आइजोल: मणिपुर के चिन-कुकी-मिजो-जोमी जनजाति से जुड़े 10 जनजातीय विधायकों ने केंद्र से उनके समुदायों के लिए अगल प्रशासनिक इकाई बनाने की मांग की है. उन्होंने यह मांग हाल में मेइती और अन्य जनजातियों के बीच हुए हिंसक झड़पों की पृष्ठभूमि में की है. राज्य के जिन 10 विधायकों ने अलग प्रशासन की मांग की है उनमें सात विधायक सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के, दो विधायक कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) और एक निर्दलीय है.
उल्लेखनीय है कि केपीए के दोनों विधायक और निर्दलीय भी भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के हिस्सा हैं. विधायकों ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि मणिपुर राज्य हमारी रक्षा करने में पूरी तरह से असफल रहा है. ऐसे में हम केंद्र सरकार से संविधान के तहत अलग प्रशासन की मांग करते हैं ताकि हम मणिपुर के साथ पड़ोसी की तरह शांतिपूर्ण तरीके से रह सकें. विधायकों ने आरोप लगाया कि हिंसा की शुरुआत मेइती समुदाय ने की और राज्य की भाजपा नीत सरकार ने उनका मौन समर्थन किया.
बयान में कहा गया कि मणिपुर में तीन मई, 2023 को बिना उकसावे के शुरू हुई, हिंसा बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा की गई थी, जिसे मणिपुर सरकार ने चिन-कुकी-मिजो-जोमी पहाड़ी जनजातियों के खिलाफ चुपचाप समर्थन दिया था. इसने पहले ही राज्य का विभाजन कर दिया है. अलग प्रशासन की मांग करने वाले विधायकों में हाओखोलेत किपगेन, नगुरसांगलुर सानेत, किमनेओ हाओकिप हांगसिंग, लेतपाओ हाउोकिप, एल एम खाउते, लेत्जामांग हाओकिप, चिनलुन्थांग, पाओलियेनलाल हाओकिप, नेमचा किपगेन और वुंगजागिन वाल्टे शामिल हैं.
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मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय की 53 प्रतिशत हिस्सेदारी होने का अनुमान है. इस समुदाय के लोग मुख्यत: इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी सहित अन्य जनजातीय समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत के करीब है तथा वे मुख्यत: इंफाल घाटी के आसपास स्थित पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
(पीटीआई-भाषा)