नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी कानून की मांग को लेकर दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर (Farmers Protest at Ghazipur Border) समेत दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहा आंदोलन 12वें महीने में दाखिल हो चुका है. सरकार से मांगें पूरी कराने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) आंदोलन को धार देने की कवायद कर रहे हैं.
पूर्वांचल में किसान आंदोलन की पैठ मजबूत करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) की ओर से 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत (Lucknow Kisan Mahapanchayat) का आयोजन होगा. लखनऊ महापंचायत को लेकर जहां एक तरफ संयुक्त किसान मोर्चा रणनीति तैयार कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) पर भी भारतीय किसान यूनियन (Bhartiye Kisaan Union) पदाधिकारियों के साथ बैठकें कर महापंचायत को सफल बनाने की कोशिश में लगी हुई है.
हाल ही में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत (Muzaffarnagar Mahapanchayat) में किसानों का जनसैलाब उमड़ा था. मुजफ्फरनगर टिकैत का गृह जनपद भी है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय किसान यूनियन की पकड़ मजबूत है. लखनऊ में भीड़ इकट्ठा करना किसान नेताओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. मुजफ्फरनगर महापंचायत में किसान नेताओं ने 20 लाख किसानों के शामिल होने का दावा किया था. जब राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) से लखनऊ महापंचायत में किसानों की अनुमानित संख्या के बारे में सवाल किया गया तो टिकैत ने कहा कि आंदोलन संख्या से नहीं विचारों से चलता है.
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किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि लखनऊ में होने वाली महापंचायत में किसान तमाम अहम मुद्दों को उठाएंगे, जिसमें प्रमुख मुद्दा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय देने की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी की मांग होगी. उत्तर प्रदेश में जो किसानों की समस्याएं हैं, उन तमाम समस्याओं को महापंचायत के माध्यम से प्रमुखता से उठाया जाएगा.
राकेश टिकैत साफ कर चुके हैं कि किसान आंदोलन संघर्ष से समाधान तक जारी रहेगा. जब सरकार पांच साल तक चल सकती है तो वोट देने वाले किसानों का आंदोलन पांच साल तक क्यों नहीं चल सकता.
किसान नेता टिकैत ने कहा कि ऐतिहासिक होगी लखनऊ में आयोजित 22 नवंबर की किसान महापंचायत. SKM की यह महापंचायत किसान विरोधी सरकार और तीनों काले कानूनों के विरोध में ताबूत में आखिरी कील साबित होगी. अब पूर्वांचल में भी और तेज होगा अन्नदाता का आंदोलन.
चंद महीने पहले किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने बयान देते हुए लखनऊ को दिल्ली बनाने की बात कही थी, जिस पर भाजपा और किसानों के बीच ट्विटर पर पोस्टर वॉर भी छिड़ गया था. टिकैत ने कहा था कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. हालांकि, अब राकेश टिकैत ने यह साफ कर दिया है कि लखनऊ में किसी प्रकार का किसानों का धरना नहीं है. किसान लखनऊ में सिर्फ एक दिन की महापंचायत करेंगे.