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Ludhiana Gym Trainer cremated 100 dead bodies : न कोई रिश्ता नाता, फिर भी किये सौ से अधिक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार

लुधियाना की पूनम पठानी का लावारिस लाशों से कोई रिश्ता-नाता नहीं, इसके बावजूद उन्होंने अब तक 100 से अधिक ऐसे शवों का पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार किया है.

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Published : Jan 25, 2023, 6:25 PM IST

लुधियाना : पंजाब के लुधियाना की पूनम पठानी पिछले पांच सालों से लावारिस शवों की वारिस बनकर मानवता की अनूठी मिसाल पेश कर रही है. पूनम ने अबतक 100 से ज्यादा लावारिस लाशों का पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार किया है और यह कार्य वह आगे भी जारी रखना चाहती हैं. शहर में लावारिस लाश मिलने पर उसे मुखाग्नि देने से लेकर अंतिम संस्कार तक वह खुद ही करती हैं. इसके लिए होने वाले खर्चे भी वह स्वयं वहन करती हैं. उनके इस सेवाभाव की शहरभर में तारीफ की जाती है.

लावारिस लाश का अंतिम संस्कार
लावारिस लाश का अंतिम संस्कार

पूनम अपनी रोजी-रोटी के लिए कड़ी मेहनत करती हैं और लड़कियों को सेल्प डिफेंस की ट्रेनिंग भी देती हैं. इसके अलावा पंजाब के युवाओं को नशे की लत से दूर रखने का हरसंभव प्रयास करती हैं. रक्तदान शिविर जैसे महानदान में वह योगदान करती हैं. पूनम ने बताया कि 2019 में एक एक्सीडेंट में उनका पैर कट गया था. उसे डॉक्टरों ने कहा था कि उसका पैर काटना पड़ेगा, लेकिन उसने तीन-चार सर्जरी कराये, लेकिन पैर काटने नहीं दिया. वह व्हीलचेयर पर बैठने तक को तैयार थी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और फिर जिम शुरू किया और धीरे-धीरे अपने पैरों पर खड़ी होने लगी.

कोविड के दौरान शुरू हुआ पूनम ने लावारिस लाशों का दाह संस्कार करना शुरू किया. उन्होंने बताया कि उनके जिम में आने वाली एक लड़की के पिता की कोविड काल में मौत हो गई थी. लेकिन कोविड की वजह से मृतकों के रिश्तेदार पास आने से इनकार कर देते थे. ऐसे में पूनम ही आगे आईं और लड़की के पिता का अंतिम संस्कार कराने के लिए श्मशान पहुंच गई. वहां उन्होंने देखा कि ऐसी कई लाशें वहां थीं, जिनका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं. तभी उन्होंने तय कि ऐसे लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार वह अपने खर्चे से करेंगे. इस कार्य में उनके जिम में आने वाले लड़के-लड़कियां भी सहयोग करती हैं.

लुधियाना : पंजाब के लुधियाना की पूनम पठानी पिछले पांच सालों से लावारिस शवों की वारिस बनकर मानवता की अनूठी मिसाल पेश कर रही है. पूनम ने अबतक 100 से ज्यादा लावारिस लाशों का पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार किया है और यह कार्य वह आगे भी जारी रखना चाहती हैं. शहर में लावारिस लाश मिलने पर उसे मुखाग्नि देने से लेकर अंतिम संस्कार तक वह खुद ही करती हैं. इसके लिए होने वाले खर्चे भी वह स्वयं वहन करती हैं. उनके इस सेवाभाव की शहरभर में तारीफ की जाती है.

लावारिस लाश का अंतिम संस्कार
लावारिस लाश का अंतिम संस्कार

पूनम अपनी रोजी-रोटी के लिए कड़ी मेहनत करती हैं और लड़कियों को सेल्प डिफेंस की ट्रेनिंग भी देती हैं. इसके अलावा पंजाब के युवाओं को नशे की लत से दूर रखने का हरसंभव प्रयास करती हैं. रक्तदान शिविर जैसे महानदान में वह योगदान करती हैं. पूनम ने बताया कि 2019 में एक एक्सीडेंट में उनका पैर कट गया था. उसे डॉक्टरों ने कहा था कि उसका पैर काटना पड़ेगा, लेकिन उसने तीन-चार सर्जरी कराये, लेकिन पैर काटने नहीं दिया. वह व्हीलचेयर पर बैठने तक को तैयार थी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और फिर जिम शुरू किया और धीरे-धीरे अपने पैरों पर खड़ी होने लगी.

कोविड के दौरान शुरू हुआ पूनम ने लावारिस लाशों का दाह संस्कार करना शुरू किया. उन्होंने बताया कि उनके जिम में आने वाली एक लड़की के पिता की कोविड काल में मौत हो गई थी. लेकिन कोविड की वजह से मृतकों के रिश्तेदार पास आने से इनकार कर देते थे. ऐसे में पूनम ही आगे आईं और लड़की के पिता का अंतिम संस्कार कराने के लिए श्मशान पहुंच गई. वहां उन्होंने देखा कि ऐसी कई लाशें वहां थीं, जिनका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं. तभी उन्होंने तय कि ऐसे लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार वह अपने खर्चे से करेंगे. इस कार्य में उनके जिम में आने वाले लड़के-लड़कियां भी सहयोग करती हैं.

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