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लोक सेवकों द्वारा दायर संपत्ति विवरण की सत्यता की जांच के लिए तंत्र स्थापित किया जाए : संसदीय समिति

संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि लोक प्रशासन में भ्रष्टाचार के व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए समिति केंद्र सरकार से सिफारिश करती है कि लोक सेवकों द्वारा वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न जमा नहीं करने के मुद्दे की विस्तार से जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया जाए.

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Published : Mar 31, 2023, 12:46 PM IST

Etv Bharat parliamentary committee
Etv Bharat संसदीय समिति

नई दिल्ली: बड़ी संख्या में आईएएस अधिकारियों द्वारा वार्षिक अचल संपत्ति का ब्योरा दाखिल नहीं करने का उल्लेख करते हुए एक संसदीय समिति ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से कहा है कि वह इस पर गौर करने के लिए एक समिति बनाए और नौकरशाहों द्वारा दाखिल संपत्ति के ब्योरे की सत्यता की जांच के लिए एक तंत्र भी स्थापित करे. कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय पर विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समिति की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1,393 अधिकारियों ने 2011 से 2022 की अवधि में अपनी संपत्ति का ब्योरा दाखिल नहीं किया.

हाल ही में संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है, 'लोक प्रशासन में भ्रष्टाचार के व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए समिति केंद्र सरकार से सिफारिश करती है कि लोक सेवकों द्वारा वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न जमा नहीं करने के मुद्दे की विस्तार से जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया जाए.' समिति ने कहा कि डीओपीटी को लोक सेवकों द्वारा दाखिल संपत्ति के ब्योरे की सत्यता की जांच करने के लिए एक तंत्र स्थापित करना चाहिए.

इसमें कहा गया है कि भारत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनसीएसी) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो सरकारों को भ्रष्टाचार की रोकथाम के उद्देश्य से प्रभावी प्रथाओं को स्थापित करने और बढ़ावा देने की बात करती है. समिति ने कहा कि डीओपीटी भ्रष्टाचार निरोधक विभाग का नोडल विभाग है, जिसमें यूएनसीएसी से संबंधित मामले भी शामिल हैं. समिति ने अखिल भारतीय सेवा (एआईएस)-भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के एक दंपति की एक ही स्थान पर तैनाती का मामला भी उठाया और इस संबंध में उचित दिशा-निर्देश तैयार करने का सुझाव दिया.

इसने सरकारी सेवा में तैनात पति-पत्नी को एक ही स्थान पर तैनात करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने के वास्ते कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की सराहना की. समिति ने कहा, 'हालांकि, समिति का मानना है कि नीति में एक खामी है, जिसे दूर करने की जरूरत है. यह देखा गया है कि डीओपीटी के दिशा-निर्देश उन पति-पत्नी को कोई राहत प्रदान नहीं करते हैं, जहां पति या पत्नी में से एक अखिल भारतीय सेवा से संबंधित है और दूसरा भारतीय विदेश सेवा से संबंधित है.'

तीन अखिल भारतीय सेवाएं आईएएस, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा हैं. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'आईएफएस में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों और शाखा सचिवालयों में तैनाती के अलावा राज्य सरकारों में कोई पद निर्धारित नहीं है. इसके अलावा, ये पद कुछ वेतन स्तरों तक ही सीमित हैं. दूसरा, एआईएस अधिकारी प्रतिनियुक्ति का विकल्प चुन सकता है, लेकिन नियमों के अनुसार उसे 'कूलिंग ऑफ' अवधि या अन्य अनिवार्यताओं के मामले में कैडर में वापस जाना होता है.'

तदनुसार, समिति ने सिफारिश की कि एआईएस-आईएफएस दंपति के लिए भी उपयुक्त दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं. समिति ने कहा कि विभाग एआईएस अधिकारी को अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर में आवंटित करने और उन्हें दिल्ली में तैनात करने पर विचार कर सकता है या वैकल्पिक रूप से उन्हें दिल्ली से सटे राज्यों में आवंटित कर सकता है, जहां आईएफएस अधिकारी यथासंभव लंबे समय तक तैनात रहता है, ताकि दंपति उसी स्थान पर तैनात रह सकें.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: बड़ी संख्या में आईएएस अधिकारियों द्वारा वार्षिक अचल संपत्ति का ब्योरा दाखिल नहीं करने का उल्लेख करते हुए एक संसदीय समिति ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से कहा है कि वह इस पर गौर करने के लिए एक समिति बनाए और नौकरशाहों द्वारा दाखिल संपत्ति के ब्योरे की सत्यता की जांच के लिए एक तंत्र भी स्थापित करे. कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय पर विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समिति की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1,393 अधिकारियों ने 2011 से 2022 की अवधि में अपनी संपत्ति का ब्योरा दाखिल नहीं किया.

हाल ही में संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है, 'लोक प्रशासन में भ्रष्टाचार के व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए समिति केंद्र सरकार से सिफारिश करती है कि लोक सेवकों द्वारा वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न जमा नहीं करने के मुद्दे की विस्तार से जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया जाए.' समिति ने कहा कि डीओपीटी को लोक सेवकों द्वारा दाखिल संपत्ति के ब्योरे की सत्यता की जांच करने के लिए एक तंत्र स्थापित करना चाहिए.

इसमें कहा गया है कि भारत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनसीएसी) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो सरकारों को भ्रष्टाचार की रोकथाम के उद्देश्य से प्रभावी प्रथाओं को स्थापित करने और बढ़ावा देने की बात करती है. समिति ने कहा कि डीओपीटी भ्रष्टाचार निरोधक विभाग का नोडल विभाग है, जिसमें यूएनसीएसी से संबंधित मामले भी शामिल हैं. समिति ने अखिल भारतीय सेवा (एआईएस)-भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के एक दंपति की एक ही स्थान पर तैनाती का मामला भी उठाया और इस संबंध में उचित दिशा-निर्देश तैयार करने का सुझाव दिया.

इसने सरकारी सेवा में तैनात पति-पत्नी को एक ही स्थान पर तैनात करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने के वास्ते कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की सराहना की. समिति ने कहा, 'हालांकि, समिति का मानना है कि नीति में एक खामी है, जिसे दूर करने की जरूरत है. यह देखा गया है कि डीओपीटी के दिशा-निर्देश उन पति-पत्नी को कोई राहत प्रदान नहीं करते हैं, जहां पति या पत्नी में से एक अखिल भारतीय सेवा से संबंधित है और दूसरा भारतीय विदेश सेवा से संबंधित है.'

तीन अखिल भारतीय सेवाएं आईएएस, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा हैं. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'आईएफएस में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों और शाखा सचिवालयों में तैनाती के अलावा राज्य सरकारों में कोई पद निर्धारित नहीं है. इसके अलावा, ये पद कुछ वेतन स्तरों तक ही सीमित हैं. दूसरा, एआईएस अधिकारी प्रतिनियुक्ति का विकल्प चुन सकता है, लेकिन नियमों के अनुसार उसे 'कूलिंग ऑफ' अवधि या अन्य अनिवार्यताओं के मामले में कैडर में वापस जाना होता है.'

तदनुसार, समिति ने सिफारिश की कि एआईएस-आईएफएस दंपति के लिए भी उपयुक्त दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं. समिति ने कहा कि विभाग एआईएस अधिकारी को अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर में आवंटित करने और उन्हें दिल्ली में तैनात करने पर विचार कर सकता है या वैकल्पिक रूप से उन्हें दिल्ली से सटे राज्यों में आवंटित कर सकता है, जहां आईएफएस अधिकारी यथासंभव लंबे समय तक तैनात रहता है, ताकि दंपति उसी स्थान पर तैनात रह सकें.

पीटीआई-भाषा

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