जलपाईगुड़ी : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह आईपीएस अधिकारियों को सेवा देने के लिए तलब कर राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रहा है. बनर्जी ने केंद्र सरकार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की चुनौती भी दी और पश्चिम बंगाल को दंगा प्रभावित गुजरात में बदलने का प्रयास करने के लिए आलोचना की. उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला नहीं किया गया और आश्चर्य जताया कि दोषी ठहराए गए अपराधी उनके साथ क्यों थे?
तबादले से डरने वाले नहीं
बनर्जी ने यहां एक रैली में कहा कि अगर भाजपा और केंद्र सरकार सोचती है कि वे केंद्रीय बल यहां लाकर और राज्य कैडर के अधिकारियों का तबादला कर हमें डरा देंगे, तो वे गलत सोच रहे हैं. केंद्र हमारे अधिकारियों को तलब कर रहा है...कोई भी उन्हें (नड्डा) या उनके काफिले को चोट पहुंचाना नहीं चाहता था. बनर्जी ने कहा कि उनके काफिले में इतनी कारें क्यों थीं? दोषी अपराधी उनके साथ क्यों थे? जिन गुंडों ने पिछले वर्ष ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ी, वे भी नड्डा के साथ थे... इस तरह के गुंडों को खुला घूमते देखकर लोग क्रोधित हो गए...मैं केंद्र को चुनौती देती हूं कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाकर दिखाए.
राष्ट्रगान पर भाजपा को घेरा
राष्ट्रगान बदलने को लेकर भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा हाल में प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर इस तरह का दुस्साहस किया जाता है तो राज्य के लोग करारा जवाब देंगे. उन्होंने कहा कि वे हमारे देश का इतिहास बदलना चाहते हैं और अब राष्ट्रगान भी बदलना चाहते हैं. बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में शरणार्थी कॉलोनी को मान्यता दी गई है और किसी को भी राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण, संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को लेकर डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने दंगों और समुदायों के बीच नफरत का नया धर्म पैदा किया है.