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महाराष्ट्र सरकार ने परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से संरक्षण की अवधि 22 जून तक बढ़ाई - न्यायमूर्ति पीबी वराले

मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ अजा/अजजा (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में महाराष्ट्र सरकार 22 जून तक उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी. इस बारे में बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया गया. सरकार के वकील के कहने पर जस्टिस पीबी वराले और जस्टीस एसपी तावड़े ने मामले पर सुनवाई 22 जून के लिए स्थगित कर दी.

बंबई उच्च न्यायालय
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Published : Jun 14, 2021, 4:26 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) मुंबई पुलिस (Mumbai Police) के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह (Former Commissioner Parambir Singh) के खिलाफ अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में 22 जून तक उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी. इस बारे में सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) को सूचित किया गया.

सिंह के खिलाफ मामले की सुनवाई स्थगित

महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दारियस खम्बाटा ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उनके पहले के बयान के अनुसार, इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी परमबीर सिंह की किसी भी दंडात्मक कार्रवाई (penal action) से रक्षा की जो बात कही गई थी अब उसकी अवधि बढ़ाकर 22 जून कर दी जाएगी. खम्बाटा के यह कहने पर न्यायमूर्ति पीबी वराले (Justice P.B. Varale) और न्यायमूर्ति एसपी तावड़े (Justice S. P. Tawde) ने मामले पर सुनवाई 22 जून के लिए स्थगित कर दी.

पढ़ें : एल्गार मामले में बोला बॉम्बे हाईकोर्ट, स्टैन स्वामी 18 जून तक अस्पताल में रहेंगे भर्ती

परमबीर सिंह की उन याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी जिनमें उन्होंने ठाणे पुलिस द्वारा उनके खिलाफ अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की है. इसके अलावा उन्होंने राज्य सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई प्रारंभिक जांचों को भी चुनौती दी है.

सिंह के खिलाफ इस वर्ष अप्रैल में हुई थी प्राथमिकी दर्ज

अकोला पुलिस थाने में निरीक्षक बीआर घाडगे (Inspector B. R. Ghadge) की शिकायत पर सिंह के खिलाफ इस वर्ष अप्रैल में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अनुसूचित जाति (scheduled caste) से आने वाले घाडगे ने आरोप लगाया था कि एक आपराधिक मामले में कुछ आरोपियों को लाभ पहुंचाने के सिंह के गैरकानूनी आदेशों का पालन करने से उन्होंने इनकार कर दिया था. जिसके बाद सिंह ने अन्य लोगों के साथ मिलकर अवैध वसूली के कुछ मामलों में उन्हें फंसाने की साजिश रची.

एक अन्य याचिका में परमबीर सिंह ने राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार तथा कदाचार के आरोपों में उनके खिलाफ शुरू की गई दो जांच को चुनौती दी है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) मुंबई पुलिस (Mumbai Police) के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह (Former Commissioner Parambir Singh) के खिलाफ अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में 22 जून तक उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी. इस बारे में सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) को सूचित किया गया.

सिंह के खिलाफ मामले की सुनवाई स्थगित

महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दारियस खम्बाटा ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उनके पहले के बयान के अनुसार, इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी परमबीर सिंह की किसी भी दंडात्मक कार्रवाई (penal action) से रक्षा की जो बात कही गई थी अब उसकी अवधि बढ़ाकर 22 जून कर दी जाएगी. खम्बाटा के यह कहने पर न्यायमूर्ति पीबी वराले (Justice P.B. Varale) और न्यायमूर्ति एसपी तावड़े (Justice S. P. Tawde) ने मामले पर सुनवाई 22 जून के लिए स्थगित कर दी.

पढ़ें : एल्गार मामले में बोला बॉम्बे हाईकोर्ट, स्टैन स्वामी 18 जून तक अस्पताल में रहेंगे भर्ती

परमबीर सिंह की उन याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी जिनमें उन्होंने ठाणे पुलिस द्वारा उनके खिलाफ अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की है. इसके अलावा उन्होंने राज्य सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई प्रारंभिक जांचों को भी चुनौती दी है.

सिंह के खिलाफ इस वर्ष अप्रैल में हुई थी प्राथमिकी दर्ज

अकोला पुलिस थाने में निरीक्षक बीआर घाडगे (Inspector B. R. Ghadge) की शिकायत पर सिंह के खिलाफ इस वर्ष अप्रैल में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अनुसूचित जाति (scheduled caste) से आने वाले घाडगे ने आरोप लगाया था कि एक आपराधिक मामले में कुछ आरोपियों को लाभ पहुंचाने के सिंह के गैरकानूनी आदेशों का पालन करने से उन्होंने इनकार कर दिया था. जिसके बाद सिंह ने अन्य लोगों के साथ मिलकर अवैध वसूली के कुछ मामलों में उन्हें फंसाने की साजिश रची.

एक अन्य याचिका में परमबीर सिंह ने राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार तथा कदाचार के आरोपों में उनके खिलाफ शुरू की गई दो जांच को चुनौती दी है.

(पीटीआई-भाषा)

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