नई दिल्ली: मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति (COCOMI) ने गुरुवार को केंद्र सरकार से उग्रवादी समूहों के साथ सभी बातचीत निलंबित करने की अपील की. बता दें कि वर्तमान में सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) के तहत भारत सरकार और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) के 25 कुकी और ज़ो उग्रवादी समूहों के छात्र संगठनों के बीच राजनीतिक वार्ता चल रही है.
इस बारे में सीओसीओएमआई के मीडिया समन्वयक सोमोरेंड्रो थोकचोम ने कहा कि भारत सरकार और कुकी एसओओ उग्रवादी, जिनके नेता ज्यादातर म्यांमार के नागरिक हैं, के बीच वर्तमान में चल रही बातचीत पूरी तरह से अवैध है. उन्होंने जेडआरए अध्यक्ष थंग्लियानपाओ गुइटे और केएनओ अध्यक्ष पीएस हाओकिप के बीच बातचीत की निंदा की. उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति के बीच प्रस्तावित वार्ता उन मूल नागरिकों के बीच एक और तनाव पैदा करेगी जो पहले ही विस्थापित हो चुके हैं और उनके घर जला दिए गए हैं और यहां तक कि उन्हें अपने घरों की देखभाल करने की भी अनुमति नहीं दी जा रही है.
उन्होंने आरोप लगाया कि हिंसा प्रभावित स्थानों पर बफर जोन मैतेई आबादी वाले इलाकों में ही बनाए गए हैं, जहां केंद्रीय सुरक्षाकर्मी (विशेषकर असम राइफल्स) बफर जोन के नाम पर उन्हें अपने घरों में जाने की इजाजत नहीं दे रहे हैं. इस बीच, कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) का एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर में कुकी की प्रस्तावित राजनीतिक पहचान पर नई दिल्ली में मणिपुर के लिए केंद्र के वार्ताकार एके मिश्रा के साथ चर्चा कर रहा है.सरकार के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि बैठक का एजेंडा मुख्य रूप से मणिपुर के कुकी-ज़ोमी-हमार-मिज़ो समुदाय के लिए एक अलग इकाई पर केंद्रित है. बैठक के साथ, मणिपुर-उनाओ आदिवासी महिला मंच-दिल्ली और एनसीआर के एक आदिवासी निकाय ने मणिपुर में कुकी के लिए एक अलग प्रशासन की मांग करते हुए राष्ट्रीय राजधानी में एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. मंच ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर मौजूदा संघर्ष में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की भी मांग की है.
इस संबंध में मंच सदस्य एमेलिन हमार ने कहा कि हमारे लिए एक अलग प्रशासन ही स्थायी समाधान ला सकता है. साथ ही, हम मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे की भी मांग करते हैं.मंच ने मणिपुर में अल्पसंख्यक कुकी-ज़ोमी-हमार-मिज़ो आदिवासियों के खिलाफ हिंसा, महिलाओं के खिलाफ अपराध, पीड़ितों के लिए न्याय और अलग प्रशासन की स्थापना को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन भी सौंपा है.
मंच ने आरोप लगाया है कि मणिपुर सरकार आदिवासी बहुल इलाकों में टारगेट तलाशी अभियान भी शुरू कर रही है. मंच ने आरोप लगाया है कि 197 से अधिक आदिवासी गांव जला दिए गए, 7000 घर जला दिए गए, 117 आदिवासी लोगों की मौत हो गयी.
इस बीच, मणिपुर के कुकी-ज़ो समुदाय के 10 मौजूदा विधायकों ने भी प्रधान मंत्री मोदी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें पांच पहाड़ी जिलों चुराचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, तेंगनौपाल के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी या इसके समकक्ष पद के निर्माण की अपील की गई. बता दें कि हाओखोलेट किपगेन, किम्नेओ हाओकिप हैंगशिंग, एलएम खाउते, नगुर्सांगलुर सनाटे, लेटपाओ हाओकिप, लेटजमांग हाओकिप, चिनलुनथांग, नेमचा किपगेन, पाओलिएनलाल हाओकिप और वुंगजागिन वाल्टे सहित विधायकों ने हाल ही में कुकी के लिए एक अलग प्रशासन के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से अपील की थी.
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