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दिल्ली में SYL मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बैठक में नहीं बनी सहमति, जानें क्या है पूरा मामला - Construction of SYL Canal in Punjab

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में राजधानी दिल्ली में एसवाईएल के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई. इस बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई है. वहीं, बैठक के बाद सीएम मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी स्वीकार नहीं कर रही है. सीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कह है कि एसवाईएल का निर्माण होना चाहिए, जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री और अधिकारी इसको लेकर तैयार नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि एसवाईएल पर हरियाणा वासियों का हक है. (Meeting in Delhi regarding SYL)

Meeting in Delhi regarding SYL
SYL मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बैठक में नहीं बनी सहमति
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Published : Jan 4, 2023, 8:32 PM IST

Updated : Jan 4, 2023, 9:20 PM IST

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल .

चंडीगढ़: सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ दिल्ली में मीटिंग की. बैठक के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि इस बैठक में कोई सहमति नहीं बनी है. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि एसवाईएल का निर्माण होना चाहिए, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री और अधिकारी इस विषय को एजेंडे पर ही लाने को तैयार नहीं है. वे पानी नहीं होने की बात कह रहे हैं और पानी के बंटवारे पर बात करने को कह रहे हैं, जबकि पानी बंटवारे के लिए अलग से ट्रिब्यूनल बनाया गया है.

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि ट्रिब्यूनल के हिसाब से जो सिफारिश होगी उस हिसाब से पानी बांट लेंगे. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी स्वीकार नहीं कर रही है जिसमें 2004 में पंजाब सरकार द्वारा लाए गए एक्ट को निरस्त कर दिया गया है. पंजाब के मुख्यमंत्री का कहना है कि 2004 का एक्ट अभी भी मौजूद है जो कि पूरी तरह से असंवैधानिक है. मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल नहर बननी चाहिए और वो इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाएंगे. सुप्रीम कोर्ट को बताया जाएगा की पंजाब एसवाईएल नहर के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट जो निर्णय देगा वो हमें स्वीकार होगा. (Meeting in Delhi on Satluj Yamuna Link Canal issue) (CM Manohar lal in SYL meeting )

Meeting in Delhi on Satluj Yamuna Link Canal issue
केंद्रीय मंत्री के साथ हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट किया कि एसवाईएल हरियाणा वासियों का हक है और उन्हें पूरी आशा है की उन्हें उनका यह हक जरूर मिलेगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा के लिए एसवाईएल का पानी अत्यंत आवश्यक है. अब इस मामले में एक टाइम लाइन तय होना जरूरी है, ताकि प्रदेश के किसानों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके. बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के दो फैसलों के बावजूद पंजाब ने एसवाईएल का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है. (Construction of SYL Canal in Haryana)

सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को लागू करने की बजाए पंजाब ने वर्ष 2004 में समझौते निरस्तीकरण अधिनियम बनाकर इनके क्रियान्वयन में रोड़ा अटकाने का प्रयास किया. पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के प्रावधान के अंतर्गत भारत सरकार के आदेश दिनांक 24 मार्च, 1976 के अनुसार हरियाणा को रावी-ब्यास के फालतू पानी में से 3.5 एमएएफ जल का आवंटन किया गया था. एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न होने की वजह से हरियाणा केवल 1.62 एमएएफ पानी का इस्तेमाल कर रहा है. पंजाब अपने क्षेत्र में एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न करके हरियाणा के हिस्से के लगभग 1.9 एमएएफ जल का गैर-कानूनी ढंग से उपयोग कर रहा है. (Meeting in Delhi regarding SYL) (Construction of SYL Canal in Punjab)

cm manohar lal meet union minister
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ सीएम मनोहर लाल.
पंजाब के इस रवैये के कारण हरियाणा अपने हिस्से का 1.88 एम.ए.एफ. पानी नहीं ले पा रहा है. पंजाब और राजस्थान हर वर्ष हरियाणा के लगभग 2600 क्यूसिक पानी का प्रयोग कर रहे हैं. यदि यह पानी हरियाणा में आता तो 10.08 लाख एकड़ भूमि सिंचित होती, प्रदेश की प्यास बुझती और लाखों किसानों को इसका लाभ मिलता. इस पानी के न मिलने से दक्षिणी-हरियाणा में भूजल स्तर भी काफी नीचे जा रहा है.

एसवाईएल के न बनने से हरियाणा के किसान महंगे डीजल का प्रयोग करके और बिजली से नलकूप चलाकर सिंचाई करते हैं, जिससे उन्हें हर वर्ष 100 करोड़ रुपये से लेकर 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ता है. पंजाब क्षेत्र में एसवाईएल के न बनने से हरियाणा में 10 लाख एकड़ क्षेत्र को सिंचित करने के लिए सृजित सिंचाई क्षमता बेकार पड़ी है. हरियाणा को हर वर्ष 42 लाख टन खाद्यान्नों की भी हानि उठानी पड़ती है. यदि 1981 के समझौते के अनुसार 1983 में एसवाईएल बन जाती, तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्नों व दूसरे अनाजों का उत्पादन करता. 15 हजार प्रति टन की दर से इस कृषि पैदावार का कुल मूल्य 19,500 करोड़ रुपये बनता है. (what is Satluj Yamuna Link Canal issue)

ये भी पढ़ें: महिला कोच से छेड़छाड़ मामला: पीड़ित और आरोपी खेल मंत्री का कराया गया आमना-सामना

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल .

चंडीगढ़: सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ दिल्ली में मीटिंग की. बैठक के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि इस बैठक में कोई सहमति नहीं बनी है. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि एसवाईएल का निर्माण होना चाहिए, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री और अधिकारी इस विषय को एजेंडे पर ही लाने को तैयार नहीं है. वे पानी नहीं होने की बात कह रहे हैं और पानी के बंटवारे पर बात करने को कह रहे हैं, जबकि पानी बंटवारे के लिए अलग से ट्रिब्यूनल बनाया गया है.

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि ट्रिब्यूनल के हिसाब से जो सिफारिश होगी उस हिसाब से पानी बांट लेंगे. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी स्वीकार नहीं कर रही है जिसमें 2004 में पंजाब सरकार द्वारा लाए गए एक्ट को निरस्त कर दिया गया है. पंजाब के मुख्यमंत्री का कहना है कि 2004 का एक्ट अभी भी मौजूद है जो कि पूरी तरह से असंवैधानिक है. मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल नहर बननी चाहिए और वो इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाएंगे. सुप्रीम कोर्ट को बताया जाएगा की पंजाब एसवाईएल नहर के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट जो निर्णय देगा वो हमें स्वीकार होगा. (Meeting in Delhi on Satluj Yamuna Link Canal issue) (CM Manohar lal in SYL meeting )

Meeting in Delhi on Satluj Yamuna Link Canal issue
केंद्रीय मंत्री के साथ हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट किया कि एसवाईएल हरियाणा वासियों का हक है और उन्हें पूरी आशा है की उन्हें उनका यह हक जरूर मिलेगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा के लिए एसवाईएल का पानी अत्यंत आवश्यक है. अब इस मामले में एक टाइम लाइन तय होना जरूरी है, ताकि प्रदेश के किसानों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके. बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के दो फैसलों के बावजूद पंजाब ने एसवाईएल का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है. (Construction of SYL Canal in Haryana)

सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को लागू करने की बजाए पंजाब ने वर्ष 2004 में समझौते निरस्तीकरण अधिनियम बनाकर इनके क्रियान्वयन में रोड़ा अटकाने का प्रयास किया. पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के प्रावधान के अंतर्गत भारत सरकार के आदेश दिनांक 24 मार्च, 1976 के अनुसार हरियाणा को रावी-ब्यास के फालतू पानी में से 3.5 एमएएफ जल का आवंटन किया गया था. एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न होने की वजह से हरियाणा केवल 1.62 एमएएफ पानी का इस्तेमाल कर रहा है. पंजाब अपने क्षेत्र में एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न करके हरियाणा के हिस्से के लगभग 1.9 एमएएफ जल का गैर-कानूनी ढंग से उपयोग कर रहा है. (Meeting in Delhi regarding SYL) (Construction of SYL Canal in Punjab)

cm manohar lal meet union minister
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ सीएम मनोहर लाल.
पंजाब के इस रवैये के कारण हरियाणा अपने हिस्से का 1.88 एम.ए.एफ. पानी नहीं ले पा रहा है. पंजाब और राजस्थान हर वर्ष हरियाणा के लगभग 2600 क्यूसिक पानी का प्रयोग कर रहे हैं. यदि यह पानी हरियाणा में आता तो 10.08 लाख एकड़ भूमि सिंचित होती, प्रदेश की प्यास बुझती और लाखों किसानों को इसका लाभ मिलता. इस पानी के न मिलने से दक्षिणी-हरियाणा में भूजल स्तर भी काफी नीचे जा रहा है.

एसवाईएल के न बनने से हरियाणा के किसान महंगे डीजल का प्रयोग करके और बिजली से नलकूप चलाकर सिंचाई करते हैं, जिससे उन्हें हर वर्ष 100 करोड़ रुपये से लेकर 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ता है. पंजाब क्षेत्र में एसवाईएल के न बनने से हरियाणा में 10 लाख एकड़ क्षेत्र को सिंचित करने के लिए सृजित सिंचाई क्षमता बेकार पड़ी है. हरियाणा को हर वर्ष 42 लाख टन खाद्यान्नों की भी हानि उठानी पड़ती है. यदि 1981 के समझौते के अनुसार 1983 में एसवाईएल बन जाती, तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्नों व दूसरे अनाजों का उत्पादन करता. 15 हजार प्रति टन की दर से इस कृषि पैदावार का कुल मूल्य 19,500 करोड़ रुपये बनता है. (what is Satluj Yamuna Link Canal issue)

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Last Updated : Jan 4, 2023, 9:20 PM IST
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