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मिलिए, एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन को सजाने वाले बागवानों से

कश्मीर में ट्यूलिप गार्डेन आम लोगों के लिए साल में सिर्फ एक बार ही खोला जाता है. ऐसे में यहां का नजारा पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं होता. कश्मीर में बर्फबारी के बाद गार्डन में फूल खिलने को बसंत की शुरुआत माना जाता है. कश्मीर के लोगों के लिए वसंत ही स्वर्ग है, लेकिन इस स्वर्ग को बनाने के लिए जिन कारीगरों ने कड़ी मेहनत की है, जानिए वे क्या सोचते हैं...

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Published : Mar 27, 2021, 8:59 AM IST

Updated : Mar 27, 2021, 1:02 PM IST

tulip
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श्रीनगर : कश्मीर में एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन गुरुवार को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. पहले ही दिन यहां पर भारी संख्या में पर्यटक नजर आए. टूयूलिप गार्डेन में इस वर्ष अलग-अलग-अलग प्रकार के लगभग 15 लाख टूयूलिप के फूल लगाए गए हैं.

यहां के खूबसूरत ट्यूलिप फूलों की देखभाल यहां के माली करते हैं. वे यहां पर कतार में हमेशा पीछे ही खड़े दिखाई पड़ते हैं, यहां तक की सरकारी रिकॉर्ड में भी उनके नामों को दर्ज नहीं किया जाता. ईटीवी भारत ने 'फ्लोरीकल्चर विभाग' के उन कार्यकर्ताओं से बात की, जो ट्यूलिप गार्डन को खूबसूरत बनाने के लिए 11 महीनों तक कड़ी मेहनत करते हैं. यह इनकी कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि जब गार्डन को देखने पर्यटक आते हैं तो उनके मन में खुशी की लहर दौड़ जाती है और चेहरे पर मुस्कान बिखर जाती है.

एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन, देखिए

पढ़ें : जम्मू-कश्मीर प्रशासन में पारदर्शिता आई, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा : उप राज्यपाल

यहां के एक माली मोहम्मद शफी ने कहा कि इस ट्यूलिप गार्डेन में हॉलैंड से निर्यात किए ट्यूलिप पौधों और फूलों को तैयार करने में 11 महीने लगे. इन 11 महीनों में कम से कम 150 माली कड़ी मेहनत करते हैं, जो गार्डेन में लगभग 15 लाख ट्यूलिप को लगाते हैं और मार्च महीने के अंत तक यह पूरी तरह से गार्डेन आम पर्यटको के लिए तैयार हो जाता है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में कड़ी सर्दी के दौरान जब ट्यूलिप के बगीचों में चारों ओर बर्फबारी होती है, तो उन्हें ट्यूलिप लगाने के लिए पहले बर्फ को साफ करना पड़ता है फिर वह इन पौधों को लगा पाते हैं.

मोहम्द शफी ने कहा कि हमें बगीचे तैयार करने में ग्यारह महीने लगते हैं और हम नवंबर महीने से ट्यूलिप के लिए बगीचे में काम शुरू कर देते हैं. कड़ी ठंड के मौसम में बर्फबारी के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. गार्डेन में काम करने वाले अन्य कर्मचारी फैयाज अहमद ने कहा कि उन्हें क्यारियां बनाने के लिए तीन फीट से ज्यादा बर्फ साफ करनी पड़ती है, जहां वे ट्यूलिप के पौधे लगा सके.

पढ़ें : श्रीनगर से पहली नाइट फ्लाइट का संचालन कर गोएयर ने रचा इतिहास

वर्तमान में, 25 प्रतिशत ट्यूलिप पूरी तरह से खिल गए हैं और अधिकारियों ने बताया कि अगले सप्ताह तक मौसम गर्म हो जाएगा और बगीचे में सभी ट्यूलिप खिल जाऐंगे. पर्यटन विभाग ने घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अगले अप्रैल माह के पहले सप्ताह में ट्यूलिप उत्सव की योजना बनाई है.

पिछले साल कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण यह गार्डेन बंद था. अब इस गार्डन को दो साल बाद खोला गया है. इस बीच पीएम मोदी ने भी लोगों से यहां आने के लिए आग किया है. उन्होने कहा, 'जब भी आपको अवसर मिले, जम्मू-कश्मीर की यात्रा करें और सुंदर ट्यूलिप गार्डन का दर्शन करें.'

श्रीनगर : कश्मीर में एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन गुरुवार को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. पहले ही दिन यहां पर भारी संख्या में पर्यटक नजर आए. टूयूलिप गार्डेन में इस वर्ष अलग-अलग-अलग प्रकार के लगभग 15 लाख टूयूलिप के फूल लगाए गए हैं.

यहां के खूबसूरत ट्यूलिप फूलों की देखभाल यहां के माली करते हैं. वे यहां पर कतार में हमेशा पीछे ही खड़े दिखाई पड़ते हैं, यहां तक की सरकारी रिकॉर्ड में भी उनके नामों को दर्ज नहीं किया जाता. ईटीवी भारत ने 'फ्लोरीकल्चर विभाग' के उन कार्यकर्ताओं से बात की, जो ट्यूलिप गार्डन को खूबसूरत बनाने के लिए 11 महीनों तक कड़ी मेहनत करते हैं. यह इनकी कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि जब गार्डन को देखने पर्यटक आते हैं तो उनके मन में खुशी की लहर दौड़ जाती है और चेहरे पर मुस्कान बिखर जाती है.

एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन, देखिए

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यहां के एक माली मोहम्मद शफी ने कहा कि इस ट्यूलिप गार्डेन में हॉलैंड से निर्यात किए ट्यूलिप पौधों और फूलों को तैयार करने में 11 महीने लगे. इन 11 महीनों में कम से कम 150 माली कड़ी मेहनत करते हैं, जो गार्डेन में लगभग 15 लाख ट्यूलिप को लगाते हैं और मार्च महीने के अंत तक यह पूरी तरह से गार्डेन आम पर्यटको के लिए तैयार हो जाता है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में कड़ी सर्दी के दौरान जब ट्यूलिप के बगीचों में चारों ओर बर्फबारी होती है, तो उन्हें ट्यूलिप लगाने के लिए पहले बर्फ को साफ करना पड़ता है फिर वह इन पौधों को लगा पाते हैं.

मोहम्द शफी ने कहा कि हमें बगीचे तैयार करने में ग्यारह महीने लगते हैं और हम नवंबर महीने से ट्यूलिप के लिए बगीचे में काम शुरू कर देते हैं. कड़ी ठंड के मौसम में बर्फबारी के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. गार्डेन में काम करने वाले अन्य कर्मचारी फैयाज अहमद ने कहा कि उन्हें क्यारियां बनाने के लिए तीन फीट से ज्यादा बर्फ साफ करनी पड़ती है, जहां वे ट्यूलिप के पौधे लगा सके.

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वर्तमान में, 25 प्रतिशत ट्यूलिप पूरी तरह से खिल गए हैं और अधिकारियों ने बताया कि अगले सप्ताह तक मौसम गर्म हो जाएगा और बगीचे में सभी ट्यूलिप खिल जाऐंगे. पर्यटन विभाग ने घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अगले अप्रैल माह के पहले सप्ताह में ट्यूलिप उत्सव की योजना बनाई है.

पिछले साल कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण यह गार्डेन बंद था. अब इस गार्डन को दो साल बाद खोला गया है. इस बीच पीएम मोदी ने भी लोगों से यहां आने के लिए आग किया है. उन्होने कहा, 'जब भी आपको अवसर मिले, जम्मू-कश्मीर की यात्रा करें और सुंदर ट्यूलिप गार्डन का दर्शन करें.'

Last Updated : Mar 27, 2021, 1:02 PM IST
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