नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के रायपुर में 24-26 फरवरी को कांग्रेस पार्टी के होने वाले पूर्ण अधिवेशन में कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के चुनाव पर सभी की निगाहें रहेंगी. सूत्रों के अनुसार 24 फरवरी को कांग्रेस अध्य़क्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के द्वारा संचालन समिति की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में ही सीडब्ल्यूसी के लिए चुनाव कराने या नहीं कराने पर निर्णय लिया जाएगा.
इस संबंध में पूर्व केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि सीडब्ल्यूसी का गठन किया जाना है, लेकिन चुनाव के माध्यम से इसका पुनर्गठन किया जाएगा या नामांकन प्रक्रिया अभी तक स्पष्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी सभी महत्वपूर्ण फैसले लेती है, लेकिन शीर्ष निकाय के सदस्यों का चुनाव पिछले दो दशकों में नहीं किया गया है क्योंकि पार्टी की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी ने 1998 में कार्यभार संभालने के बाद से सदस्यों को नामित करने की प्रथा का सहारा लिया था.
बता दें कि मल्लिकार्जुन खड़गे पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए प्रचार कर रहे थे, तब उन्होंने सीडब्ल्यूसी चुनाव कराने का वादा किया था. जब खड़गे ने 26 अक्टूबर, 2022 को पार्टी प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला, तो उन्होंने सीडब्ल्यूसी को भंग कर दिया और इसकी जगह पार्टी के दिन-प्रतिदिन के कामकाज की देखरेख के लिए एक संचालन समिति बनाई. तभी से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि नए पार्टी अध्यक्ष के द्वारा सीडब्ल्यूसी के चुनाव का विकल्प चुना जाएगा या नहीं क्योंकि चुनाव कराने से एक सकारात्मक संदेश जाएगा. साथ ही इससे भाजपा की तुलना में मतदाताओं के सामने लोकतांत्रिक साख बनेगी.
वहीं जम्मू और कश्मीर की प्रभारी एआईसीसी महासचिव रजनी पाटिल कहा कि डब्ल्यूसी चुनाव कराने से सकारात्मक संकेत जाएगा. उन्होंने कहा कि चुनाव यह दिखाएगा कि हमारे पास पार्टी के भीतर मजबूत लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं हैं. पार्टी के सूत्रों ने कहा कि इस कदम से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले संगठन को फिर से जीवंत किए जाने की उम्मीद है.
पार्टी प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से, खड़गे उदयपुर में मई 2022 के चिंतन शिविर में लिए गए प्रमुख निर्णयों में से एक को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें 50 वर्ष से कम आयु के सभी पदाधिकारियों का 50 प्रतिशत होना है. इसके अलावा पार्टी संविधान के अनुसार, सीडब्ल्यूसी में कांग्रेस अध्यक्ष सहित 24 सदस्य हैं. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष के पास आधे सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार होता है और वह शेष सीटों के लिए चुनाव की घोषणा कर सकता है.
कांग्रेस अध्यक्ष और सीडब्ल्यूसी सहित पार्टी के सभी पदों के लिए आंतरिक चुनाव कराने का आह्वान जी23 द्वारा किया गया था. इसमें वर्ष 2020 में गुलाम नबी आज़ाद की अध्यक्षता में वरिष्ठ असंतुष्टों का एक समूह बनाया गया था जिसका नाम जी23 रखा गया था. हालांकि जी23 आज बड़ी पुरानी पार्टी के भीतर एक दबाव समूह के रूप में मौजूद नहीं है, आजाद ने साथ छोड़ दिया है और अधिकांश अन्य सदस्यों को विभिन्न पार्टी भूमिकाओं में समायोजित किया गया है. बावजूद इसके सीडब्ल्यूसी चुनावों के मुद्दे पर पार्टी हलकों के भीतर बहस हुई है. 2020 में जी23 के विद्रोह के तुरंत बाद, तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने असंतुष्टों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा के लिए सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई थी.
हालांकि, कोविड प्रतिबंधों के कारण वर्चुअल रूप से आयोजित बैठक का प्रयोग उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसे सोनिया गांधी के वफादारों द्वारा आजाद और उनके द्वारा असंतुष्टों के समूह की निंदा करने के लिए किया गया था. इस दौरान वफादारों ने दावा किया था कि जी23 ने सोनिया गांधी के अधिकार को चुनौती देने की कोशिश की थी, जबकि असंतुष्टों ने यह समझाने के लिए संघर्ष किया कि वे केवल भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने के लिए पार्टी संगठन में सुधार की मांग कर रहे थे. बाद में, जी23 के आरोप को कम करने के प्रयास में, सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी में फेरबदल किया और युवा कांग्रेस प्रमुख बीवी श्रीनिवास जैसे कई युवा नेताओं को स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाते हुए कई नए चेहरे लाए. यह पार्टी के निर्णय लेने की प्रक्रिया में युवा नेताओं को शामिल करने और देश में मतदाताओं के बदलते जनसांख्यिकीय प्रोफाइल के साथ तालमेल बिठाने का विचार था.
पुराने समय के लोगों के अनुसार, सीडब्ल्यूसी के चुनावों में स्थानीय टीमों को ऊर्जा देने और विभिन्न राज्य के नेताओं के बीच खुद को शीर्ष निकाय के लिए चुने जाने की क्षमता और लोकप्रियता का परीक्षण करने की आशा पैदा करने की शक्ति होती है. उनका मानना है कि एक तरह से, इस तरह की लोकतांत्रिक कवायद उस प्रभाव की भी परीक्षा है जो कई दिग्गज पार्टी प्रणाली में होने का दावा करते हैं. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि सीडब्ल्यूसी चुनावों के अलावा, पूर्ण सत्र के दौरान एआईसीसी और पीसीसी टीमों का कायाकल्प भी किया जा सकता है, क्योंकि यहां देश भर के पार्टी के शीर्ष नेता मौजूद रहेंगे.
हालांकि राष्ट्रपति चुनाव से पहले, राज्य इकाइयों ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें नए पार्टी प्रमुख को राज्य इकाई प्रमुखों की नियुक्ति के लिए अधिकृत किया गया था. इसके बाद, अधिकांश राज्य इकाइयों को पुनर्गठित किया गया था, लेकिन पदाधिकारियों को चुनाव मार्ग के बजाय सर्वसम्मति से नियुक्त किया गया था. पार्टी सूत्रों ने कहा कि चूंकि राज्य इकाइयों में चुनाव कराना एक बड़ी कवायद है इसलिए इस मुद्दे पर पूर्ण सत्र में चर्चा की जाएगी.
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