शिवमोग्गा: कर्नाटक के कई हिस्सों में ढेलेदार त्वचा रोग मवेशियों को सता रहा है. शिमोगा जिले के सोराबा तालुक के हिरेचौटी गांव में एक बैल ढेलेदार त्वचा रोग से पीड़ित है. ये पिछले एक हफ्ते से बिना सोए (बैठे) खड़ा है. ढीली त्वचा के कारण बैल असहनीय दर्द से पीड़ित है. मांसपेशियों में दर्द से सो नहीं पा रहा है.
पिछले एक सप्ताह से इसे ऐसे ही खड़ा देख इसके मालिक मंजूनाथ समेत परिवार के लोग परेशान हैं. चूंकि सरकारी पशु चिकित्सालय में उचित टीका उपलब्ध नहीं है, इसलिए बैल को एक निजी चिकित्सक को दिखाया गया है. डॉक्टर ने एंटीबायोटिक और पेनकिलर का टीका दिया. ढेलेदार चर्म रोग के कारण पशुओं की त्वचा पर गांठें पाई गईं.
इससे मवेशियों को तेज दर्द होता है. यह न केवल उन्हें चारा खाने से रोकता है, बल्कि बाद में उनकी मृत्यु का कारण भी बनता है. अभी भी इस बीमारी का कोई उचित इलाज नहीं है. पशुपालन विभाग ने कहा कि फिलहाल सिर्फ गोट पॉक्स की वैक्सीन दी जा रही है. पशुपालन विभाग के जिला निदेशक शिवयोगी एली ने त्वचा रोग के टीके के वितरण के बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि 'शिमोग्गा जिले में अब तक ढेलेदार त्वचा रोग से 57 मवेशियों की मौत हो चुकी है और लगभग 30 हजार गाय इस बीमारी से पीड़ित हैं.'
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उन्होंने कहा, 'जिले में अब तक 99 हजार गोट पॉक्स का टीका मिल चुका है. सबसे अधिक प्रभावित शिकारीपुरा तालुक को लगभग 50,000 टीके भेजे जा चुके हैं. तालुक के अनुसार लगभग 13,000 को सोराबा तालुक भेजा गया है. जिन जगहों पर बीमारी ज्यादा है, वहां संबंधित केंद्र से टीकाकरण शुरू कर दिया गया है. वर्तमान में सभी सरकारी पशु चिकित्सालयों में गोट पॉक्स का टीका उपलब्ध है. शिवयोगी एली ने कहा कि किसानों को सूचित किया गया है कि उनकी गायों का टीकाकरण किया जा सकता है.