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कम जांच के सहारे 'कोरोना कंट्रोल' कर रहे चुनावी राज्य! - उमड़ी भीड़

देश भर में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं वहीं, चुनावी राज्यों में कोरोना के मरीजों के आंकड़े कम हैं. राजनेताओं की बड़ी-बड़ी रैलियां और लोगों के हुजूम के बावजूद चुनावी राज्यों में कोरोना मरीजों की कम संख्या हैरत में डालती है. खास रिपोर्ट..

कोरोना कंट्रोल
कोरोना कंट्रोल
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Published : Apr 9, 2021, 7:07 PM IST

नई दिल्ली : देश भर में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. गुरुवार को एक तरफ प्रधानमंत्री बैठक करके देश के सभी मुख्यमंत्रियों को अपने-अपने राज्यों में कोरोना से एतिहाद बरतने के निर्देश दे रहे थे, दूसरी तरफ भाजपा ही नहीं बल्कि तमाम पार्टियों की बड़ी-बड़ी रैलियां हो रही थीं.

इन रैलियों में उमड़ी भीड़ से किसी भी नेता को यह अपील करते नहीं देखा गया कि मास्क का उपयोग करें. बावजूद इसके चुनावी राज्यों में कोरोना के मरीजों की संख्या कम आ रही है. इसकी वास्तविक वजह है इन राज्यों में हो जांच प्रक्रिया का काफी धीमी होना.
जी हां यह हम नहीं बल्कि यह आंकड़े बता रहे हैं. जब जांच ही कम होगी तो मरीजों के संख्या भी कम आएगी. वहीं, दूसरे राज्यों में लगभग 8 से 11 राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना वायरस फिर से पीक पर पहुंच चुका है. इन तमाम राज्यों में राज्य सरकारों ने तमाम नियम कानून और नाइट कर्फ्यू जैसी व्यवस्था की है.

सुनिए बीजेपी प्रवक्ता ने क्या कहा

पश्चिम बंगाल में ये स्थिति

आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल 2020 में जुलाई-अगस्त अगस्त में जब कोरोना वायरस पीक पर था तब पश्चिम बंगाल में 9,88,413 टेस्टिंग की गई थी, जबकि मार्च 2021 में टेस्टिंग की संख्या पश्चिम बंगाल में घटकर मात्र आधी हो गई. मार्च 2021 में छह लाख टेस्ट किए गए, इसमें से 74% आरटीपीसीआर (rt-pcr) के थे.

असम में भी टेस्टिंग घटी

इसी तरह चुनावी राज्य असम की बात करें तो 2020 की जुलाई-अगस्त में 8,38,101 टेस्ट किए गए. जबकि 2021 के फरवरी में यह टेस्टिंग घटकर मात्र 2,12,237 ही रह गई. इसमें भी 20% आरटी पीसीआर टेस्ट है और बाकी 80% एंटीजन टेस्ट.

तमिलनाडु में भी कम जांच
नावी राज्य तमिलनाडु की बात करें तो पिछले साल जुलाई- अगस्त में 20,60,279 टेस्टिंग की गई थी जबकि यह फरवरी 2021 घटकर मात्र 13,51,222 रह गई. लेकिन तमिलनाडु में आरटी पीसीआर टेस्ट का प्रतिशत करीब 95% रहा और मात्र 5% ही इनमें से एंटीजन टेस्टिंग हुई.

केरल में टेस्ट कम, मरीज बढ़े
तमिलनाडु के पड़ोसी राज्य केरल में भी टेस्टिंग की संख्या पिछले साल की तुलना में इस साल घटकर काफी कम हो गई, जबकि केरल में मरीजों की संख्या 15 मार्च 2021 से 31 मार्च के बीच देखे तो 1792 से बढ़कर 2039 हो गई.
जबकि पिछले साल से ही लगातार स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री राज्यों को ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग कराने की हिदायत दे रहे हैं. इन राज्यों में जहां चुनाव है टेस्ट की मॉनिटरिंग केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भी कड़ाई से नहीं की जा रही. हालांकि केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि केंद्र द्वारा समय-समय पर राज्यों को हिदायत दी जाती रही है बावजूद इसके राज्य सरकार इसमें लापरवाही बरत रही है.

ये कहना बेमानी कि चुनावी राज्य में टेस्टिंग कम : भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा से इस संबंध में 'ईटीवी भारत' ने बात की. सुदेश वर्मा ने कहा कि ये कहना बेमानी है कि चुनावी राज्य में टेस्टिंग कम हो रही है जबकि प्रश्न तो यह होना चाहिए कि महाराष्ट्र जहां चुनाव नहीं हो रहे हैं वहां इतनी ज्यादा केस क्यों हैं, छत्तीसगढ़ में इतने ज्यादा केस क्यों हैं.

उन्होंने कहा कि सवाल इन पर ज्यादा होना चाहिए क्योंकि जिन राज्यों में चुनाव है उनमें कोविड-19 के नॉर्म्स फॉलो किए जा रहे हैं और केंद्र सरकार तो समय-समय पर कोविड-19 के नॉर्म्स को फॉलो करने की हिदायत देती रहती है. उसे चुनाव आयोग भी फॉलो करा रहा है.

पढ़ें- कोरोना का कहर : राज्यों के अस्पतालों में वैक्सीन और बिस्तर की सुविधा का अभाव

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में भी चुनाव हुए थे बावजूद वहां कोविड-19 कंट्रोल में था. जरूरत है राज्य सरकार को ध्यान देने की, हमारे नेता चौपालों में जाते हैं लोगों से बात करते हैं लेकिन कोविड-19 के नॉर्म्स फॉलो करते हुए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बार-बार यह बात कह रहे हैं कि लोग खुद भी यह समझें और एहतियात बरतें क्योंकि खुद की सजगता ही सुरक्षा है.

नई दिल्ली : देश भर में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. गुरुवार को एक तरफ प्रधानमंत्री बैठक करके देश के सभी मुख्यमंत्रियों को अपने-अपने राज्यों में कोरोना से एतिहाद बरतने के निर्देश दे रहे थे, दूसरी तरफ भाजपा ही नहीं बल्कि तमाम पार्टियों की बड़ी-बड़ी रैलियां हो रही थीं.

इन रैलियों में उमड़ी भीड़ से किसी भी नेता को यह अपील करते नहीं देखा गया कि मास्क का उपयोग करें. बावजूद इसके चुनावी राज्यों में कोरोना के मरीजों की संख्या कम आ रही है. इसकी वास्तविक वजह है इन राज्यों में हो जांच प्रक्रिया का काफी धीमी होना.
जी हां यह हम नहीं बल्कि यह आंकड़े बता रहे हैं. जब जांच ही कम होगी तो मरीजों के संख्या भी कम आएगी. वहीं, दूसरे राज्यों में लगभग 8 से 11 राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना वायरस फिर से पीक पर पहुंच चुका है. इन तमाम राज्यों में राज्य सरकारों ने तमाम नियम कानून और नाइट कर्फ्यू जैसी व्यवस्था की है.

सुनिए बीजेपी प्रवक्ता ने क्या कहा

पश्चिम बंगाल में ये स्थिति

आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल 2020 में जुलाई-अगस्त अगस्त में जब कोरोना वायरस पीक पर था तब पश्चिम बंगाल में 9,88,413 टेस्टिंग की गई थी, जबकि मार्च 2021 में टेस्टिंग की संख्या पश्चिम बंगाल में घटकर मात्र आधी हो गई. मार्च 2021 में छह लाख टेस्ट किए गए, इसमें से 74% आरटीपीसीआर (rt-pcr) के थे.

असम में भी टेस्टिंग घटी

इसी तरह चुनावी राज्य असम की बात करें तो 2020 की जुलाई-अगस्त में 8,38,101 टेस्ट किए गए. जबकि 2021 के फरवरी में यह टेस्टिंग घटकर मात्र 2,12,237 ही रह गई. इसमें भी 20% आरटी पीसीआर टेस्ट है और बाकी 80% एंटीजन टेस्ट.

तमिलनाडु में भी कम जांच
नावी राज्य तमिलनाडु की बात करें तो पिछले साल जुलाई- अगस्त में 20,60,279 टेस्टिंग की गई थी जबकि यह फरवरी 2021 घटकर मात्र 13,51,222 रह गई. लेकिन तमिलनाडु में आरटी पीसीआर टेस्ट का प्रतिशत करीब 95% रहा और मात्र 5% ही इनमें से एंटीजन टेस्टिंग हुई.

केरल में टेस्ट कम, मरीज बढ़े
तमिलनाडु के पड़ोसी राज्य केरल में भी टेस्टिंग की संख्या पिछले साल की तुलना में इस साल घटकर काफी कम हो गई, जबकि केरल में मरीजों की संख्या 15 मार्च 2021 से 31 मार्च के बीच देखे तो 1792 से बढ़कर 2039 हो गई.
जबकि पिछले साल से ही लगातार स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री राज्यों को ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग कराने की हिदायत दे रहे हैं. इन राज्यों में जहां चुनाव है टेस्ट की मॉनिटरिंग केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भी कड़ाई से नहीं की जा रही. हालांकि केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि केंद्र द्वारा समय-समय पर राज्यों को हिदायत दी जाती रही है बावजूद इसके राज्य सरकार इसमें लापरवाही बरत रही है.

ये कहना बेमानी कि चुनावी राज्य में टेस्टिंग कम : भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा से इस संबंध में 'ईटीवी भारत' ने बात की. सुदेश वर्मा ने कहा कि ये कहना बेमानी है कि चुनावी राज्य में टेस्टिंग कम हो रही है जबकि प्रश्न तो यह होना चाहिए कि महाराष्ट्र जहां चुनाव नहीं हो रहे हैं वहां इतनी ज्यादा केस क्यों हैं, छत्तीसगढ़ में इतने ज्यादा केस क्यों हैं.

उन्होंने कहा कि सवाल इन पर ज्यादा होना चाहिए क्योंकि जिन राज्यों में चुनाव है उनमें कोविड-19 के नॉर्म्स फॉलो किए जा रहे हैं और केंद्र सरकार तो समय-समय पर कोविड-19 के नॉर्म्स को फॉलो करने की हिदायत देती रहती है. उसे चुनाव आयोग भी फॉलो करा रहा है.

पढ़ें- कोरोना का कहर : राज्यों के अस्पतालों में वैक्सीन और बिस्तर की सुविधा का अभाव

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में भी चुनाव हुए थे बावजूद वहां कोविड-19 कंट्रोल में था. जरूरत है राज्य सरकार को ध्यान देने की, हमारे नेता चौपालों में जाते हैं लोगों से बात करते हैं लेकिन कोविड-19 के नॉर्म्स फॉलो करते हुए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बार-बार यह बात कह रहे हैं कि लोग खुद भी यह समझें और एहतियात बरतें क्योंकि खुद की सजगता ही सुरक्षा है.

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