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नासिक में एक दिन में 32 हजार लोगों की डेंगू-मलेरिया की जांच! रिपोर्ट पर उठे सवाल

महाराष्ट्र के कई इलाकों में डेंगू और मलेरिया के मामले बढ़े हैं. इस बीच नासिक जिले से एक चौंकाने वाला मामला आया है. नगर निगम की ओर से दावा किया गया है कि उसने करीब 32 हजार लोगों की डेंगू-मलेरिया की जांच की है. इस रिपोर्ट पर अब सवाल उठ रहे हैं.

Dengue patient screening
maharashtra dengue malaria screening
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Published : Jul 22, 2023, 8:57 PM IST

नासिक : शहर में डेंगू और मलेरिया के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि नगर निगम की ओर से सौंपी गई एक रिपोर्ट पर संदेह पैदा हो गया है. नगर निगम ने बताया है कि एक दिन में लगभग 7,000 घरों में जाकर लगभग 32,000 नागरिकों का टेस्ट किया गया है. इसलिए आम आदमी पार्टी ने इस रिपोर्ट की जांच की मांग की है.

मानसून की शुरुआत के साथ ही नासिक शहर में डेंगू और मलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसके लिए नासिक नगर निगम के मलेरिया विभाग ने निरीक्षण अभियान शुरू किया है. हालांकि, मलेरिया विभाग ने रिपोर्ट दी है कि एक ही दिन में 6 हजार 768 घरों में जाकर 32 हजार 155 लोगों की डेंगू और मलेरिया की जांच की गई. आशंका है कि यह रिपोर्ट महज एक दस्तावेज है. इसकी जांच कराने की मांग की जा रही है.

रिपोर्ट कागज पर है : बारिश शुरू होने से कीट जनित बीमारियों का प्रकोप धीरे-धीरे बढ़ रहा है. इसलिए आरोप लगाया जा रहा है कि संबंधित ठेकेदार दस्तावेजों में उस समय का काम दिखा रहा है, जब नियमित धुआं और दवा का छिड़काव किया गया. इस संबंध में चल रहे काम की रिपोर्ट अब संदेहास्पद है. नगर निगम के जीवविज्ञानी डॉ. राजेंद्र ट्रैंबके ने 20 जुलाई को दैनिक रिपोर्ट पेश की. इसमें दावा किया गया है कि एक दिन में 32 हजार 155 नागरिकों का सर्वे किया गया और 6 हजार 768 घरों का निरीक्षण किया गया.

रिपोर्ट ही संदिग्ध : मलेरिया विभाग के पास इस जांच के लिए स्टाफ ही नहीं है. यह निरीक्षण उन कर्मियों द्वारा किया जाता है जो कीट नियंत्रण के लिए घर-घर जाते हैं. हालांकि, पिछले तीन वर्षों से, पुराने ठेकेदार द्वारा समय विस्तार के माध्यम से काम जारी रखा गया है और हाल ही में उन्होंने यह कहते हुए कॉन्ट्रैक्ट छोड़ने की चेतावनी भी दी है कि वे संबंधित कार्य का खर्च वहन नहीं कर सकते. तो क्या वाकई 6 हजार 768 घरों में जांच हुई?

वहीं, इस मामले पर अब डॉ. राजेंद्र ट्रैंबके का कहना है कि ये आंकड़े पर्यवेक्षक से आए हैं. इसी के अनुरूप यह निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की गई है. अगर इसमें कोई गलती है तो यह सुनिश्चित करने के लिए दोबारा जांच की जाएगी.

कहां होती है फॉगिंग? : छिड़काव और डस्टिंग के लिए नासिक नगर निगम ही ठेकेदार को दवा देता है. लेकिन आख़िर ये दवाएं जाती कहां हैं? यह प्रश्न है. कई जगहों पर दवा के नाम पर गाड़ियों का खराब काला तेल छिड़कने की बात कही जाती है. इसलिए इन दवाओं की अचानक जांच करना जरूरी है.दूसरी बात यह है कि 1 हजार 397 घरों में इनडोर फॉगिंग दिखाई गई है.

जांच की मांग : आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता जितेंद्र भावे ने कहा है कि 'हमें इस पर आपत्ति है और हमें उन लोगों के नाम जानने की जरूरत है जिनकी जांच की गई. हमारा आरोप है कि यह रिपोर्ट महज एक दस्तावेज है. हम कहते हैं कि असली गद्दार तो भ्रष्ट सरकारी अधिकारी और कर्मचारी हैं.'

उन्होंने कहा कि पूरा नासिक नगर निगम नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है और इस मामले की गहन जांच की जानी चाहिए.

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नासिक : शहर में डेंगू और मलेरिया के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि नगर निगम की ओर से सौंपी गई एक रिपोर्ट पर संदेह पैदा हो गया है. नगर निगम ने बताया है कि एक दिन में लगभग 7,000 घरों में जाकर लगभग 32,000 नागरिकों का टेस्ट किया गया है. इसलिए आम आदमी पार्टी ने इस रिपोर्ट की जांच की मांग की है.

मानसून की शुरुआत के साथ ही नासिक शहर में डेंगू और मलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसके लिए नासिक नगर निगम के मलेरिया विभाग ने निरीक्षण अभियान शुरू किया है. हालांकि, मलेरिया विभाग ने रिपोर्ट दी है कि एक ही दिन में 6 हजार 768 घरों में जाकर 32 हजार 155 लोगों की डेंगू और मलेरिया की जांच की गई. आशंका है कि यह रिपोर्ट महज एक दस्तावेज है. इसकी जांच कराने की मांग की जा रही है.

रिपोर्ट कागज पर है : बारिश शुरू होने से कीट जनित बीमारियों का प्रकोप धीरे-धीरे बढ़ रहा है. इसलिए आरोप लगाया जा रहा है कि संबंधित ठेकेदार दस्तावेजों में उस समय का काम दिखा रहा है, जब नियमित धुआं और दवा का छिड़काव किया गया. इस संबंध में चल रहे काम की रिपोर्ट अब संदेहास्पद है. नगर निगम के जीवविज्ञानी डॉ. राजेंद्र ट्रैंबके ने 20 जुलाई को दैनिक रिपोर्ट पेश की. इसमें दावा किया गया है कि एक दिन में 32 हजार 155 नागरिकों का सर्वे किया गया और 6 हजार 768 घरों का निरीक्षण किया गया.

रिपोर्ट ही संदिग्ध : मलेरिया विभाग के पास इस जांच के लिए स्टाफ ही नहीं है. यह निरीक्षण उन कर्मियों द्वारा किया जाता है जो कीट नियंत्रण के लिए घर-घर जाते हैं. हालांकि, पिछले तीन वर्षों से, पुराने ठेकेदार द्वारा समय विस्तार के माध्यम से काम जारी रखा गया है और हाल ही में उन्होंने यह कहते हुए कॉन्ट्रैक्ट छोड़ने की चेतावनी भी दी है कि वे संबंधित कार्य का खर्च वहन नहीं कर सकते. तो क्या वाकई 6 हजार 768 घरों में जांच हुई?

वहीं, इस मामले पर अब डॉ. राजेंद्र ट्रैंबके का कहना है कि ये आंकड़े पर्यवेक्षक से आए हैं. इसी के अनुरूप यह निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की गई है. अगर इसमें कोई गलती है तो यह सुनिश्चित करने के लिए दोबारा जांच की जाएगी.

कहां होती है फॉगिंग? : छिड़काव और डस्टिंग के लिए नासिक नगर निगम ही ठेकेदार को दवा देता है. लेकिन आख़िर ये दवाएं जाती कहां हैं? यह प्रश्न है. कई जगहों पर दवा के नाम पर गाड़ियों का खराब काला तेल छिड़कने की बात कही जाती है. इसलिए इन दवाओं की अचानक जांच करना जरूरी है.दूसरी बात यह है कि 1 हजार 397 घरों में इनडोर फॉगिंग दिखाई गई है.

जांच की मांग : आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता जितेंद्र भावे ने कहा है कि 'हमें इस पर आपत्ति है और हमें उन लोगों के नाम जानने की जरूरत है जिनकी जांच की गई. हमारा आरोप है कि यह रिपोर्ट महज एक दस्तावेज है. हम कहते हैं कि असली गद्दार तो भ्रष्ट सरकारी अधिकारी और कर्मचारी हैं.'

उन्होंने कहा कि पूरा नासिक नगर निगम नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है और इस मामले की गहन जांच की जानी चाहिए.

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