ETV Bharat / bharat

ममता बनर्जी और शुभेन्दु अधिकारी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी नंदीग्राम सीट

पश्चिम बंगाल में की राजनीति सोमवार को उस समय और गर्म हो गई जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. 2016 में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार शुभेन्दु अधिकारी ने चुनाव जीता था. शुभेन्दु अधिकारी भी कहां चुप रहने वाले थे, उन्होंने दावा किया कि ममता को 50000 वोटों से हराएंगे. challenge or counter

ममता बनर्जी और शुभेन्दु
ममता बनर्जी और शुभेन्दु
author img

By

Published : Jan 18, 2021, 9:50 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नंदीग्राम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की जहां से जहां से 2016 में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार शुभेन्दु अधिकारी ने चुनाव जीता था. जवाब में शुभेन्दु अधिकारी ने भी ममता को चुनौती दी. शुभेन्दु ने खुद को 'नंदीग्राम की मिट्टी का बेटा' बताते हुए ममता को 50 हजार वोट से हराने का दावा किया. शुभेन्दु ने कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो राजनीति छोड़ देंगे.

राजनीतिक हलकों में अब ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि ममता का नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने का फैसला मास्टरस्ट्रोक है या वाटरलू. उनके इस एलान के फायदे हैं तो नुकसान भी हैं. शहर के एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, 'स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री के लिए इसके जो फायदे हैं वह अधिकारी के लिए नुकसान हैं.'

उन्होंने कहा कि 'ममता बनर्जी और भाजपा में शामिल होने के बाद अधिकारी के लिए नंदीग्राम सीट प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गई है. अधिकारी का खुद को 'नंदीग्राम की मिट्टी का बेटा' बताना ये दिखाता है कि उन्हें भरोसा है कि नंदीग्राम की जनता अब भी उनके साथ है.'

उन्होंने कहा कि अधिकारी का ये दावा करना उनकी मजबूरी भी है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला नहीं लिया होता तो अधिकारी के लिए मुकाबला आसान हो जाता. अब मुकाबला 'मिट्टी के बेटे' और 'बंगाल के सबसे लोकप्रिय राजनीतिक चेहरे' के बीच है.

उन्होंने कहा कि 'ममता बनर्जी की बात की जाए तो इस घोषणा के साथ अनजाने में ही सही उन्होंने अधिकारी को अपना मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मान लिया है.'

नंदीग्राम में फंसकर न रह जाएं ममता

राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि ममता के इस निर्णय से पूरी संभावना है कि वह नंदीग्राम सीट जीतने के लिए पूरा जोर लगाएंगी क्योंकि यह प्रतिष्ठा का सवाल है. दूसरा निर्वाचन क्षेत्र भोबनीपुर है जहां से वह चुनाव लड़ सकती हैं. ऐसे में वह दो जगहों पर रैली करने में व्यस्त रहेंगी. इस स्थिति में पार्टी के नेता के रूप में तृणमूल के अन्य उम्मीदवारों के लिए उन्हें प्रचार करने का मौका शायद ही मिलेगा.

पढ़ें- बंगाल : ममता बनर्जी का शुभेंदु के गढ़ नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान

2011 में हार गए थे सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य

2011 के विधानसभा चुनावों के दौरान जब पश्चिम बंगाल में बदलाव की हवा तेज थी उस समय पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वामपंथी मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को अपने निर्वाचन क्षेत्र जादवपुर में चुनाव अभियान केंद्रित करना पड़ा था. उस चुनाव में बुद्धदेव भट्टाचार्य को तृणमूल कांग्रेस के मनीष गुप्ता से हार का सामना करना पड़ा था.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नंदीग्राम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की जहां से जहां से 2016 में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार शुभेन्दु अधिकारी ने चुनाव जीता था. जवाब में शुभेन्दु अधिकारी ने भी ममता को चुनौती दी. शुभेन्दु ने खुद को 'नंदीग्राम की मिट्टी का बेटा' बताते हुए ममता को 50 हजार वोट से हराने का दावा किया. शुभेन्दु ने कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो राजनीति छोड़ देंगे.

राजनीतिक हलकों में अब ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि ममता का नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने का फैसला मास्टरस्ट्रोक है या वाटरलू. उनके इस एलान के फायदे हैं तो नुकसान भी हैं. शहर के एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, 'स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री के लिए इसके जो फायदे हैं वह अधिकारी के लिए नुकसान हैं.'

उन्होंने कहा कि 'ममता बनर्जी और भाजपा में शामिल होने के बाद अधिकारी के लिए नंदीग्राम सीट प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गई है. अधिकारी का खुद को 'नंदीग्राम की मिट्टी का बेटा' बताना ये दिखाता है कि उन्हें भरोसा है कि नंदीग्राम की जनता अब भी उनके साथ है.'

उन्होंने कहा कि अधिकारी का ये दावा करना उनकी मजबूरी भी है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला नहीं लिया होता तो अधिकारी के लिए मुकाबला आसान हो जाता. अब मुकाबला 'मिट्टी के बेटे' और 'बंगाल के सबसे लोकप्रिय राजनीतिक चेहरे' के बीच है.

उन्होंने कहा कि 'ममता बनर्जी की बात की जाए तो इस घोषणा के साथ अनजाने में ही सही उन्होंने अधिकारी को अपना मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मान लिया है.'

नंदीग्राम में फंसकर न रह जाएं ममता

राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि ममता के इस निर्णय से पूरी संभावना है कि वह नंदीग्राम सीट जीतने के लिए पूरा जोर लगाएंगी क्योंकि यह प्रतिष्ठा का सवाल है. दूसरा निर्वाचन क्षेत्र भोबनीपुर है जहां से वह चुनाव लड़ सकती हैं. ऐसे में वह दो जगहों पर रैली करने में व्यस्त रहेंगी. इस स्थिति में पार्टी के नेता के रूप में तृणमूल के अन्य उम्मीदवारों के लिए उन्हें प्रचार करने का मौका शायद ही मिलेगा.

पढ़ें- बंगाल : ममता बनर्जी का शुभेंदु के गढ़ नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान

2011 में हार गए थे सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य

2011 के विधानसभा चुनावों के दौरान जब पश्चिम बंगाल में बदलाव की हवा तेज थी उस समय पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वामपंथी मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को अपने निर्वाचन क्षेत्र जादवपुर में चुनाव अभियान केंद्रित करना पड़ा था. उस चुनाव में बुद्धदेव भट्टाचार्य को तृणमूल कांग्रेस के मनीष गुप्ता से हार का सामना करना पड़ा था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.