फरीदाबाद: जम्मू के राजौरी में हुए सेना के बेस कैंप पर आतंकी हमले में शहीद हुए फरीदाबाद के मनोज भाटी का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा. शहीद जवान की अंतिम यात्रा में फरीदाबाद और आसपास के हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. इस दौरान सभी ने अपने हाथों में देश का राष्ट्रीय ध्वज लेकर देश भक्ति के नारे लगाए. बल्लभगढ़ के अंबेडकर चौक से मनोज भाटी की अंतिम यात्रा निकली गई जो उनके पैतृक गांव शाहजहांपुर (shahjahanpur village faridabad) पहुंची. उनके गांव के पार्क में ही उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा, जिला अध्यक्ष गोपाल शर्मा, विधायक नैनपाल रावत समेत कई गणमान्य लोग भी मौजूद रहे.
शहीद मनोज भाटी को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई (Manoj Bhati cremated in Shahjahanpur) दी गई. कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मां भारती की आन बान शान और अपने साथियों की रक्षा करते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए मनोज भाटी ने अपने प्राणों की आहुति दी है जिस पर उन्हें गर्व है. लेकिन उन्हें उनके जाने का दुःख भी है. उन्होंने कहा कि उनके इस शहादत के लिए हम उनको सदैव नमन करते रहेंगे. उनकी शहादत पर पूरे गांव, प्रदेश और देश को गर्व है.
ईटीवी भारत से बातचीत में शहीद मनोज (martyred manoj bhati) के पिता बाबूलाल भाटी ने कहा कि, मेरे पास फोन आया और उधर से आवाज आई कि आप मनोज भाटी के पिता बोल रहे हैं. तो मैने कहा हां. उन्होंने कहा कि आपका बेटा शहीद हो गया है. शहीद मनोज अभी 22 जुलाई को ही डेढ़ महीने की छुट्टी काटकर वापस गया था. मनोट भाटी के पिता ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इस घटना में हमारे चार सैनिक शहीद हुए हैं. इसका बदला 40 आतंकियों को मारकर लिया जाए.
मनोज की शादी 10 महीने पहले ही हुई थी. मनोज की पत्नी कोमल 8 महीने की गर्भवती है. शहीद के परिवार में नये बच्चे के स्वागत की तैयारी चल रही थी. शहीद मनोज के बड़े भाई सुनील भी सेना में कार्यरत हैं. सुनील ने बताया कुछ दिन पहले ही मेरी उनसे फोन पर बात हुई थी, वो छुटियों का प्लान बना रहा था. उसने कहा था कि अक्टूबर में छुट्टी पर चलेंगे और सब लोग मिलकर बच्चे के पैदा होने की खुशी मनायेंगे. लेकिन पिता बनने से पहले ही मनोज शहीद हो गये. शहीद का परिवार बेटे की शहादत पर गर्व भी कर रहा है. और विधवा पत्नी और उसके आने वाले बच्चे को लेकर दुखी भी है.
मनोज भाटी के भाई ने कहा ये हमारे लिए गर्व की बात है कि वो देश के लिए शहीद हुआ लेकिन दुख भी है कि परिवार सूना हो गया. शहीद मनोज भाटी का जन्म फरीदाबाद के शाहजहांपुर गांव में साल 1996 में हुआ था. मनोज कुमार भाटी ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है. जिसके बाद 25 अप्रैल 2017 में मनोज सेना में भर्ती हुए थे. चार भाई-बहनों में वो सबसे छोटे थे. मनोज के बड़े भाई सुनील कुमार भी सेना में हैं. बीच वाले भाई हरेंद्र उर्फ योगेश खेतीबाड़ी करते हैं और बहन आशा शादीशुदा है. पिता बाबूलाल गांव में ही शटरिंग का कारोबार करते हैं. मनोज की पत्नी गर्भवती हैं. उनके घर में कुछ ही दिनों में खुशियों की किलकरियां गूंजने वाली थीं. ठीक रक्षाबंधन से पहले मनोज आतंकियों से लोहा लेते हुए शहादत को प्राप्त हो गए.