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Mahashivratri विशेष : इन मंत्रों से करें भगवान शिव को प्रसन्न, दूर होंगे रोग-शोक - MahaShivratri 2023 Importance

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए धर्म ग्रंथों में कई मंत्रों का वर्णन है किया गया है जिनमें मुख्य रुप से शिव पंचाक्षरी मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा, शिवाष्टक, रुद्राष्टकम आदि हैं. आइए जानते हैं कुछ महत्त्वपूर्ण मंत्रो के बारे में... Mahashivratri 2023

Mahashivratri
महाशिवरात्रि
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Published : Feb 7, 2023, 12:37 AM IST

Updated : Feb 17, 2023, 8:01 AM IST

सभी शिव भक्त वर्षभर महाशिवरात्रि के पर्व का इंतजार करते हैं. यह पर्व भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है. भगवान भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार से प्रयास करते हैं. भक्त अपनी सामर्थ्य और सुविधानुसार जप-तप-व्रत का पालन करते हैं. कहा जाता है कि भोलेनाथ सिर्फ जलाभिषेक और बेलपत्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं फिर भी भक्त उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न मंत्रों से उनकी आराधना करते हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिंदू धर्म ग्रंथों में कई प्रकार के मंत्रों का वर्णन किया गया है जिनमें मुख्य रुप से महामृत्युंजय मंत्र, शिव पंचाक्षरी मंत्र, शिव चालीसा, शिवाष्टक, रुद्राष्टकम आदि हैं.आइए जानते हैं कुछ महत्त्वपूर्ण मंत्रो के बारे में...

महामृत्युंजय मंत्र
महाशिवरात्रि के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है. रोग, अकाल मृत्यु, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, विवाद, पापों से मुक्ति आदि परिस्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है. महामृत्युंजय मंत्र के जाप से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. इस मंत्र के अलग-अलग स्वरूप भी हैं. संपूर्ण मंत्र है -

  1. ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ

वहीं महामृत्युंजय मंत्र का एक लघु रूप भी है. मान्यताओं में इस लघु मंत्र का भी प्रभाव उतना ही है जितना की संपूर्ण मंत्र का. महामृत्युंजय मंत्र का संक्षिप्त स्वरूप है -

  1. ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ.

जानिए महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
महामृत्युंजय मंत्र को आपने कई बार सुना या मंत्रोच्चार किया होगा. आइए जानते हैं अकाल मृत्यु नाशक इस मंत्र का हिन्दी में सरल अर्थ.

  1. इस पूरे जगत के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव-शंकर की हम सब आराधना करते हैं. संपूर्ण विश्व में सुरभि (सुगंध) फैलाने वाले भगवान शिव हम भक्तों को मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि हमें मोक्ष की प्राप्ति हो जाए.

ॐ नम: शिवाय
मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के सृजनकर्ता भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ ‘ॐ नम: शिवाय’ का जप ही पार्यप्त है. स्कंद पुराण में शिव के पंचाक्षरी मंत्र (Shiv Panchakshari Mantra) के बारे में लिखा गया है. स्कंद पुराण में लिखा है कि शिव पंचाक्षरी मंत्र मोक्ष प्रदाता है. इसके जाप से सभी पापों का नाश होता है. ये मंत्र साधक सभी प्रकार के सुख देने वाला है.

भगवान शिव को कुछ अन्य मंत्रो से भी प्रसन्न कर सकते हैं. इन मंत्रो से भगवान भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा करते हैं. गायत्री मंत्र से सभी परिचित हैं, लेकिन सभी देवी-देवताओं को समर्पित गायत्री मंत्र भी होते हैं. आइए जानते हैं शिव गायत्री मंत्र के बारे में

शिव गायत्री मंत्र-

  1. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्.

शिव गायत्री मंत्र के साथ अन्य मंत्रों का जाप करने से पुण्यलाभ मिलता है.

  1. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय.
  2. ॐ पार्वतीपतये नमः
  3. ॐ वाम देवाय नम:. ॐ हराय नम:
  4. ॐ साधो जातये नम:
  5. ॐ अघोराय नम:
  6. ॐ तत्पुरूषाय नम:
  7. ॐ ईशानाय नम:

जाप करते समय इन बातों का ध्यान रखें
अपनी क्षमतानुसार इन मंत्रों का जाप किया जा सकता है या विशेष परिस्थितियों में पुजारी से इस मंत्र का जाप करवाया जा सकता है. महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए. जाप करते समय रुद्राक्ष की माला को गौमुखी में ढंककर रखना चाहिए. धर्म ग्रंथों में मंत्र जाप करते समय स्पष्ट उच्चारण का बहुत महत्व है. इसलिए जाप करते समय उच्चारण की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. प्रतिदिन कम से कम एक माला (108 बार ) जाप जरूर करना चाहिये.

Mahashivratri 2023 : अबकी बार बेहद खास है महाशिवरात्रि का पर्व, सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शनि प्रदोष का दुर्लभ संयोग

सभी शिव भक्त वर्षभर महाशिवरात्रि के पर्व का इंतजार करते हैं. यह पर्व भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है. भगवान भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार से प्रयास करते हैं. भक्त अपनी सामर्थ्य और सुविधानुसार जप-तप-व्रत का पालन करते हैं. कहा जाता है कि भोलेनाथ सिर्फ जलाभिषेक और बेलपत्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं फिर भी भक्त उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न मंत्रों से उनकी आराधना करते हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिंदू धर्म ग्रंथों में कई प्रकार के मंत्रों का वर्णन किया गया है जिनमें मुख्य रुप से महामृत्युंजय मंत्र, शिव पंचाक्षरी मंत्र, शिव चालीसा, शिवाष्टक, रुद्राष्टकम आदि हैं.आइए जानते हैं कुछ महत्त्वपूर्ण मंत्रो के बारे में...

महामृत्युंजय मंत्र
महाशिवरात्रि के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है. रोग, अकाल मृत्यु, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, विवाद, पापों से मुक्ति आदि परिस्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है. महामृत्युंजय मंत्र के जाप से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. इस मंत्र के अलग-अलग स्वरूप भी हैं. संपूर्ण मंत्र है -

  1. ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ

वहीं महामृत्युंजय मंत्र का एक लघु रूप भी है. मान्यताओं में इस लघु मंत्र का भी प्रभाव उतना ही है जितना की संपूर्ण मंत्र का. महामृत्युंजय मंत्र का संक्षिप्त स्वरूप है -

  1. ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ.

जानिए महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
महामृत्युंजय मंत्र को आपने कई बार सुना या मंत्रोच्चार किया होगा. आइए जानते हैं अकाल मृत्यु नाशक इस मंत्र का हिन्दी में सरल अर्थ.

  1. इस पूरे जगत के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव-शंकर की हम सब आराधना करते हैं. संपूर्ण विश्व में सुरभि (सुगंध) फैलाने वाले भगवान शिव हम भक्तों को मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि हमें मोक्ष की प्राप्ति हो जाए.

ॐ नम: शिवाय
मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के सृजनकर्ता भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ ‘ॐ नम: शिवाय’ का जप ही पार्यप्त है. स्कंद पुराण में शिव के पंचाक्षरी मंत्र (Shiv Panchakshari Mantra) के बारे में लिखा गया है. स्कंद पुराण में लिखा है कि शिव पंचाक्षरी मंत्र मोक्ष प्रदाता है. इसके जाप से सभी पापों का नाश होता है. ये मंत्र साधक सभी प्रकार के सुख देने वाला है.

भगवान शिव को कुछ अन्य मंत्रो से भी प्रसन्न कर सकते हैं. इन मंत्रो से भगवान भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा करते हैं. गायत्री मंत्र से सभी परिचित हैं, लेकिन सभी देवी-देवताओं को समर्पित गायत्री मंत्र भी होते हैं. आइए जानते हैं शिव गायत्री मंत्र के बारे में

शिव गायत्री मंत्र-

  1. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्.

शिव गायत्री मंत्र के साथ अन्य मंत्रों का जाप करने से पुण्यलाभ मिलता है.

  1. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय.
  2. ॐ पार्वतीपतये नमः
  3. ॐ वाम देवाय नम:. ॐ हराय नम:
  4. ॐ साधो जातये नम:
  5. ॐ अघोराय नम:
  6. ॐ तत्पुरूषाय नम:
  7. ॐ ईशानाय नम:

जाप करते समय इन बातों का ध्यान रखें
अपनी क्षमतानुसार इन मंत्रों का जाप किया जा सकता है या विशेष परिस्थितियों में पुजारी से इस मंत्र का जाप करवाया जा सकता है. महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए. जाप करते समय रुद्राक्ष की माला को गौमुखी में ढंककर रखना चाहिए. धर्म ग्रंथों में मंत्र जाप करते समय स्पष्ट उच्चारण का बहुत महत्व है. इसलिए जाप करते समय उच्चारण की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. प्रतिदिन कम से कम एक माला (108 बार ) जाप जरूर करना चाहिये.

Mahashivratri 2023 : अबकी बार बेहद खास है महाशिवरात्रि का पर्व, सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शनि प्रदोष का दुर्लभ संयोग

Last Updated : Feb 17, 2023, 8:01 AM IST
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