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'कोरोना काल में हुई मौतों के लिए आजादी के बाद की सभी सरकारें जिम्मेवार'

राज्य सभा में आज कोरोना महामारी की रोकथाम, कोविड वैक्सीन नीति के कार्यान्वयन और कोरोना की तीसरी लहर की आशंका पर चर्चा हुई. इसमें राजद सांसद मनोज झा (RJD Manoj Jha) ने भी शिरकत की. उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि आज देश में महामारी से जैसे हालात पैदा हुए हैं, यह 1947 के बाद आज तक की सभी सरकारों की सामूहिक विफलता है.

मनोज झा राज्य सभा
मनोज झा राज्य सभा
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Published : Jul 20, 2021, 3:59 PM IST

Updated : Jul 20, 2021, 6:42 PM IST

नई दिल्ली : राज्य सभा सांसद मनोज झा (RJD Manoj Jha) ने कहा कि संसदीय इतिहास में आज तक कभी भी एक साथ 40-50 लोगों के निधन पर एक साथ शोक प्रस्ताव या श्रद्धांजलि नहीं दी गई. उन्होंने राजीव सातव के निधन का जिक्र करते हुए कहा कि यह कोई उम्र नहीं थी उनके जाने की.

मनोज झा ने कहा कि देश में कोरोना महामारी को लेकर उपजे हालात उनकी निजी पीड़ा हैं. उन्होंने कहा कि आज के हालात, 1947 में मिली आजादी के बाद सरकारों की सामूहिक विफलता है. उन्होंने कहा कि जिनका भी निधन हुआ है वे हमारी नाकामी का जिंदा दस्तावेज छोड़ गए हैं, हमें यह देखना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के लिए आम लोगों के फोन आते थे. लोगों को लगता था कि सांसद हैं, व्यवस्था हो जाएगी. हम नाकाम होते थे. मनोज कुमार झा ने कहा 'हमें उन सबके नाम एक साझा माफीनामा जारी करना चाहिए जिनकी लाशें गंगा में तैर रही थीं, जिनके बारे में हमें कभी कुछ पता नहीं चल पाएगा. क्या राजीव सातव की उम्र थी जाने की ? ऑक्सीजन के लिए लोग तड़पते छटपटाते नजर आए. अस्पतालों में जगह नहीं थी. यह किसकी असफलता थी ? रेमडेसिवर.... और भी कई दवाएं हैं जिनका नाम कोई नहीं जानता था, वह नाम रट गए लेकिन समय पर दवाएं नहीं मिलीं.'

राज्य सभा सांसद मनोज झा

गौरतलब है कि राजीव सातव उच्च सदन में कांग्रेस के सदस्य थे जिनका कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण 46 वर्ष की आयु में 16 मई को निधन हो गया.

झा ने कहा 'यह हमें मानना चाहिए कि जिंदगी को जितनी गरिमा चाहिए, उससे अधिक गरिमा मौत को चाहिए. गंगा में तैरती लाशें..... क्या इतिहास हमें माफ कर पाएगा ? सचमुच यह बहुत अफसोस की बात है कि एक पूरा तंत्र नाकाम रहा. क्या हम तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार हैं, यह आत्ममंथन हमें करना होगा.' उन्होंने कहा कि सरकार को सभी के लिए चिकित्सा का अधिकार के मकसद से कानून बनाना चाहिए.

शिवसेना के संजय राउत ने कहा 'कोविड-19 महामारी एक राष्ट्रीय आपदा है और हम सभी इससे जूझ रहे हैं. हम सभी ने किसी न किसी अपने को खोया है. यहां तक कि हमने संसद में भी अपने साथियों को खोया है. आम लोगों की हालत तो बहुत ही बुरी रही.'

उन्होंने कहा 'श्मशानों के बाहर लाशों का ढेर , 24 घंटे तक एंबुलेन्स श्मशान के बाहर खड़ी रहती थीं. गंगा के किनारे किस तरह हजारों शवों को दफनाया गया, यह सबने देखा है. इन शवों का अपमान भी हुआ है. मैं किसी व्यक्ति को दोष नहीं देता. लेकिन हर सिस्टम के पीछे एक व्यक्ति होता है.'

उन्होंने कहा 'आप आंकड़े क्यों छिपा रहे हैं ? सही आंकड़े बताइये.' शिवसेना सदस्य के यह कहने पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि महाराष्ट्र में कोविड के मामले सर्वाधिक रहे. इस पर राउत ने कहा 'महामारी से निपटने के महाराष्ट्र के तरीके की सराहना खुद उच्चतम न्यायालय ने की है.'

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : राज्य सभा सांसद मनोज झा (RJD Manoj Jha) ने कहा कि संसदीय इतिहास में आज तक कभी भी एक साथ 40-50 लोगों के निधन पर एक साथ शोक प्रस्ताव या श्रद्धांजलि नहीं दी गई. उन्होंने राजीव सातव के निधन का जिक्र करते हुए कहा कि यह कोई उम्र नहीं थी उनके जाने की.

मनोज झा ने कहा कि देश में कोरोना महामारी को लेकर उपजे हालात उनकी निजी पीड़ा हैं. उन्होंने कहा कि आज के हालात, 1947 में मिली आजादी के बाद सरकारों की सामूहिक विफलता है. उन्होंने कहा कि जिनका भी निधन हुआ है वे हमारी नाकामी का जिंदा दस्तावेज छोड़ गए हैं, हमें यह देखना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के लिए आम लोगों के फोन आते थे. लोगों को लगता था कि सांसद हैं, व्यवस्था हो जाएगी. हम नाकाम होते थे. मनोज कुमार झा ने कहा 'हमें उन सबके नाम एक साझा माफीनामा जारी करना चाहिए जिनकी लाशें गंगा में तैर रही थीं, जिनके बारे में हमें कभी कुछ पता नहीं चल पाएगा. क्या राजीव सातव की उम्र थी जाने की ? ऑक्सीजन के लिए लोग तड़पते छटपटाते नजर आए. अस्पतालों में जगह नहीं थी. यह किसकी असफलता थी ? रेमडेसिवर.... और भी कई दवाएं हैं जिनका नाम कोई नहीं जानता था, वह नाम रट गए लेकिन समय पर दवाएं नहीं मिलीं.'

राज्य सभा सांसद मनोज झा

गौरतलब है कि राजीव सातव उच्च सदन में कांग्रेस के सदस्य थे जिनका कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण 46 वर्ष की आयु में 16 मई को निधन हो गया.

झा ने कहा 'यह हमें मानना चाहिए कि जिंदगी को जितनी गरिमा चाहिए, उससे अधिक गरिमा मौत को चाहिए. गंगा में तैरती लाशें..... क्या इतिहास हमें माफ कर पाएगा ? सचमुच यह बहुत अफसोस की बात है कि एक पूरा तंत्र नाकाम रहा. क्या हम तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार हैं, यह आत्ममंथन हमें करना होगा.' उन्होंने कहा कि सरकार को सभी के लिए चिकित्सा का अधिकार के मकसद से कानून बनाना चाहिए.

शिवसेना के संजय राउत ने कहा 'कोविड-19 महामारी एक राष्ट्रीय आपदा है और हम सभी इससे जूझ रहे हैं. हम सभी ने किसी न किसी अपने को खोया है. यहां तक कि हमने संसद में भी अपने साथियों को खोया है. आम लोगों की हालत तो बहुत ही बुरी रही.'

उन्होंने कहा 'श्मशानों के बाहर लाशों का ढेर , 24 घंटे तक एंबुलेन्स श्मशान के बाहर खड़ी रहती थीं. गंगा के किनारे किस तरह हजारों शवों को दफनाया गया, यह सबने देखा है. इन शवों का अपमान भी हुआ है. मैं किसी व्यक्ति को दोष नहीं देता. लेकिन हर सिस्टम के पीछे एक व्यक्ति होता है.'

उन्होंने कहा 'आप आंकड़े क्यों छिपा रहे हैं ? सही आंकड़े बताइये.' शिवसेना सदस्य के यह कहने पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि महाराष्ट्र में कोविड के मामले सर्वाधिक रहे. इस पर राउत ने कहा 'महामारी से निपटने के महाराष्ट्र के तरीके की सराहना खुद उच्चतम न्यायालय ने की है.'

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Jul 20, 2021, 6:42 PM IST
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