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नरेंद्र गिरि सुसाइड मामला : महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने उठाए कई सवाल, अखाड़ा परिषद की टीम 16 दिन में करेगी गुप्त जांच - प्रयागराज का समाचार

महंत नरेंद्र गिरि के संदिग्ध मौत और सुसाइड नोट के मामले में सीबीआई ने जांच तेज कर दी है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज ने फिर एक बार सुसाइड और सुसाइड नोट पर सवाल खड़े किए हैं. वहीं आखिल भारतीय अखाड़ा परिसद के राष्ट्रीय महासचिव हिरि गिरि ने कहा कि 16 दिनों तक अखाड़ा परिषद इस मामले में गुप्त जांच करेगा. जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी. यह जांच अखाड़ा परिषद की टीम करेगी.

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Published : Sep 23, 2021, 7:17 PM IST

Updated : Sep 23, 2021, 11:05 PM IST

प्रयागराज : पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने महंत नरेंद्र गिरि की सुसाइड और उनके सुसाइड नोट पर कई सवाल खड़े किए हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी खुद इस मामले की सच्चाई सामने लाना चाहते हैं. जिसकी वजह से उन्होंने सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी है. सीबीआई जांच में पूरे मामले की सच्चाई सामने आ जाएगी.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज ने साफ कहा है कि वो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि को सालों से जानते थे. उनके अनुसार वो नरेंद्र गिरि को जितना जानते थे उसके मुताबिक नरेंद्र गिरि को सिर्फ एक ही श्लोक याद था, जिसे वो हमेशा बोलते थे. उनके मुताबिक अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष होने के नाते वो जितना भी पत्र जारी करते थे, वो सब भी अपने शिष्यों से ही लिखवाकर जारी करते थे. जिसमें उनके सिर्फ दस्तखत रहते थे. ऐसे में आचार्य महामंडलेश्वर ने उस सुसाइड नोट को एक बार फिर संदिग्ध बताते हुए फर्जी करार दिया है. यही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि अगर ये सुसाइड नोट जांच में सही पाया जाता है, तो ये महंत नरेंद्र गिरि के जीवन का पहला और आखिरी पत्र साबित होगा. क्योंकि इससे पहले कभी महंत नरेंद्र गिरि ने इतना लंबा चौड़ा कोई भी पत्र नहीं लिखा होगा.

महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि से खास बातचीत.

सीबीआई जांच में सच्चाई आएगी सामने

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने यह बात भी कही है कि महंत नरेंद्र गिरि की पढ़ाई कहां तक हुई थी. सीबीआई ही जांच करके अब इस बात का भी खुलासा करेगी. कैलाशानंद महाराज ने दोहराया कि उनकी जहां तक जानकारी है महंत नरेंद्र गिरी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे. लेकिन अब जिस तरह से उनके पढ़े-लिखे होने का दावा किया जा रहा है, उसको लेकर भी उन्होंने सवाल खड़े किए. उनका कहना है कि सीबीआई जांच में इस बात का भी खुलासा होगा कि आखिर नरेंद्र गिरी ने कहां तक पढ़ाई की थी. उनकी जो डिग्री सर्टिफिकेट इस समय मीडिया के सामने लाया जा रहा है. उसकी सच्चाई भी सीबीआई ही सामने लाएगी.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज ने यह भी दावा किया कि नरेंद्र गिरी का ऐसा कोई वीडियो नहीं हो सकता है. जिसके बदले उन्हें इतना मजबूर कर दिया जाए कि वह आत्महत्या जैसा कदम उठाएं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि नरेंद्र गिरी को वह बहुत करीब से जानते थे. उनको पूरा भरोसा है कि नरेंद्र गिरी का ऐसा चरित्र नहीं था कि उनका कोई ऐसा वीडियो बना ले, जिसके नाम पर उन्हें ब्लैकमेल कर इस तरह दबाव में डाला जाए कि वह जान देने के लिए मजबूर हो जाएं.

पढ़ें- नरेंद्र गिरि केस की जांच के लिए पांच सदस्यीय CBI की टीम पहुंची प्रयागराज, जुटा रही जानकारी

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर ने यह भी कहा कि महंत नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी कौन होगा. इसको लेकर फिलहाल कोई विवाद नहीं है. अभी उनके द्वारा बताए जा रहे सुसाइड नोट की जांच होगी. जांच में अगर सुसाइड नोट सही साबित होता है, तो उसी के अनुसार उत्तराधिकारी बनाया जा सकता है. लेकिन अगर जांच सुसाइड नोट फर्जी निकलता है, तो उत्तराधिकारी किसे बनाया जाएगा. इसका फैसला अखाड़े के अंदर का अपना विवाद है. जिसे निरंजनी अखाड़ा के पंच परमेश्वर खुद ही निपटा लेंगे.

संदेहास्पद विषय सुसाइड लेटर

मामले में प्रयागपीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने गुरुवार को दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि नरेंद्र गिरि की मौत में सबसे पहला संदेहास्पद विषय वह सुसाइड लेटर है, क्योंकि महंत नरेंद्र गिरि कभी ज्यादा लिखते नहीं थे. वह केवल हस्ताक्षर ही करते थे. पत्र यदि उनके कमरे से बरामद हुआ तो उसे अब तक फोरेंसिक जांच के लिये क्यों नहीं भेजा गया और मीडिया में सार्वजनिक भी कर दिया गया. जबकि उस पत्र को बिना किसी के हाथ से छुए ही फोरेंसिक जांच के लिये भेजा जाना चाहिये था.

स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने भी उठाए सवाल.

महिला से संबंध पर भी सवाल उठाते हुए ओंकारानंद सरस्वती ने कहा कि यदि महंत को कुछ छिपाना होता या उनके अंदर कोई दोष होता तो वह इसका उल्लेख मरने से पहले पत्र में नहीं करते. इसके पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र है और पत्र कहाँ से आया इसकी जांच भी होनी चाहिये.

16 दिनों तक होगी गुप्त जांच

वहीं आखिल भारतीय अखाड़ा परिसद के राष्ट्रीय महासचिव हिरि गिरि ने कहा कि 16 दिनों तक अखाड़ा परिषद इस मामले में गुप्त जांच करेगा. जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी. यह जांच अखाड़ा परिषद की टीम करेगी. इससे पहले कई मठों के साधु-संतों और राजनीतिक दलों ने महंत नरेंद्र गिरि की मौत की जांच केंद्रीय एजेंसी से करवाने की मांग की थी.

राष्ट्रीय महासचिव हिरि गिरि ने बताया कि भू-समाधि के बाद तीन दिन बाद अखाड़े में चूल्हा जलेगा और कच्चे भंडारे का आयोजन होगा. अखाड़ा परिसद के आह्वान पर देश के 13 अखाड़ों के संत और महात्मा 13 दिनों तक शोक में रहेंगे. हिरि गिरि के अनुसार, महंत नरेंद्र गिरि की समाधि के एक वर्ष पूर्ण होने पर पक्की समाधि बनाई जाएगी. समाधि के ऊपर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की जाएगी. मान्यता के अनुसार, एक साल तक भू में तपस्या करने के बाद महंत का शरीर भगवान शिव को समर्पित हो जाता है. इसीलिए श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए उसी समाधि के ऊपर शिव मंदिर स्थापित किया जाता है.

पढ़ेंः राजसी ठाठ-बाट के लिए चर्चित आनंद गिरि खा रहा जेल की दाल-रोटी, जानें कैसी बीती रात

प्रयागराज : पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने महंत नरेंद्र गिरि की सुसाइड और उनके सुसाइड नोट पर कई सवाल खड़े किए हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी खुद इस मामले की सच्चाई सामने लाना चाहते हैं. जिसकी वजह से उन्होंने सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी है. सीबीआई जांच में पूरे मामले की सच्चाई सामने आ जाएगी.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज ने साफ कहा है कि वो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि को सालों से जानते थे. उनके अनुसार वो नरेंद्र गिरि को जितना जानते थे उसके मुताबिक नरेंद्र गिरि को सिर्फ एक ही श्लोक याद था, जिसे वो हमेशा बोलते थे. उनके मुताबिक अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष होने के नाते वो जितना भी पत्र जारी करते थे, वो सब भी अपने शिष्यों से ही लिखवाकर जारी करते थे. जिसमें उनके सिर्फ दस्तखत रहते थे. ऐसे में आचार्य महामंडलेश्वर ने उस सुसाइड नोट को एक बार फिर संदिग्ध बताते हुए फर्जी करार दिया है. यही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि अगर ये सुसाइड नोट जांच में सही पाया जाता है, तो ये महंत नरेंद्र गिरि के जीवन का पहला और आखिरी पत्र साबित होगा. क्योंकि इससे पहले कभी महंत नरेंद्र गिरि ने इतना लंबा चौड़ा कोई भी पत्र नहीं लिखा होगा.

महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि से खास बातचीत.

सीबीआई जांच में सच्चाई आएगी सामने

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने यह बात भी कही है कि महंत नरेंद्र गिरि की पढ़ाई कहां तक हुई थी. सीबीआई ही जांच करके अब इस बात का भी खुलासा करेगी. कैलाशानंद महाराज ने दोहराया कि उनकी जहां तक जानकारी है महंत नरेंद्र गिरी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे. लेकिन अब जिस तरह से उनके पढ़े-लिखे होने का दावा किया जा रहा है, उसको लेकर भी उन्होंने सवाल खड़े किए. उनका कहना है कि सीबीआई जांच में इस बात का भी खुलासा होगा कि आखिर नरेंद्र गिरी ने कहां तक पढ़ाई की थी. उनकी जो डिग्री सर्टिफिकेट इस समय मीडिया के सामने लाया जा रहा है. उसकी सच्चाई भी सीबीआई ही सामने लाएगी.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज ने यह भी दावा किया कि नरेंद्र गिरी का ऐसा कोई वीडियो नहीं हो सकता है. जिसके बदले उन्हें इतना मजबूर कर दिया जाए कि वह आत्महत्या जैसा कदम उठाएं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि नरेंद्र गिरी को वह बहुत करीब से जानते थे. उनको पूरा भरोसा है कि नरेंद्र गिरी का ऐसा चरित्र नहीं था कि उनका कोई ऐसा वीडियो बना ले, जिसके नाम पर उन्हें ब्लैकमेल कर इस तरह दबाव में डाला जाए कि वह जान देने के लिए मजबूर हो जाएं.

पढ़ें- नरेंद्र गिरि केस की जांच के लिए पांच सदस्यीय CBI की टीम पहुंची प्रयागराज, जुटा रही जानकारी

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर ने यह भी कहा कि महंत नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी कौन होगा. इसको लेकर फिलहाल कोई विवाद नहीं है. अभी उनके द्वारा बताए जा रहे सुसाइड नोट की जांच होगी. जांच में अगर सुसाइड नोट सही साबित होता है, तो उसी के अनुसार उत्तराधिकारी बनाया जा सकता है. लेकिन अगर जांच सुसाइड नोट फर्जी निकलता है, तो उत्तराधिकारी किसे बनाया जाएगा. इसका फैसला अखाड़े के अंदर का अपना विवाद है. जिसे निरंजनी अखाड़ा के पंच परमेश्वर खुद ही निपटा लेंगे.

संदेहास्पद विषय सुसाइड लेटर

मामले में प्रयागपीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने गुरुवार को दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि नरेंद्र गिरि की मौत में सबसे पहला संदेहास्पद विषय वह सुसाइड लेटर है, क्योंकि महंत नरेंद्र गिरि कभी ज्यादा लिखते नहीं थे. वह केवल हस्ताक्षर ही करते थे. पत्र यदि उनके कमरे से बरामद हुआ तो उसे अब तक फोरेंसिक जांच के लिये क्यों नहीं भेजा गया और मीडिया में सार्वजनिक भी कर दिया गया. जबकि उस पत्र को बिना किसी के हाथ से छुए ही फोरेंसिक जांच के लिये भेजा जाना चाहिये था.

स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने भी उठाए सवाल.

महिला से संबंध पर भी सवाल उठाते हुए ओंकारानंद सरस्वती ने कहा कि यदि महंत को कुछ छिपाना होता या उनके अंदर कोई दोष होता तो वह इसका उल्लेख मरने से पहले पत्र में नहीं करते. इसके पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र है और पत्र कहाँ से आया इसकी जांच भी होनी चाहिये.

16 दिनों तक होगी गुप्त जांच

वहीं आखिल भारतीय अखाड़ा परिसद के राष्ट्रीय महासचिव हिरि गिरि ने कहा कि 16 दिनों तक अखाड़ा परिषद इस मामले में गुप्त जांच करेगा. जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी. यह जांच अखाड़ा परिषद की टीम करेगी. इससे पहले कई मठों के साधु-संतों और राजनीतिक दलों ने महंत नरेंद्र गिरि की मौत की जांच केंद्रीय एजेंसी से करवाने की मांग की थी.

राष्ट्रीय महासचिव हिरि गिरि ने बताया कि भू-समाधि के बाद तीन दिन बाद अखाड़े में चूल्हा जलेगा और कच्चे भंडारे का आयोजन होगा. अखाड़ा परिसद के आह्वान पर देश के 13 अखाड़ों के संत और महात्मा 13 दिनों तक शोक में रहेंगे. हिरि गिरि के अनुसार, महंत नरेंद्र गिरि की समाधि के एक वर्ष पूर्ण होने पर पक्की समाधि बनाई जाएगी. समाधि के ऊपर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की जाएगी. मान्यता के अनुसार, एक साल तक भू में तपस्या करने के बाद महंत का शरीर भगवान शिव को समर्पित हो जाता है. इसीलिए श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए उसी समाधि के ऊपर शिव मंदिर स्थापित किया जाता है.

पढ़ेंः राजसी ठाठ-बाट के लिए चर्चित आनंद गिरि खा रहा जेल की दाल-रोटी, जानें कैसी बीती रात

Last Updated : Sep 23, 2021, 11:05 PM IST
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