वाराणसी: 2 दिन पहले अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा मिली है. इसके बाद अब मुख्तार अंसारी का राजनीतिक करिअर खत्म ही माना जा रहा है. इन सबके बीच मुख्तार अंसारी के माफिया से माननीय बनने तक के सफर में कई ऐसे मुकदमे और मामले हैं, जिसमें मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई जा चुकी है और मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. लेकिन, अब भी कई फैसले आने बाकी हैं जो आने वाले दिनों में पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी की पकड़ को कमजोर तो करेंगे ही, साथ ही मुख्तार अंसारी को जेल की सलाखों से कभी बाहर नहीं निकलने देंगे.
मुख्तार अंसारी के ऊपर वर्तमान में 61 मुकदमे चल रहे हैं. इनमें से कई पर फैसला आया है, जबकि अभी कई ऐसे मामले हैं जो पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों में काफी चर्चित रहे हैं और इन पर भी जल्द फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है. आजमगढ़ एराकला गांव में ईंट भट्टा पर बिहार के मजदूर की गोलियों से छलनी करके हत्या समेत मऊ के दोहरे हत्याकांड के मामले में भी मुख्तार अंसारी को लेकर 13 जून को गवाही होनी है. गाजीपुर के एक गैंगस्टर के मामले में 13 जून को ही फैसला आने वाला है.
वरिष्ठ पत्रकार पवन सिंह बताते हैं कि नब्बे के दशक में पूर्वांचल की सरजमी पर जब जरायम की दुनिया में कई नए नाम जुड़ रहे थे, उस वक्त बड़े उद्योगपतियों से लेकर बड़े कारोबारियों के इशारों पर गुंडे माफिया काम करने की जगह सीधे उनके कारोबार में दखल देना शुरू कर चुके थे. जो उनके लिए भी बड़ा परेशानी का सबब बन रहा था. कल तक जिस कोयला कारोबार में बड़े कारोबारियों के लिए यह गुंडे काम करते थे. उन्होंने सीधे ही कोयले के कारोबार में उतरकर हत्याओं का ऐसा षड्यंत्र शुरू किया, जिसने पूर्वांचल में कोयले के इस काले कारोबार को माफिया की झोली में डाल दिया.
23 जनवरी 1997 को नंदकिशोर रुंगटा के अपहरण से एक नई आपराधिक पृष्ठभूमि सामने दिखाई देने लगी. वर्चस्व की जंग के दौरान कई बड़े गिरोह एक दूसरे के सामने नजर आने लगे. मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह समेत कई बड़े नाम कोयले के इस कारोबार से जुड़े और देखते ही देखते कारोबार की आपसी रंजिश खून खराबे में तब्दील होने लग गई. मुख्तार अंसारी इस पूरे कारोबार में बड़ी तेजी से उभरता हुआ नाम था. उसके गुर्गे पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों में रहते हुए चंदासी कोयला मंडी से इस कारोबार को विस्तार देने में जुटे हुए थे. इसकी वजह से मुख्तार का आपराधिक रिकॉर्ड भी तेजी से बढ़ता गया.
वरिष्ठ पत्रकार पवन सिंह का कहना है कि लगभग 3 दशक बाद मुकदमा एक के बाद एक अब न्यायालय में फैसले की तरफ बढ़ रहा है. इसमें किसी में 5 साल, किसी में 10 साल, किसी में 2 साल और वाराणसी में अवधेश राय हत्याकांड जो 1991 में हुआ था, उसमें मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. जो अब तक अलग-अलग मुकदमों में पहली बार हुई है. आजमगढ़ में 6 फरवरी 2014 को तरवा थाना के ऐराकला गांव में ईंट भट्टा में हुई बिहार के राम इकबाल की दर्दनाक हत्या में भी मुख्तार अंसारी पर मुकदमा दर्ज है. उस वक्त मुख्तार जेल में था. लेकिन, उसका नाम इस हत्या के षड्यंत्र में सामने आया था. इसके अलावा मऊ जिले में मुख्तार अंसारी के खिलाफ 45 मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन, सबसे चर्चित मन्ना सिंह हत्याकांड है, जिसमें दवा राम सिंह मौर्य और गनर सतीश कुमार की हत्या के बाद इस मामले में 13 जून को गवाहों के बयान दर्ज किए जाने हैं, जबकि 13 जून को ही गैंगस्टर के गाजीपुर के एक मामले में भी मुख्तार अंसारी का फैसला आने की उम्मीद है.
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