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तुलजा भवानी मंदिर गर्भगृह में संभाजी को नहीं मिला प्रवेश, मराठा संगठनों ने जताई नाराजगी

महाराष्ट्र के तुलजा तुलजा भवानी मंदिर में छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज संभाजी राजे छत्रपति को कथित तौर पर प्रवेश नहीं दिए जाने पर मराठा संगठनों ने नाराजगी जाहिर की है. उनका कहना है कि मंदिर न्यास द्वारा ऐसा करना शर्मनाक है.

Sambhajiraje tulja bhawani temple
संभाजीराजे तुलजा भवानी मंदिर
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Published : May 11, 2022, 8:07 PM IST

पुणे: महाराष्ट्र के तुलजापुर में स्थित तुलजा भवानी मंदिर में राज्यसभा के पूर्व सदस्य और छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज संभाजी राजे छत्रपति को कथित तौर पर प्रवेश नहीं दिए जाने पर मराठा संगठनों ने नाराजगी जाहिर की है. मंदिर प्रशासन ने कथित तौर पर, तय समय के बाद मंदिर के गर्भगृह में संभाजीराजे को प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी थी.

उस्मानाबाद जिले में स्थित तुलजा भवानी मंदिर न्यास ने कहा कि निजाम के शासनकाल में लागू किए गए 'देऊल ए कवायत' कानून के अनुसार, देवी तुलजा भवानी का अभिषेक होने के बाद मंदिर के गर्भगृह में मुख्य पुजारी को छोड़कर किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं है. मंदिर न्यास की प्रबंधन प्रशासक और तहसीलदार योगिता कोल्हे ने मंगलवार को कहा, 'संभाजीराजे सोमवार को रात करीब साढ़े नौ बजे मंदिर आए थे और उन्होंने गर्भगृह में जाने की इच्छा व्यक्त की. उन्हें बताया गया कि अभिषेक हो चुका है और इसलिए अब किसी को भीतर जाने की अनुमति नहीं है.'

मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट किया कि उनका संभाजीराजे का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था और उनके दौरे के दौरान हुई परेशानी के लिए एक माफीनामा जारी किया गया है. कोल्हे ने कहा कि मंदिर का कामकाज 'देऊल ए कवायत' कानून के प्रावधानों के मुताबिक चलता है. उन्होंने कहा कि संभाजीराजे कोल्हापुर संस्थान के सदस्य हैं और इस संस्थान को देवी तुलजा भवानी का पहली बार अभिषेक करने का गौरव प्राप्त है. देवी तुलजा भवानी को महाराष्ट्र की कुलदेवी माना जाता है. कोल्हे ने कहा कि यदि राजपरिवार का कोई सदस्य मंदिर आता है तो अभिषेक उनसे करवाया जाता है.

कोल्हे ने कहा, 'यदि राजपरिवार का कोई सदस्य उपलब्ध नहीं होता तो उनके प्रतिनिधि अभिषेक करते हैं. कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, जब मंदिर बंद थे तब राजपरिवार के प्रतिनिधि अभिषेक करते थे.' उन्होंने कहा कि संभाजीराजे को बताया गया कि यदि वह अभिषेक के समय आए होते तो उनसे ही यह कार्य कराया जाता. कोल्हे ने कहा, 'तब संभाजीराजे छत्रपति ने चोपदार दरवाजा से दर्शन किया जो कि देवी की मूर्ति से महज पांच फुट की दूरी पर है. आमतौर पर, सभी विशिष्ट लोग उसी दरवाजे से दर्शन करते हैं.'

यह भी पढ़ें-Minority status for Hindus: SC ने केंद्र सरकार के अलग-अलग रुख पर जताई नाराजगी

उन्होंने कहा कि संभाजीराजे के जाने के बाद मराठा संगठनों के लोगों ने मंदिर न्यास की आलोचना करनी शुरू कर दी. कोल्हे ने यह भी बताया कि मंदिर न्यास को निर्देश जारी किया गया है कि यदि संभाजीराजे मंदिर दर्शन के लिए आने वाले हों, तो उनके आगमन के समय के अनुसार अभिषेक पूजा कराई जाए. इस संबंध में संभाजीराजे से बात करने का प्रयास किए जाने के बावजूद उनसे संपर्क नहीं हो सका. इस बीच मराठा ठोक मोर्चा के एक पदाधिकारी ने कहा, 'संभाजीराजे को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं देने पर हम मंदिर प्रशासन की निंदा करते हैं. मंदिर न्यास द्वारा ऐसा किया जाना शर्मनाक है.'

(पीटीआई-भाषा)

पुणे: महाराष्ट्र के तुलजापुर में स्थित तुलजा भवानी मंदिर में राज्यसभा के पूर्व सदस्य और छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज संभाजी राजे छत्रपति को कथित तौर पर प्रवेश नहीं दिए जाने पर मराठा संगठनों ने नाराजगी जाहिर की है. मंदिर प्रशासन ने कथित तौर पर, तय समय के बाद मंदिर के गर्भगृह में संभाजीराजे को प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी थी.

उस्मानाबाद जिले में स्थित तुलजा भवानी मंदिर न्यास ने कहा कि निजाम के शासनकाल में लागू किए गए 'देऊल ए कवायत' कानून के अनुसार, देवी तुलजा भवानी का अभिषेक होने के बाद मंदिर के गर्भगृह में मुख्य पुजारी को छोड़कर किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं है. मंदिर न्यास की प्रबंधन प्रशासक और तहसीलदार योगिता कोल्हे ने मंगलवार को कहा, 'संभाजीराजे सोमवार को रात करीब साढ़े नौ बजे मंदिर आए थे और उन्होंने गर्भगृह में जाने की इच्छा व्यक्त की. उन्हें बताया गया कि अभिषेक हो चुका है और इसलिए अब किसी को भीतर जाने की अनुमति नहीं है.'

मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट किया कि उनका संभाजीराजे का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था और उनके दौरे के दौरान हुई परेशानी के लिए एक माफीनामा जारी किया गया है. कोल्हे ने कहा कि मंदिर का कामकाज 'देऊल ए कवायत' कानून के प्रावधानों के मुताबिक चलता है. उन्होंने कहा कि संभाजीराजे कोल्हापुर संस्थान के सदस्य हैं और इस संस्थान को देवी तुलजा भवानी का पहली बार अभिषेक करने का गौरव प्राप्त है. देवी तुलजा भवानी को महाराष्ट्र की कुलदेवी माना जाता है. कोल्हे ने कहा कि यदि राजपरिवार का कोई सदस्य मंदिर आता है तो अभिषेक उनसे करवाया जाता है.

कोल्हे ने कहा, 'यदि राजपरिवार का कोई सदस्य उपलब्ध नहीं होता तो उनके प्रतिनिधि अभिषेक करते हैं. कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, जब मंदिर बंद थे तब राजपरिवार के प्रतिनिधि अभिषेक करते थे.' उन्होंने कहा कि संभाजीराजे को बताया गया कि यदि वह अभिषेक के समय आए होते तो उनसे ही यह कार्य कराया जाता. कोल्हे ने कहा, 'तब संभाजीराजे छत्रपति ने चोपदार दरवाजा से दर्शन किया जो कि देवी की मूर्ति से महज पांच फुट की दूरी पर है. आमतौर पर, सभी विशिष्ट लोग उसी दरवाजे से दर्शन करते हैं.'

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उन्होंने कहा कि संभाजीराजे के जाने के बाद मराठा संगठनों के लोगों ने मंदिर न्यास की आलोचना करनी शुरू कर दी. कोल्हे ने यह भी बताया कि मंदिर न्यास को निर्देश जारी किया गया है कि यदि संभाजीराजे मंदिर दर्शन के लिए आने वाले हों, तो उनके आगमन के समय के अनुसार अभिषेक पूजा कराई जाए. इस संबंध में संभाजीराजे से बात करने का प्रयास किए जाने के बावजूद उनसे संपर्क नहीं हो सका. इस बीच मराठा ठोक मोर्चा के एक पदाधिकारी ने कहा, 'संभाजीराजे को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं देने पर हम मंदिर प्रशासन की निंदा करते हैं. मंदिर न्यास द्वारा ऐसा किया जाना शर्मनाक है.'

(पीटीआई-भाषा)

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