नई दिल्ली : प्रधानमंत्री के काफिले में मर्सिडीज मेबैक S650 गार्ड एंट्री पर सरकारी अधिकारियों ने आपत्ति जताई है. सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि प्रधानमंत्री के काफिले में शामिल मर्सिडीज मेबैक S650 गार्ड की कीमत मीडिया में जितनी लगाई गई है, वह उससे काफी कम है. उनका दावा है कि इसकी कीमत 12 करोड़ रुपये की एक तिहाई यानी 4 करोड़ है. अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि बीएमडब्ल्यू ने कार का उस मॉडल को बनाना बंद कर दिया था, जिस पर प्रधानमंत्री चलते थे. इसलिए उनके बेड़े में नई कार को शामिल किया गया. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, एसपीसी सुरक्षा की दृष्टि से नियम के अनुसार काफिले में चलाई गई गाड़ी को छह साल में बदल देता है, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीएमडब्ल्यू का इस्तेमाल 8 वर्षों तक किया.
अधिकारी ने बताया एसपीसी किसी के सुरक्षा में बदलाव को लेकर खरीदारी उससे पूछकर नहीं करती है, जिसकी सुरक्षा में वह तैनात है. ऐसे निर्णय एसपीजी की ओर से स्वतंत्र रूप से लिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर ऐसी खरीद के डिटेल सार्वजनिक नहीं किए जा सकते हैं. पब्लिक डोमेन में इसकी व्यापक चर्चा राष्ट्रहित में नहीं हैं. इससे सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति के जीवन को खतरा हो सकता है. अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि पीएम मोदी ने कभी कारों के बारे में नहीं पूछा हैं.
बता दें कि पिछले दिनों मीडिया में यह खबर छपी थी कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) ने प्रधानमंत्री की गाड़ी को रेंज रोवर वोग और टोयोटा लैंड क्रूजर से अपग्रेड किया है. एसपीजी ने पीएम मोदी की सुरक्षा के लिए हाईटेक फीचर्स से लैस मर्सिडीज मेबैक S650 गार्ड को काफिले में शामिल किया गया है. इस बुलेटप्रूफ कार खासियत यह है कि इस पर AK-47 की गोलियों और बम के धमाके का भी असर नहीं होता है. पिछले दिनों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान PM मोदी को इस कार में देखा गया था.
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