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कर्नाटक में अधिकारी पर मंगलुरु कोर्ट ने लगाया एक करोड़ रुपये का जुर्माना

कर्नाटक लोकायुक्त की छापेमारी के दौरान पकड़े गए अधिकारी पर मंगलुरु कोर्ट ने एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया और चार साल कैद की सजा सुनायी है.

Mangaluru court imposed a fine of 1 crore on the officer who was caught during the Lokayukta raidEtv Bharat
लोकायुक्त की छापेमारी के दौरान पकड़े गए अधिकारी पर मंगलुरु कोर्ट ने लगाया 1 करोड़ का जुर्मानाEtv Bharat
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Published : Oct 15, 2022, 7:13 AM IST

मेंगलुरु: मेंगलुरु की तृतीय अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय ने 2013 में लोकायुक्त छापेमारी के दौरान पकड़े गए अधिकारी पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. अदालत ने मेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन के वरिष्ठ स्वच्छता निरीक्षक शिवलिंग कोंडागुली को आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए 4 साल के साधारण कारावास और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया.

15 फरवरी 2013 को लोकायुक्त पुलिस ने छापेमारी कर आरोपी शिवलिंग कोंडागुली को उसकी आय से अधिक संपत्ति होने की सूचना मिलने पर गिरफ्तार कर लिया. रिश्वत विरोधी अधिनियम, 1988 के तहत मामला दर्ज किया गया था. तत्कालीन लोकायुक्त पुलिस उपाधीक्षक उमेश जी. शेत ने मामले की जांच की और आरोप पत्र अदालत में पेश किया.

ये भी पढ़ें-कर्नाटक: लिंगायत मठ के पुजारी शरणारू ने हाईकोर्ट में दी जमानत याचिका

मामले की सुनवाई तीसरे अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय द्वारा की गई थी और शिवलिंग कोंडागुली के खिलाफ आरोप साबित हुआ था. इस पृष्ठभूमि में न्यायाधीश बी बी जकाती ने आरोपी को चार साल साधारण कारावास और एक करोड़ रुपये की सजा सुनाई और जुर्माना लगाया. जुर्माना अदा नहीं करने पर आरोपी को एक साल के साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी. कर्नाटक लोकायुक्त के विशेष लोक अभियोजक रवींद्र मुन्नीपदी ने सरकार की ओर से दलील दी है.

मेंगलुरु: मेंगलुरु की तृतीय अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय ने 2013 में लोकायुक्त छापेमारी के दौरान पकड़े गए अधिकारी पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. अदालत ने मेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन के वरिष्ठ स्वच्छता निरीक्षक शिवलिंग कोंडागुली को आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए 4 साल के साधारण कारावास और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया.

15 फरवरी 2013 को लोकायुक्त पुलिस ने छापेमारी कर आरोपी शिवलिंग कोंडागुली को उसकी आय से अधिक संपत्ति होने की सूचना मिलने पर गिरफ्तार कर लिया. रिश्वत विरोधी अधिनियम, 1988 के तहत मामला दर्ज किया गया था. तत्कालीन लोकायुक्त पुलिस उपाधीक्षक उमेश जी. शेत ने मामले की जांच की और आरोप पत्र अदालत में पेश किया.

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मामले की सुनवाई तीसरे अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय द्वारा की गई थी और शिवलिंग कोंडागुली के खिलाफ आरोप साबित हुआ था. इस पृष्ठभूमि में न्यायाधीश बी बी जकाती ने आरोपी को चार साल साधारण कारावास और एक करोड़ रुपये की सजा सुनाई और जुर्माना लगाया. जुर्माना अदा नहीं करने पर आरोपी को एक साल के साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी. कर्नाटक लोकायुक्त के विशेष लोक अभियोजक रवींद्र मुन्नीपदी ने सरकार की ओर से दलील दी है.

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