हैदराबाद : कांग्रेस का युवा चेहरा और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने बुधवार को बीजेपी का दामन थाम लिया है. वैसे ये पहली बार नहीं है जब कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा बीजेपी में शामिल हुआ हो. वैसे भी चुनाव से पहले नेताओं का दल बदल नई बात नहीं है. खासकर साल 2014 के बाद से कांग्रेस नेताओं का बीजेपी के पाले में जाने का सिलसिला जारी है. आइये अब आपको ऐसे चेहरों के बारे में बताते हैं जो कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए.
ज्योतिरादित्य सिंधिया
सबसे पहले बात इस चेहरे की, क्योंकि जितिन प्रसाद से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा था. ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से लगातार 4 बार सांसद बने और केंद्र में मंत्री भी रहे. वो 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए. पार्टी में अनदेखी का आरोप लगाकर सिंधिया ने करीब 2 दशक बाद मार्च 2020 में बीजेपी में शामिल हो गए. उनके पिता माधवराव सिंधिया भी कांग्रेस की टिकट पर कई बार सांसद और केंद्र में जल संसाधन से लेकर पर्यटन और नागिरक उड्डयन जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली. ज्योतिरादित्य सिंधिया इस वक्त बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं.
हेमंत बिस्वा सरमा
हेमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) असम के मुख्यमंत्री हैं. उन्हें असम में लगातार दूसरी बार कमल खिलाने का इनाम दिया गया है. सरमा साल 2001, 2006 और 2011 में लगातार तीन बार कांग्रेस की टिकट पर विधायक चुने गए थे. इस दौरान स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा जैसे कई विभागों के मंत्री भी रहे. हेमंत बिस्व सरमा 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए और असम में बीजेपी को मजबूत करने में जुट गए. जिसका नतीजा दिखा साल 2016 के विधानसभा चुनाव में, जब असम में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी और सर्बानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री बने. इस साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी फिर से सत्ता पर काबिज हुई और हेमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बनाया गया.
रीता बहुगुणा जोशी
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) ने कांग्रेस छोड़ दी. वो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा की बेटी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की बहन हैं. वो 5 साल यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. लेकिन साल 2016 में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. 2017 में बीजेपी की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ीं और योगी कैबिनेट में मंत्री बनीं. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें इलाहबाद से चुनाव मैदान में उतारा. रीता बहुगुणा जोशी फिलहाल बीजेपी की लोकसभा सांसद हैं.
विजय बहुगुणा
बॉम्बे हाईकोर्ट के जज रहे विजय बहुगुणा (Vijay Bahuguna) कांग्रेस की टिकट पर दो बार लोकसभा पहुंचे. पार्टी ने उन्हें उत्तराखंड का मुख्यमंत्री भी बनाया. लेकिन आखिरकार उनका भी कांग्रेस से मोह भंग हुआ और बीजेपी में चले गए. विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा को 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट पर विधायक चुने गए.
जगदंबिका पाल
उत्तर प्रदेश के एक दिन के मुख्यमंत्री रहे जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. जगदंबिका पाल यूपी की जिस डुमरियागंज सीट से कांग्रेस के सांसद रहे उसी सीट से पिछली दो बार से बीजेपी के सांसद हैं. जगदंबिका पाल ने साल 2014 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए थे.
चौधरी बीरेंद्र सिंह
हरियाणा के कद्दावर नेता रहे चौधरी बीरेंद्र सिंह (Birender Singh) कांग्रेस के विधायक से लेकर कैबिनेट मंत्री और राज्यसभा के सांसद तक रहे. लेकिन करीब 4 दशक तक कांग्रेस के साथ रहे बीरेंद्र सिंह साल 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेजा और मोदी सरकार में ग्रामीण विकास से लेकर पेयजल और स्टील मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी दी. साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी प्रेमलता सिंह बीजेपी की टिकट पर हरियाणा की उचाना कलां सीट से विधायक चुनी गईं थी. बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद हैं.
राव इंद्रजीत सिंह
राव इंद्रजीत सिंह (Rao Inderjit Singh) हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र का बड़ा चेहरा हैं. उनके पिता राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 4 बार कांग्रेस विधायक, हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री और 3 बार कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा भी पहुंचे. लेकिन करीब 4 दशक तक कांग्रेस में रहने के बाद 2014 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खेमे में चले गए. 2014 और फिर 2019 में भी वो बीजेपी की टिकट पर गुड़गांव लोकसभा सीट से चुनाव जीते. मोदी सरकार पार्ट-1 के बाद पार्ट-2 में भी उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई.
एस एम कृष्णा
एक निर्दलीय विधायक के रूप में अपना सियासी सफर शुरू करने वाले एसएम कृष्णा (S. M. Krishna) जैसा राजनीतिक करियर शायद ही किसी नेता का हो. उन्होंने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, लोकसभा सांसद, राज्यसभा सदस्य, राज्यपाल और विदेश मंत्री समेत कई जिम्मेदारियां निभाई. साल 2017 में एसएम कृष्णा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी कन्फ्यूजन में है, उन्होंने खुद को साइडलाइन करने की शिकायत भी की और मार्च 2017 में बीजेपी का दामन थाम लिया. फिलहाल उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी गई है.
नारायण राणे
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता रहे नारायण राणे (Narayan Rane) ने भी साल 2019 में बीजेपी का दामन थाम लिया. वो महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री और विधानसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. मौजूदा वक्त में वो बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं.
सतपाल महाराज
सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) की पहचान एक राजनेता के अलावा एक धार्मिक गुरु की है. कांग्रेस के साथ सियासी करियर शुरू करने वाले सतपाल महाराज ने 2014 में कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का कमल थाम लिया. फिलहाल वो उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.
खुशबू सुंदर
खुशबू सुंदर (Khushboo Sunder) दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का जाना माना चेहरा हैं. साल 2014 में वो डीएमके से कांग्रेस में शामिल हुई थीं. उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी लेकिन 6 साल में ही उनका कांग्रेस से मोह भंग हो गया और 2020 में बीजेपी में शामिल हो गईं. इस साल हुए तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें थाउसेंड लाइट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा था लेकिन वो चुनाव हार गईं.
लंबी है फेहरिस्त
कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी में जाने वाले नेताओं की फेहरिस्त बहुत लंबी हैं. इनमें कांग्रेस के बड़े से बड़े नेता और हर राज्य के नेता शामिल हैं. फिर चाहे यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी हों या फिर मणिपुर के मौजूदा मुख्यमंत्री बीरेन सिंह और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू. हरियाणा से सांसद अवतार भड़ाना से लेकर अरविंद शर्मा यूपी से अमिता सिंह, राजकुमारी रत्ना सिंह समेत कई कांग्रेस सांसद रहे नेताओं ने बीजेपी का दामन थाम लिया. फिल्मी पर्दे के सितारों ने भी कांग्रेस से मुंह मोड़ लिया फिर चाहे उर्मिला मातोड़कर हो या फिर रवि किशन. दरअसल साल 2014 के बाद हुए हर विधानसभा चुनाव के बाद दल बदल का ये सिलसिला जारी है, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भी ऐसा ही दौर देखा गया. गोवा से लेकर गुजरात और दिल्ली से लेकर उत्तराखंड तक कई राज्यों में कांग्रेस विधायकों और नेताओं ने हाथ का साथ छोड़कर बीजेपी का कमल थामा है. कुल मिलाकर हर प्रदेश में कांग्रेस के हर स्तर के नेता हाथ छोड़कर बीजेपी के पाले में चले गए. इसके पीछे 2014 के बाद कांग्रेस का गिरता प्रदर्शन, हर राज्य में पार्टी की अंदरूनी कलह जिम्मेदार है.
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