ता के रूप में जिम्मेदारी संभाली है. एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद, नीलम गोरे ने ठाकरे समूह को मजबूती से पकड़ लिया. विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि नीलम ताई पार्टी के प्रति वफादार हैं, मुझे नहीं लगता कि वह ऐसा सोचेंगी.

विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरे के शिंदे गुट में चले जाने से विधान परिषद में शिंदे गुट के विधायकों की संख्या तीन हो जाएगी. आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि ठाकरे गुट के कौन से विधायक शिंदे के पीछे जाते हैं.

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तीन दशकों से अधिक समय तक शिवसेना (यूबीटी) के साथ रहे डॉ. गोरे का निर्णय पार्टी की प्रवक्ता डॉ. मनीषा कायंदे के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल होने के बमुश्किल तीन सप्ताह बाद आया. शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने डॉ. गोरे का शिवसेना में स्वागत किया. शिवसेना में प्रवेश पर उन्होंने कहा कि शिंदे सही रास्ते पर हैं और अदालत के फैसले के मुताबिक पार्टी उनकी है. राजनीतिक गलियारों में पिछले पांच महीनों से डॉ. गोरे के राजनीतिक कदमों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था. हालांकि, विपक्ष के नेता अंबादास दानवे सहित शिवसेना (यूबीटी) के शीर्ष नेताओं ने ऐसी किसी भी संभावना से इनकार किया था.

डिप्टी स्पीकर नीलम गोरे के शिंदे गुट में शामिल होने की चर्चा एक साल पहले शुरू हुई थी. शिंदे फड़णवीस सरकार के पहले विधानमंडल सत्र के दौरान सत्ता पक्ष ने आदित्य ठाकरे पर निशाना साधा. उस वक्त ठाकरे गुट के कई विधायकों ने पार्टी और उद्धव ठाकरे से शिकायत की थी कि नीलम गोरे उन्हें सदन में बोलने नहीं दे रही हैं. इसके बाद यह जानकारी सामने आई कि उद्धव ठाकरे ने गोरे को कठोर शब्द कहे थे. इसके बाद यह भी चर्चा होने लगी कि नीलम गोरे परेशान हैं. उपसभापति रहते हुए उन्हें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ कई कार्यक्रमों में देखा गया था.

महाराष्ट्र विधानमंडल के 55 साल बाद एक महिला नीलम गोरे विधान परिषद की उपाध्यक्ष बनीं. वह 2004 से विधान परिषद के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं. 2019 से वह विधान परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं. शिव सेना पार्टी के एक वफादार नेता ने शिव सेना पार्टी के प्रवक्ता के रूप में जिम्मेदारी संभाली है. एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद, नीलम गोरे ने ठाकरे समूह को मजबूती से पकड़ लिया. विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि नीलम ताई पार्टी के प्रति वफादार हैं, मुझे नहीं लगता कि वह ऐसा सोचेंगी.

विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरे के शिंदे गुट में चले जाने से विधान परिषद में शिंदे गुट के विधायकों की संख्या तीन हो जाएगी. आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि ठाकरे गुट के कौन से विधायक शिंदे के पीछे जाते हैं.

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