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माघ पूर्णिमा के दिन नदी में स्नान का है विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त और विधि-विधान

माघ पूर्णिमा इस वर्ष 27 फरवरी यानी शानिवार को है. पुराणों में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और ध्यान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. जानें माघ पूर्णिमा के महत्व के बारे में.

माघ पूर्णिमा व्रत
माघ पूर्णिमा व्रत
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Published : Feb 27, 2021, 5:01 AM IST

प्रयागराज : सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और ध्यान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. वैसे तो साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं, जिसमें पूर्ण चंद्रोदय होता है, लेकिन माघ महीने की पूर्णिमा का महत्व ज्यादा होता है. 'माघ पूर्णिमा' के दिन लोग पवित्र नदियों और मुख्य रूप से गंगा नदी में स्नान करते हैं. साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.

कब पड़ती है माघ पूर्णिमा
पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि पूर्णिमा तिथि को बेहद शुभ माना जाता है. हर मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा तिथि होती है और इस साल माघ मास की पूर्णिमा 27 फरवरी यानी आज है. इस दिन दान पुण्य और स्नान करने का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि माघी पूर्णिमा या माघ पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ उदित होते हैं.

माघ पूर्णिमा के दिन नदी में स्नान का महत्व.

माघी पूर्णिमा का स्नान
उदया तिथि आज यानी 27 फरवरी को है, इसलिए इस दिन मुख्य रूप से पूर्णिमा तिथि मनाई जाएगी और इसी दिन नदियों में स्नान से पुण्य की प्राप्ति होगी. जो पूर्णिमा व्रत रखकर चन्द्रमा को अर्घ्य देते हैं, उन्हें पूर्णिमा व्रत 26 फरवरी 2021 शुक्रवार को ही रखना चाहिए और भगवान सत्य नारायण की पूजा कथा भी 26 फरवरी को ही करनी चाहिए. किन्तु पूर्णिमा का पुण्यकाल का स्नान 27 फरवरी को करना चाहिए.

पवित्र नदियों में स्नान का लाभ
कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदी जैसे गंगा में स्नान करने से और दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन पवित्र मां गंगा, यमुना, सरस्वती के अद्भुत संगम जैसे तीर्थ स्थानों में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है. इसलिए संगम में माघी पूर्णिमा का स्नान करने देश के कोने-कोने से लोग आते हैं. हिन्दू मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा पर स्नान करने वाले लोगों पर भगवान विष्णु मुख्य रूप से प्रसन्न होते हैं और उन्हें सुख सौभाग्य और धन-संतान तथा मोक्ष प्रदान करते हैं.

पूर्णिमा का महत्व
माघ का पूरा महीना ही पूजा-पाठ करने और विशेष पुण्य देने वाला माना गया है. ऐसे में माघ की पूर्णिमा का महत्व तो और अधिक बढ़ जाता है. पद्मपुराण में कहा गया है कि माघ पूर्णिमा के दिन स्वंय भगवान विष्णु गंगा नदी में निवास करते हैं. इसीलिए ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा जल के स्पर्श मात्र से समस्त पापों का नाश हो जाता है.

माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है-

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 26 फरवरी 2021 शुक्रवार को दोपहर 1 बजकर 56 मिनट से.
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 27 फरवरी 2021 शनिवार दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक.

माघ पूर्णिमा की कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, कांतिका नगर में धनेश्वर नाम का ब्राह्मण निवास करता था. वह अपना जीवन निर्वाह दान पर करता था. ब्राह्मण और उसकी पत्नी के कोई संतान नहीं थी. एक दिन उसकी पत्नी नगर में भिक्षा मांगने गई, लेकिन सभी ने उसे बांझ कहकर भिक्षा देने से इनकार कर दिया. तब किसी ने उससे 16 दिन तक मां काली की पूजा करने को कहा, उसके कहे अनुसार ब्राह्मण दंपती ने ऐसा ही किया. उनकी आराधना से प्रसन्न होकर 16 दिन बाद मां काली प्रकट हुई. मां काली ने ब्राह्मण की पत्नी को गर्भवती होने का वरदान दिया और कहा कि अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा को तुम दीपक जलाओ. इस तरह हर पूर्णिमा के दिन तक दीपक बढ़ाती जाना.

ब्राह्मण ने अपनी पत्नी को पूजा के लिए पेड़ से आम का कच्चा फल तोड़कर दिया. उसकी पत्नी ने पूजा की और फलस्वरूप वह गर्भवती हो गई. प्रत्येक पूर्णिमा को वह मां काली के कहे अनुसार दीपक जलाती रही. मां काली की कृपा से उनके घर एक पुत्र ने जन्म लिया, जिसका नाम देवदास रखा. देवदास जब बड़ा हुआ तो उसे अपने मामा के साथ पढ़ने के लिए काशी भेजा गया. काशी में उन दोनों के साथ एक घटना घटी जिसके कारण धोखे से देवदास का विवाह हो गया.

यह भी पढ़ें- बढ़ता ध्वनि प्रदूषण लोगों के लिए कैसे बन सकता है जानलेवा, जानें

कुछ समय बाद काल उसके प्राण लेने आया लेकिन ब्राह्मण दंपती ने पूर्णिमा का व्रत रखा था, इसलिए काल उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाया. तभी से कहा जाता है कि पूर्णिमा के दिन व्रत करने से संकट से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

माघ पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
माघ पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए. मध्याह्न काल में गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना चाहिए. दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान में देना चाहिए. माघ माह में काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए.

पूर्णिमा के दिन दान करने से लाभ
पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि माघ पूर्णिमा में स्नान के बाद दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इसलिए इस दिन दान जरूर करना चाहिए. कहते हैं कि माघ पूर्णिमा में चावल, काला तिल, तिल का लड्डू, अन्न, वस्त्र या धन के दान से घर में सुख-शांति बनी रहती है.

प्रयागराज : सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और ध्यान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. वैसे तो साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं, जिसमें पूर्ण चंद्रोदय होता है, लेकिन माघ महीने की पूर्णिमा का महत्व ज्यादा होता है. 'माघ पूर्णिमा' के दिन लोग पवित्र नदियों और मुख्य रूप से गंगा नदी में स्नान करते हैं. साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.

कब पड़ती है माघ पूर्णिमा
पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि पूर्णिमा तिथि को बेहद शुभ माना जाता है. हर मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा तिथि होती है और इस साल माघ मास की पूर्णिमा 27 फरवरी यानी आज है. इस दिन दान पुण्य और स्नान करने का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि माघी पूर्णिमा या माघ पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ उदित होते हैं.

माघ पूर्णिमा के दिन नदी में स्नान का महत्व.

माघी पूर्णिमा का स्नान
उदया तिथि आज यानी 27 फरवरी को है, इसलिए इस दिन मुख्य रूप से पूर्णिमा तिथि मनाई जाएगी और इसी दिन नदियों में स्नान से पुण्य की प्राप्ति होगी. जो पूर्णिमा व्रत रखकर चन्द्रमा को अर्घ्य देते हैं, उन्हें पूर्णिमा व्रत 26 फरवरी 2021 शुक्रवार को ही रखना चाहिए और भगवान सत्य नारायण की पूजा कथा भी 26 फरवरी को ही करनी चाहिए. किन्तु पूर्णिमा का पुण्यकाल का स्नान 27 फरवरी को करना चाहिए.

पवित्र नदियों में स्नान का लाभ
कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदी जैसे गंगा में स्नान करने से और दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन पवित्र मां गंगा, यमुना, सरस्वती के अद्भुत संगम जैसे तीर्थ स्थानों में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है. इसलिए संगम में माघी पूर्णिमा का स्नान करने देश के कोने-कोने से लोग आते हैं. हिन्दू मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा पर स्नान करने वाले लोगों पर भगवान विष्णु मुख्य रूप से प्रसन्न होते हैं और उन्हें सुख सौभाग्य और धन-संतान तथा मोक्ष प्रदान करते हैं.

पूर्णिमा का महत्व
माघ का पूरा महीना ही पूजा-पाठ करने और विशेष पुण्य देने वाला माना गया है. ऐसे में माघ की पूर्णिमा का महत्व तो और अधिक बढ़ जाता है. पद्मपुराण में कहा गया है कि माघ पूर्णिमा के दिन स्वंय भगवान विष्णु गंगा नदी में निवास करते हैं. इसीलिए ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा जल के स्पर्श मात्र से समस्त पापों का नाश हो जाता है.

माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है-

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 26 फरवरी 2021 शुक्रवार को दोपहर 1 बजकर 56 मिनट से.
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 27 फरवरी 2021 शनिवार दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक.

माघ पूर्णिमा की कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, कांतिका नगर में धनेश्वर नाम का ब्राह्मण निवास करता था. वह अपना जीवन निर्वाह दान पर करता था. ब्राह्मण और उसकी पत्नी के कोई संतान नहीं थी. एक दिन उसकी पत्नी नगर में भिक्षा मांगने गई, लेकिन सभी ने उसे बांझ कहकर भिक्षा देने से इनकार कर दिया. तब किसी ने उससे 16 दिन तक मां काली की पूजा करने को कहा, उसके कहे अनुसार ब्राह्मण दंपती ने ऐसा ही किया. उनकी आराधना से प्रसन्न होकर 16 दिन बाद मां काली प्रकट हुई. मां काली ने ब्राह्मण की पत्नी को गर्भवती होने का वरदान दिया और कहा कि अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा को तुम दीपक जलाओ. इस तरह हर पूर्णिमा के दिन तक दीपक बढ़ाती जाना.

ब्राह्मण ने अपनी पत्नी को पूजा के लिए पेड़ से आम का कच्चा फल तोड़कर दिया. उसकी पत्नी ने पूजा की और फलस्वरूप वह गर्भवती हो गई. प्रत्येक पूर्णिमा को वह मां काली के कहे अनुसार दीपक जलाती रही. मां काली की कृपा से उनके घर एक पुत्र ने जन्म लिया, जिसका नाम देवदास रखा. देवदास जब बड़ा हुआ तो उसे अपने मामा के साथ पढ़ने के लिए काशी भेजा गया. काशी में उन दोनों के साथ एक घटना घटी जिसके कारण धोखे से देवदास का विवाह हो गया.

यह भी पढ़ें- बढ़ता ध्वनि प्रदूषण लोगों के लिए कैसे बन सकता है जानलेवा, जानें

कुछ समय बाद काल उसके प्राण लेने आया लेकिन ब्राह्मण दंपती ने पूर्णिमा का व्रत रखा था, इसलिए काल उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाया. तभी से कहा जाता है कि पूर्णिमा के दिन व्रत करने से संकट से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

माघ पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
माघ पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए. मध्याह्न काल में गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना चाहिए. दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान में देना चाहिए. माघ माह में काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए.

पूर्णिमा के दिन दान करने से लाभ
पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि माघ पूर्णिमा में स्नान के बाद दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इसलिए इस दिन दान जरूर करना चाहिए. कहते हैं कि माघ पूर्णिमा में चावल, काला तिल, तिल का लड्डू, अन्न, वस्त्र या धन के दान से घर में सुख-शांति बनी रहती है.

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