सिलीगुड़ी : 10 साल से लापता मानसिक रूप से विक्षिप्त युवती को उसके घरवालों से मिलाने में सफलता मिली है. युवती 10 साल पहले डूआर्स के चाय बागान से गायब हो गई थी. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की पहल की बदौलत मीना मिर्दा अपने प्रियजनों के पास वापस आ सकीं. बड़ी बहन मनु मिर्दा अपनी बहन को वापस पाकर खुश हैं. उन्होंने इसके लिए अस्पताल प्रशासन का आभार जताया है (Siliguri woman returns home after 10 years).
पता चला है कि मेटेली प्रखंड के किलकोट चाय बागान की रहने वाली मीना मिर्दा (27) जन्म से ही मानसिक रूप से अस्वस्थ थीं. कभी-कभी वह एक-दो दिन के लिए गायब हो जातीं और फिर अपने आप वापस आ जातीं थीं. हालांकि, करीब 10 साल पहले वह अचानक गायब हो गईं. परिजनों ने अलग-अलग जगहों पर तलाश की लेकिन उनका पता नहीं चला. बाद में परिवार ने आर्थिक तंगी के कारण उनकी तलाश छोड़ दी.
परिवार ने उसके दोबारा मिलने की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन, अस्पताल में भर्ती महिला को मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने घर पहुंचाने की पहल की. उसके बाद प्राधिकरण ने अस्पताल में उपचाराधीन लोगों की फोटो समाजसेवियों और पुलिस प्रशासन को भेजी. इस तरह एक दशक बाद स्वास्थ्य अधिकारियों की मदद से मीना मिर्दा की घर वापसी संभव हो पाई.
मानसिक रूप से विक्षिप्त युवती को 30 नवंबर को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. उसके सिर पर चोट के निशान थे. अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था. वह अपना नाम और पता कुछ नहीं बता सकी. अंत में मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने सिलीगुड़ी लीगल एड फोरम की मदद मांगी.
मंच के अध्यक्ष अमित सरकार और हासीमारा समाजसेवी शुक्ला देबनाथ की बदौलत 24 घंटे के भीतर महिला के परिवार का पता लगा लिया गया. मीना को शुक्रवार को उसके परिजनों को सौंप दिया गया. इस दौरान मेडिकल कॉलेज के डीन संदीप सेनगुप्ता, सहायक सुपर गौतम दास, अनिमेष बर्मन, देव कुमार प्रधान, बंग रत्न भारती घोष व लीगल एड फोरम के अध्यक्ष अमित सरकार सहित अन्य मौजूद रहे. संदीप सेनगुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया, 'हम किसी की इस तरह घर वापसी से वास्तव में खुश हैं.'
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