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मणिपुर में अदालत के आदेश पर पत्रकार रिहा, जानिए क्यों लगा था रासुका

फेसबुक पोस्ट (Facebook post) करने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिए गए पत्रकार को हाई कोर्ट से राहत मिल गई है. कोर्ट के आदेश पर पत्रकार को रिहा कर दिया गया. जानिए क्या है मामला.

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Published : Jul 23, 2021, 10:25 PM IST

इम्फाल : मणिपुर उच्च न्यायालय (Manipur High Court) के आदेश का पालन करते हुए राज्य सरकार ने शुक्रवार को पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम को रिहा कर दिया. वांगखेम को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की मौत के सिलसिले में फेसबुक पर पोस्ट करने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था.

गौमूत्र और गोबर को कोविड-19 का इलाज बताने के मुद्दे पर भाजपा नेताओं की आलोचना करने वाली पोस्ट के बाद पत्रकार को हिरासत में लिया गया था. उच्च न्यायालय ने सरकार को उन्हें शाम पांच बजे से पहले रिहा करने का निर्देश दिया.

जेल अधीक्षक सोखोलाल तोथांग ने बताया कि वांगखेम को इम्फाल ईस्ट जिले की साजिवा केंद्रीय कारागार से पांच बजे से पहले छोड़ दिया गया.

कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

पीठ ने कहा कि वांगखेम को हिरासत में लेना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है. मणिपुर के कार्यकर्ता इरेंद्रो लिचोमबाम का मामला भी इसी तरह का था. लिचोमबाम को ऐसी ही पोस्ट करने पर रासुका के तहत गिरफ्तार किया गया था और उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद 19 जुलाई को इसी जेल से रिहा किया गया था. उन्हें तथा किशोरचंद्र को 17 मई को हिरासत में लिया गया था.

पत्नी ने जज को पत्र लिख की थी रिहाई की अपील

किशोरचंद्र की पत्नी रंजीता ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार तथा अन्य न्यायाधीशों को पत्र लिखा था, जिसमें कहा था कि लिचोमबाम को तो रिहा कर दिया गया लेकिन उनके पति अब भी जेल में बंद हैं जबकि इन दोनों को एक जैसे आरोपों में हिरासत में लिया गया था. इस पर तत्काल सुनवाई करते हुए पीठ ने पत्रकार की शाम पांच बजे से पहले रिहाई का आदेश दिया.

पीठ ने कहा कि किशोरचंद्र (Kishorchandra) और लिचोमबाम (Leichombam) ने फेसबुक पर एक जैसी पोस्ट डाली थी, इसलिए दोनों के मामलों में कोई अंतर नहीं है. दोनों व्यक्तियों की पोस्ट कोविड-19 के कारण मणिपुर के भाजपा अध्यक्ष एस. टिकेंद्र सिंह की मौत के संदर्भ में थी.

मणिपुर सरकार का आदेश भी निलंबित

अदालत ने याचिकाकर्ता के पति के खिलाफ रासुका के तहत जारी किए गए मणिपुर सरकार के आदेश को भी निलंबित कर दिया. किशोरचंद्र के खिलाफ प्रारंभिक मामला भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया था और उन्हें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जमानत दे दी थी, लेकिन जमानत मिलने के तुरंत बाद उनके खिलाफ रासुका के तहत मामला दर्ज कर लिया गया.

पढ़ें- मणिपुर : व्यंग्यात्मक टिप्पणी करने पर रासुका के तहत दो पत्रकार गिरफ्तार

इम्फाल : मणिपुर उच्च न्यायालय (Manipur High Court) के आदेश का पालन करते हुए राज्य सरकार ने शुक्रवार को पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम को रिहा कर दिया. वांगखेम को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की मौत के सिलसिले में फेसबुक पर पोस्ट करने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था.

गौमूत्र और गोबर को कोविड-19 का इलाज बताने के मुद्दे पर भाजपा नेताओं की आलोचना करने वाली पोस्ट के बाद पत्रकार को हिरासत में लिया गया था. उच्च न्यायालय ने सरकार को उन्हें शाम पांच बजे से पहले रिहा करने का निर्देश दिया.

जेल अधीक्षक सोखोलाल तोथांग ने बताया कि वांगखेम को इम्फाल ईस्ट जिले की साजिवा केंद्रीय कारागार से पांच बजे से पहले छोड़ दिया गया.

कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

पीठ ने कहा कि वांगखेम को हिरासत में लेना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है. मणिपुर के कार्यकर्ता इरेंद्रो लिचोमबाम का मामला भी इसी तरह का था. लिचोमबाम को ऐसी ही पोस्ट करने पर रासुका के तहत गिरफ्तार किया गया था और उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद 19 जुलाई को इसी जेल से रिहा किया गया था. उन्हें तथा किशोरचंद्र को 17 मई को हिरासत में लिया गया था.

पत्नी ने जज को पत्र लिख की थी रिहाई की अपील

किशोरचंद्र की पत्नी रंजीता ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार तथा अन्य न्यायाधीशों को पत्र लिखा था, जिसमें कहा था कि लिचोमबाम को तो रिहा कर दिया गया लेकिन उनके पति अब भी जेल में बंद हैं जबकि इन दोनों को एक जैसे आरोपों में हिरासत में लिया गया था. इस पर तत्काल सुनवाई करते हुए पीठ ने पत्रकार की शाम पांच बजे से पहले रिहाई का आदेश दिया.

पीठ ने कहा कि किशोरचंद्र (Kishorchandra) और लिचोमबाम (Leichombam) ने फेसबुक पर एक जैसी पोस्ट डाली थी, इसलिए दोनों के मामलों में कोई अंतर नहीं है. दोनों व्यक्तियों की पोस्ट कोविड-19 के कारण मणिपुर के भाजपा अध्यक्ष एस. टिकेंद्र सिंह की मौत के संदर्भ में थी.

मणिपुर सरकार का आदेश भी निलंबित

अदालत ने याचिकाकर्ता के पति के खिलाफ रासुका के तहत जारी किए गए मणिपुर सरकार के आदेश को भी निलंबित कर दिया. किशोरचंद्र के खिलाफ प्रारंभिक मामला भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया था और उन्हें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जमानत दे दी थी, लेकिन जमानत मिलने के तुरंत बाद उनके खिलाफ रासुका के तहत मामला दर्ज कर लिया गया.

पढ़ें- मणिपुर : व्यंग्यात्मक टिप्पणी करने पर रासुका के तहत दो पत्रकार गिरफ्तार

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