जालना (महाराष्ट्र) : मराठा आरक्षण पर कोई फैसना नहीं लिये जाने पर अब मनोज जारांगे पाटिल ने कड़ा रुख अपनाते हुए बुधवार को एक बार फिर से भूख हड़ताल शुरू की. उन्होंने अपने पैतृक गांव अंतरावली सरती में भूख हड़ताल तब तक करने का फैसला किया है, जब तक सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं कर लेती है. वहीं, उन्होंने मराठा आरक्षण की मांग के लिए आत्महत्या न करने की भी अपील की है. जारांगे ने सरकार पर आरोप लगाया, "प्रदेश सरकार 30 दिन चाहती थी, लेकिन हमने उन्हें 40 दिन की मोहलत दी. इसके बावजूद कोई फैसला नहीं किया गया. 41 दिन के बाद भी मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस नहीं लिये गए. सरकार हमारी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है."
उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, "सरकार मराठा आरक्षण को लेकर गंभीर नहीं हैं. इसलिए एक बार फिर से मैने आमरण अनशन शुरू किया है. मराठा प्रदर्शनकारियों से भी शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन की अपील करता हूं. जबतक हमारी मांग पूरी नहीं होती, हम नहीं रूकेंगे. हमारा ये विरोध केवल मराठों को न्याय दिलाने के लिए है." उन्होंने यह भी कहा कि अनशन शुरू होने के बाद वो किसी भी राजनीतिक नेता से इस पर चर्चा नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, "मोदी सरकार को मराठा आरक्षण के लिए प्रदेश सरकार को बस एक फोन करने की जरूरत है."
मनोज जारांगे पाटिल ने दावा किया कि सरकार में कुछ पक रहा है, इसलिए मुख्यमंत्री ने दशहरा मेले में आरक्षण के लिए शिव राय की शपथ ली है. बीजेपी नेता गिरीश महाजन ने मनोज जारांगे पाटिल से फोन पर बात की और उनसे अनशन खत्म करने का अनुरोध किया. हालांकि, आंदोलनकारी जारांगे पाटिल भूख हड़ताल पर अड़े हुए हैं. उन्होंने अनशन खत्म करने के महाजन के अनुरोध को खारिज कर दिया है. सूत्र ने जानकारी दी है कि जारांगे पाटिल ने कहा कि वह भूख हड़ताल का फैसला वापस नहीं लेंगे. मनोज जारांगे पाटिल के आंदोलन को समर्थन देने के लिए राज्य के कई गांवों में ग्राम नेताओं की घोषणा की गई है.
बता दें कि मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 29 अगस्त से सरकार के खिलाफ खोला गया मोर्चा जारी है. जारांगे पाटिल ने पहली बार तब अपना अनशन शुरू किया था. हालांकि, 17 दिनों के बाद जब सरकार से मांगों को लेकर आश्वासन मिला, तब उन्होंने अपना अनशन स्थगित कर दिया था. इस बीच जारांगे ने बताया कि भाजपा नेता गिरीश महाजन ने उन्हें अनशन खत्म करने का अनुरोध किया था. लेकिन जारांगे ने कहा कि वो भूख हड़ताल का फैसला वापस नहीं लेंगे. जारांगे पाटिल को राज्य के कई गांवों से ग्राम नेताओं ने समर्थन दिया है. वहीं, मराठवाड़ा और जालना जिले के सैकड़ों गांवों के ग्रामीणों ने फैसला किया कि जब तक मराठा आरक्षण नहीं होगा, नेता गांव में प्रवेश नहीं करेंगे.