इंफाल: मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में भीड़ ने गुरुवार को दो सुरक्षा चौकियों में तोड़फोड़ की और भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद लूट लिया, जिनमें असॉल्ट राइफलें और विभिन्न कैलिबर की 19,000 से अधिक गोलियां शामिल थीं. पुलिस ने यह जानकारी दी. यह घटना बिष्णुपुर जिले के नारानसैना स्थित द्वितीय इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के बटालियन मुख्यालय में हुई. उन्होंने बताया कि चुराचांदपुर की ओर मार्च करने के लिए एक भीड़ वहां जमा हुई थी, जहां आदिवासी तीन मई को राज्य में हुई जातीय झड़पों में मारे गए अपने लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने की योजना बना रहे थे.
बिष्णुपुर जिले के कौट्रुक में एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई, जब सशस्त्र हमलावर सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में शामिल हो गए. गुरुवार देर रात मणिपुर पुलिस के एक बयान में कहा गया कि भीड़ ने बिष्णुपुर में मणिपुर सशस्त्र पुलिस की दूसरी बटालियन के कीरेनफाबी पुलिस चौकी और थंगलावई पुलिस चौकी पर हमला किया और भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद ले गए, जिसमें विभिन्न कैलिबर की 19,000 से अधिक गोलियां, एक एके सीरीज असॉल्ट राइफल, तीन 'घातक' राइफलें, 195 सेल्फ-लोडिंग राइफलें, पांच एमपी-5 बंदूकें, 16 9 मिमी पिस्तौल, 25 बुलेटप्रूफ जैकेट, 21 कार्बाइन, 124 हैंड ग्रेनेड समेत अन्य हथियार भीड़ ने लूट लिया.
पुरुषों और महिलाओं की भीड़ ने उसी जिले के हिंगांग पुलिस स्टेशन और सिंगजामेई पुलिस स्टेशन से हथियार और गोला-बारूद छीनने का भी प्रयास किया लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें खदेड़ दिया. बयान में कहा गया है कि सशस्त्र हमलावरों और सुरक्षा बलों के बीच कौट्रुक, हरओथेल और सेनजाम चिरांग इलाकों में गोलीबारी हुई, जिसमें एक सुरक्षाकर्मी सहित दो लोग गोली लगने से घायल हो गए. सुरक्षा बलों ने गोलीबारी का जवाब दिया और हमलावरों को खदेड़ दिया.
बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों की सीमा पर फौगाकचाओ इखाई में 500-600 लोगों की अनियंत्रित भीड़ जमा होने पर सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, जिसमें लगभग 25 लोगों को मामूली चोटें आईं. पिछले 24 घंटों के दौरान अलग-अलग जगहों पर गोलीबारी की छिटपुट घटनाओं और अनियंत्रित भीड़ के जमा होने से राज्य में स्थिति अभी भी अस्थिर और तनावपूर्ण बनी हुई है. सुरक्षा बलों ने राज्य के संवेदनशील और सीमांत इलाकों में तलाशी अभियान चलाया और हमलावरों के सात अवैध बंकरों को नष्ट कर दिया.
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मणिपुर उच्च न्यायालय ने गुरुवार सुबह हुई एक असाधारण सुनवाई में प्रस्तावित सामूहिक दफन पर रोक लगा दी थी. हालांकि, कुकी समुदाय ने दावा किया था कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ चर्चा के बाद कार्यक्रम स्थगित कर दिया था. दरअसल, मणिपुर मं 3 मई से हिंसा जारी है. जातीय झड़पें होने के बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई सौ लोग घायल हो गए. मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी - नागा और कुकी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
(अतिरिक्त इनपुट एजेंसी)