औरंगाबाद (महाराष्ट्र) : पत्नियों से छुटकारा पाने को पतियों ने पीपल के पेड़ के चारों तरफ उल्टी दिशा में धागा बांधकर मन्नत मांगी की कि ऐसी पत्नियां सात जन्म तो क्या सात सेकंड के लिए भी नहीं चाहिए. हालांकि पत्नियों के संगठन ने इसका विरोध किया है. वट पूर्णिमा को वट सावित्री के नाम से भी जाना जाता है. यह एक ऐसा पर्व है जहां शादीशुदा महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों तरफ धागा बांधकर अगले सात जन्मों तक अपने पति का साथ मांगती हैं. इस दिन हिंदू महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं. यह पर्व सावित्री और सत्यवान की कथा पर आधारित है जहां सावित्री ने मृत्यु देवता यम से अपने पति सत्यवान का जीवन वापस हासिल कर लिया था.
सोमवार की सुबह औरंगाबाद जिले के वालुज स्थित पत्नी पीड़ित पुरुष के आश्रम में पीपल पूर्णिमा मनाने के लिए पत्नी पीड़ित पुरुष एकत्र हुए. आश्रम के संस्थापक अध्यक्ष एड. भरत फुलारे, भाऊसाहेब सालुंके, पांडुरंग गंडुले, सोमनाथ मनाल, चरण सिंह गुसिंगे, भिक्कन चंदन, संजय भांड, बंकर, नटकर, कांबले उस समय मौजूद थे. पत्नी पीड़ित पुरुष संगठन हमेशा उन पुरुषों के पक्ष में लड़ता है जिन्हें उनकी पत्नी परेशान करती हैं.
वट सावित्री पूर्णिमा पर महिलाएं पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं. हालांकि संगठन के भरत फुलारी ने कहा कि कुछ महिलाओं को यह अधिकार नहीं है. पीपल के पेड़ की पूजा करके महिलाएं भगवान से मांगती हैं कि उन्हें एक ही पति को सात जन्म दें, जबकि कुछ पुरुषों और उनके परिवारों के साथ महिलाओं द्वारा गलत व्यवहार किया जाता है. उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न कानून बनाए गए हैं. उन कानूनों के आधार पर ससुर के अलावा परिवार के लोगों के खिलाफ झूठे आरोप लगाए जाते हैं. इस एकतरफा कानून ने पुरुषों और महिलाओं को गुलाम बना लिया. उन्होंने पुरुषों को सशक्त बनाने की जरूरत पर जोर दिया.