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अवैध कोयला खनन व कोक उद्योगों में तस्करी पर मेघालय हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार

अवैध कोयला खनन और कोक उद्योग में तस्करी को लेकर मेघालय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को खरी-खरी सुनाई है. मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की है.

Meghalaya High Court
मेघालय हाई कोर्ट
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Published : Jun 29, 2023, 7:08 PM IST

गुवाहाटी: अवैध कोयला खनन और कोक उद्योग में तस्करी को लेकर मेघालय उच्च न्यायालय ने मेघालय सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. मेघालय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा अवैध कोयला खनन और अवैध कोक उद्योगों को कोयले की आपूर्ति के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त की है. मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एचएस थांगख्यू और न्यायमूर्ति डब्लू डिएंग्डो शामिल थे, उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी टिप्पणियां व्यक्त कीं.

उन्होंने कहा कि लगातार इन मुद्दों को किनारे रखकर कुछ अच्छा होने की उम्मीद देना राज्य सरकार की आदत बन गई है. लेकिन जब ऐसी अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने की बात आती है, तो कार्रवाई बहुत कम होती दिखती है. पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस दृष्टिकोण पर नाराजगी व्यक्त की. याचिकाकर्ता ने मेघालय पुलिस पर विशेष रूप से शालंग में पुलिस अधिकारियों पर अवैध कोक उद्योगों के लिए तस्करी के कोयले के अवैध परिवहन को सुविधाजनक बनाने में मदद करने का आरोप लगाया.

याचिकाकर्ता ने इन अवैध गतिविधियों के पीछे वाले व्यक्ति की पहचान जानने की मांग की थी, हालांकि मेघालय सरकार ने अदालत से अपील की थी कि उसे इस मामले पर रोक लगा देनी चाहिए, क्योंकि कोयले के अवैध परिवहन से संबंधित एक और मामला है. मामले में पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने इस मुद्दे से बचने के लिए एक सामरिक मॉडल अपनाया है.

इसी तरह के एक अन्य मामले में, अदालत ने हाल ही में रोकथाम पर राज्य सरकार के उदार रुख पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी. ऐसा कहा गया था कि यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार का माफिया और कोयले के अवैध खनन और उसके अवैध परिवहन रैकेट के साथ सहयोग है.

गुवाहाटी: अवैध कोयला खनन और कोक उद्योग में तस्करी को लेकर मेघालय उच्च न्यायालय ने मेघालय सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. मेघालय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा अवैध कोयला खनन और अवैध कोक उद्योगों को कोयले की आपूर्ति के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त की है. मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एचएस थांगख्यू और न्यायमूर्ति डब्लू डिएंग्डो शामिल थे, उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी टिप्पणियां व्यक्त कीं.

उन्होंने कहा कि लगातार इन मुद्दों को किनारे रखकर कुछ अच्छा होने की उम्मीद देना राज्य सरकार की आदत बन गई है. लेकिन जब ऐसी अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने की बात आती है, तो कार्रवाई बहुत कम होती दिखती है. पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस दृष्टिकोण पर नाराजगी व्यक्त की. याचिकाकर्ता ने मेघालय पुलिस पर विशेष रूप से शालंग में पुलिस अधिकारियों पर अवैध कोक उद्योगों के लिए तस्करी के कोयले के अवैध परिवहन को सुविधाजनक बनाने में मदद करने का आरोप लगाया.

याचिकाकर्ता ने इन अवैध गतिविधियों के पीछे वाले व्यक्ति की पहचान जानने की मांग की थी, हालांकि मेघालय सरकार ने अदालत से अपील की थी कि उसे इस मामले पर रोक लगा देनी चाहिए, क्योंकि कोयले के अवैध परिवहन से संबंधित एक और मामला है. मामले में पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने इस मुद्दे से बचने के लिए एक सामरिक मॉडल अपनाया है.

इसी तरह के एक अन्य मामले में, अदालत ने हाल ही में रोकथाम पर राज्य सरकार के उदार रुख पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी. ऐसा कहा गया था कि यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार का माफिया और कोयले के अवैध खनन और उसके अवैध परिवहन रैकेट के साथ सहयोग है.

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