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महाराष्ट्र: पत्नी से समलैंगिक होने की बात छुपाने के आरोपी को अदालत ने नहीं दी अग्रिम जमानत - maharashtra court consealing homosexuality case

महाराष्ट्र की एक जिला अदालत ने अपने समलैंगिक होने की बात छुपाने वाले व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी है. न्यायाधीश ने आरोपी को कहा कि प्रथम दृष्टया यह लगता है कि आरोपी का धोखा देने का इरादा था.

maharashtra court consealing homosexuality case
महाराष्ट्र कोर्ट समलैंगिक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज
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Published : Apr 8, 2022, 2:13 PM IST

ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने नवी मुंबई के उस 32 वर्षीय व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिसने अपने समलैंगिक होने की बात पत्नी से छुपाकर उसे कथित रूप से धोखा दिया. व्यक्ति पर यह भी आरोप है कि उसने अपने एक समलैंगिक साथी पर अपने और अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर जाने के लिए भी दबाव बनाया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर एस गुप्ता ने मंगलवार को व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी. आदेश की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई.

आरोपी और शिकायतकर्ता (30) एक सोशल मीडिया मंच के जरिए एक दूसरे से मिले थे और दोनों का नंवबर 2021 में विवाह हुआ था. महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि विवाह के बाद उसे पता चला कि उसका पति समलैंगिक है और उसे उसके निजी व्हाट्सऐप संदेशों एवं मोबाइल में मौजूद कुछ वीडियो से पता चला कि उसके मुंबई के दो पुरुषों के साथ यौन संबंध हैं. महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि जब उसने अपनी पति से इस बारे में सवाल किए, तो उसने उसे चाकू से डराया गया.

शिकायतकर्ता के वकील सागर कदम ने अदालत से कहा कि उनके विवाह से पहले उसे प्रभावित करने के लिए आरोपी ने उसे नौकरी का एक फर्जी पत्र दिखाया, जिसमें लिखा था कि उसका वेतन 14 लाख रुपये प्रति वर्ष है. कदम और अभियोजक वी ए कुलकर्णी ने अभिवेदन दिया कि आरोपी ने विवाह से पहले इस तथ्य को छुपाया कि वह समलैंगिक है और इस तरह उसने शिकायतकर्ता को धोखा दिया और उसका जीवन बर्बाद कर दिया.

यह भी पढ़ें-आंध्र प्रदेश HC ने 8 आईएएस को हॉस्टल में सेवा करने की दी अनोखी सजा, जानें क्यों

जांच अधिकारी ने कहा कि आरोपी और उसके अन्य पुरुष साथियों के बीच फोन पर हुई बातचीत (चैट) स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि वह समान लिंग के लोगों के साथ यौन संबंध में रुचि रखता है. वहीं बचाव पक्ष के वकील ने अभियोजन पक्ष का विरोध करते हुए कहा कि इन आरोपों का उद्देश्य उसे बदनाम एवं परेशान करना है और उसने राहत की मांग की. न्यायाधीश ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, 'प्रथम दृष्टया यह लगता है कि आरोपी का धोखा देने का इरादा था, उसने शिकायतकर्ता के माता-पिता को वित्तीय नुकसान पहुंचाकर और शिकायतकर्ता के जीवन को अपूरणीय क्षति पहुंचाकर धोखाधड़ी की.'

(पीटीआई-भाषा)

ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने नवी मुंबई के उस 32 वर्षीय व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिसने अपने समलैंगिक होने की बात पत्नी से छुपाकर उसे कथित रूप से धोखा दिया. व्यक्ति पर यह भी आरोप है कि उसने अपने एक समलैंगिक साथी पर अपने और अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर जाने के लिए भी दबाव बनाया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर एस गुप्ता ने मंगलवार को व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी. आदेश की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई.

आरोपी और शिकायतकर्ता (30) एक सोशल मीडिया मंच के जरिए एक दूसरे से मिले थे और दोनों का नंवबर 2021 में विवाह हुआ था. महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि विवाह के बाद उसे पता चला कि उसका पति समलैंगिक है और उसे उसके निजी व्हाट्सऐप संदेशों एवं मोबाइल में मौजूद कुछ वीडियो से पता चला कि उसके मुंबई के दो पुरुषों के साथ यौन संबंध हैं. महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि जब उसने अपनी पति से इस बारे में सवाल किए, तो उसने उसे चाकू से डराया गया.

शिकायतकर्ता के वकील सागर कदम ने अदालत से कहा कि उनके विवाह से पहले उसे प्रभावित करने के लिए आरोपी ने उसे नौकरी का एक फर्जी पत्र दिखाया, जिसमें लिखा था कि उसका वेतन 14 लाख रुपये प्रति वर्ष है. कदम और अभियोजक वी ए कुलकर्णी ने अभिवेदन दिया कि आरोपी ने विवाह से पहले इस तथ्य को छुपाया कि वह समलैंगिक है और इस तरह उसने शिकायतकर्ता को धोखा दिया और उसका जीवन बर्बाद कर दिया.

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जांच अधिकारी ने कहा कि आरोपी और उसके अन्य पुरुष साथियों के बीच फोन पर हुई बातचीत (चैट) स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि वह समान लिंग के लोगों के साथ यौन संबंध में रुचि रखता है. वहीं बचाव पक्ष के वकील ने अभियोजन पक्ष का विरोध करते हुए कहा कि इन आरोपों का उद्देश्य उसे बदनाम एवं परेशान करना है और उसने राहत की मांग की. न्यायाधीश ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, 'प्रथम दृष्टया यह लगता है कि आरोपी का धोखा देने का इरादा था, उसने शिकायतकर्ता के माता-पिता को वित्तीय नुकसान पहुंचाकर और शिकायतकर्ता के जीवन को अपूरणीय क्षति पहुंचाकर धोखाधड़ी की.'

(पीटीआई-भाषा)

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