मुंबई : महाराष्ट्र में शिवसेना और शिंदे गुट से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई होनी है. उससे पहले वहां के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल (narhari zirwal) ने बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई को जायज ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में उन्होंने कहा है कि अगर एकनाथ शिंदे खेमा 24 घंटे में शीर्ष अदालत के दरवाजे पर दस्तक दे सकता है तो वे 48 घंटे में उनके द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस का जवाब क्यों नहीं दे सकता है?
उन्होंने कहा कि जवाब देने के लिए विधायकों को 48 घंटे का समय दिया गया था. इसमें कुछ भी गलत नहीं था. जिरवाल ने कहा कि विधायकों ने उनसे संपर्क नहीं किया और जवाब देने के लिए और समय मांगा. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि दिनों की संख्या महत्वहीन है. ऐसे में क्या मायने रखता है कि क्या प्रतिवादी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए पर्याप्त और उचित समय दिया गया है.
डिप्टी स्पीकर ने कहा, '39 विधायकों के पार्टी छोड़ने का नोटिस एक असत्यापित ईमेल आईडी के माध्यम से मेरे पास आया था इसलिए, इसे रिकॉर्ड में नहीं लिया गया.' जिरवाल ने यह भी कहा कि बागी विधायकों द्वारा उन्हें हटाने के लिए नोटिस अमान्य था क्योंकि यह तभी दिया जा सकता है जब विधानसभा सत्र हो.
गौरतलब है कि पिछले महीने डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया था. ये वह विधायक थे जो एकनाथ शिंदे के साथ पहले गुवाहाटी और बाद में गोवा चले गए थे. शिंदे का नाम भी इस लिस्ट में है. दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के शीर्ष पद से हटने से पहले गुट से अयोग्यता के अनुरोध के बाद नोटिस भेजे गए थे. लेकिन बाकियों ने इसे अदालत में चुनौती दी और दावा किया था कि उनके पास दो-तिहाई बहुमत है इसलिए वे असली शिवसेना हैं. वहीं ठाकरे पक्ष ने तर्क दिया था कि उनका रुख अवैध है और दलबदल विरोधी कानून के तहत उन्हें अयोग्य घोषित किया जा सकता है क्योंकि उनका भाजपा में विलय नहीं हुआ है.
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