प्रयागराज : ईटीवी भारत के पास महंत नरेंद्र गिरि का 13 पन्ने का सुसाइड नोट है. हर पन्ने के नीचे उन्होंने दस्तखत किया हुआ है. इसमें लिखा है कि इस महीने की 13 तारीख को भी उनके मन में आत्महत्या करना का खयाल आया था. सुसाइड नोट में तारीख है, सिलसिलेवार तरीके से बताया गया है कि आनंद गिरि से वे कैसे मानसिक तौर पर परेशान रहते थे, उसके बाद आद्या प्रसाद तिवारी का क्या रोल था, संदीप तिवारी का क्या रोल था, उत्तराधिकारी बलबीर पुरी को बनाया जाएगा उसके बारे में जिक्र है. जिन लोगों ने उनका (नरेंद्र गिरि) का साथ दिया और मदद की उनका जिक्र है. इस सुसाइड नोट में इस बात का भी जिक्र है कि उनके (नरेंद्र गिरि) मन में इसी महीने की 13 तारीख को भी आत्महत्या करने का खयाल आया था.
महंत नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत का जिम्मेदार शिष्य आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी संदीप तिवारी को ठहराया है. उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि उनके आत्महत्या के लिए जिम्मेदार इन तीन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
गद्दी का महंत बलवीर गिरि को बनाया जाए
महंत नरेंद्र गिरी ने सुसाइड नोट में लिखा है कि ' प्रयागराज पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से अनुरोध करता हूं कि मेरे आत्महत्या के जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी संदीप तिवारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए, जिससे मेरी आत्मा को शांति मिले. उन्होंने लिखा है कि 'बलवीर गिरि मठ मंदिर की व्यवस्था प्रयास करना, जिस तरह मैंने किया, उसी तरह करना. आशुतोष गिरि एवं गद्दी के सभी महात्मा का सहयोग करना. परमपूज्य हरिगोविंद गिरि से निवेदन है कि गद्दी का महंत बलवीर गिरि को बनाना. महंत रविंद्र पुरी जी आपने हमेशा साथ दिया. मेरे मरने के बाद बलवीर गिरि का ध्यान रखिएगा.'
अगले पेज पर लिखा है ' मैं महंत गिरि, वैसे तो मैं 13 सितंबर 2021 को आत्महत्या करने जा रहा था लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया. आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक-दो दिन में आनंद गिरि कंप्यूटर के माध्यम से मोबाइल से मेरी फोटो लगाकार किसी लड़की या महिला के साथ गलत काम करते हुए फोटो वायरल कर देगा.मैंने सोचा कहां-कहां सफाई दूंगा. एक बार तो मैं बदनाम हो जाऊंगा. मैं जिस पद पर हूं, वह गरिमामयी पद है. सच्चाई तो लोगों को बाद में पता चलेगा, लेकिन मैं तो बदनाम हो जाऊंगा. इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं. जिसकी जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी एवं उसका लड़का संदीप तिवारी है.
सुसाइड नोट के पहले पन्ने पर महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा है कि मैं महंत नरेंद्र गिरि मठ बाघम्बरी गद्दी बड़े हनुमान मंदिर लेटे हनुमान जी वर्तमान में अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अपने होशो हवास में बगैर किसी दबाव में यह बात लिख रहा हूं. जब से आनंद गिरि ने मेरे ऊपर असत्य मनगढ़ंत आरोप लगाया तब से मैं मानसिक दबाव में जी रहा हूं. जब भी मैं एकांत में रहता हूं मर जाने की इच्छा होती है. आनंद गिरि आद्या प्रसाद तिवारी उनका लड़का संदीप तिवारी ने मिलकर मेरे साथ विश्वासघात किया मुझे जान से मारने का प्रयास किया. सोशल मीडिया फेसबुक एवं समाचार पत्रों में आनंद गिरी ने मेरे चरित्र के ऊपर मनगढ़ंत आरोप लगाया. मैं मरने जा रहा हूं सत्य बोलूंगा मेरा घर से कोई संबंध नहीं है. मैंने एक भी पैसा घर पर नहीं दिया है.
मेरी एवं मठ मंदिर की बदनामी हुई
मैंने मंदिर एवं मठ में पैसा लगाया है. 2004 में मैं महंत बना, 2009 से अभी तक जो मठ एवं मंदिर का विकास किया वो सभी भक्तों जानते हैं.आनंद गिरी द्वारा जो भी आरोप लगाया गया उससे मेरी एवं मठ मंदिर की बदनामी हुई है.मैं बहुत आहत हूं मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं मेरे मरने की संपूर्ण जिम्मेदारी आनंद गिरी आद्या प्रसाद तिवारी जो मंदिर में पुजारी हैं व आद्या प्रसाद तिवारी का बेटा संदीप तिवारी की होगी. मैं समाज में हमेशा शान से जिया लेकिन आनंद गिरि ने मुझे कई तरीके से बदनाम किया.इसके साथ ही उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा हुआ है कि आनंद गिरि ने किसी महिला के साथ उनकी कुछ इस तरह की तस्वीरें तैयार कर ली हैं. जिसके जरिए आनंद गिरि उन्हें डरा धमका रहा है.
सुसाइड लेटर में उत्तराधिकारी का भी किया जिक्र
इसके साथ ही इस सुसाइड लेटर में महंत नरेंद्र गिरि ने अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया है.सुसाइड लेटर में एक पन्ने पर उन्होंने लिखा है कि प्रिय बलवीर गिरी ओम नमो नारायण मैंने तुम्हारे नाम से रजिस्टर्ड वसीयत की है जिसमें लिखा है कि मेरे ब्रह्मलीन होने के बाद तुम ही बड़े हनुमान मंदिर के महंत बनोगे.इसके साथ ही उन्होंने अपने उत्तराधिकारी से इस लेटर में यह भी अनुरोध किया है कि उनकी मौत के बाद उनके साथ लगे हुए विद्यार्थियों का ख्याल रखा जाए.जिसमें मिथिलेश पांडे,रामकृष्ण पांडे, मनीष शुक्ला, शिवेश कुमार मिश्रा, अभिषेक कुमार मिश्रा, उज्जवल द्विवेदी, प्रज्वल द्विवेदी, अभय द्विवेदी, निर्भय द्विवेदी, सुमित तिवारी का ध्यान देने की बात कही है.उन्होंने अपने उत्तराधिकारी से यह भी अपील की है कि इन शिष्यों का उसी तरह से ध्यान रखना जैसा मेरे समय में रखा जाता रहा है.
साथ ही अपने इन खास शिष्यों के लिए भी उन्होंने एक पैगाम छोड़ा है जिसमें उन्होंने इन शिष्यों से कहा कि वह बलवीर गिरी का मान सम्मान सेवा उसी तरह से करेंगे जैसे मेरी करते थे.साथ ही उनका साथ भी उसी तरह से देंगे जैसे मेरा साथ देते थे.इसके साथ ही सुसाइड लेटर में यह भी लिखा है कि किन शिष्यों को कौन सी दुकान कितने किराए पर दी है.इसके साथ ही 25 लाख रुपये रियल स्टेट के लेने देन का भी जिक्र सुसाइड लेटर में किया गया है.
अपनी समाधि की जगह भी लिखी है
महंत नरेंद्र गिरी ने सुसाइड लेटर में अपनी समाधि की जगह का उल्लेख किया है.उन्होंने लिखा है कि मठ बाघम्बरी गद्दी में पार्क में नींबू के पेड़ के नीचे बनवाने के बारे में लिखा है इसे ही उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा भी बताई है.