रुद्रप्रयागः भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो गई है. शुक्रवार यानी आज सुबह बाबा केदारनाथ की केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग, मुख्य पुजारी बागेश लिंग के साथ वेदपाठियों ने पूजा-अर्चना की. इसके बाद डोली को सुबह 8 बजे रवाना किया गया.
इससे पहले गुरुवार रात ओंकारेश्वर मंदिर में भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की गई. भैरवनाथ का दूध, दही, घी, शहद से महाभिषेक पूजन किया गया. जिसके बाद बुरांश के फूलों की माला, जौ की हरियाली से मूर्ति का श्रृंगार किया गया. इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पुजारियों ने अष्टादश आरती से विशेष पूजा-अर्चना की. बता दें कि केदारनाथ की यात्रा निर्विघ्नता पूर्व संपन्न हो व क्षेत्र में सुख-समृद्धि, खुशहाली के लिए भैरवनाथ की महाभिषेक पूजा की जाती है.
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डोली को रथ से रवाना किया
कोरोना महामारी के चलते इस साल भी डोली को रथ से रवाना किया गया. डोली के रथ को फूल-मालाओं से भव्य सजाया गया. तय समय पर डोली को रथ से रवाना करने पर स्थानीय लोगों ने दूर से ही बाबा के दर्शन किए. देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि पिछले साल के तरह इस साल भी कोरोना महामारी के चलते डोली को रथ से रवाना किया गया. ओंकारेश्वर मंदिर से गौरीकुंड तक परंपरा के मुताबिक सभी जगहों पर पूजा-अर्चना कर भोग लगाया जाएगा. शासन द्वारा जारी गाइडलाइन का उल्लंघन न हो, इसलिए कुछ स्थानों पर धारा 144 लागू की गई है. जिस कारण ओंकारेश्वर मंदिर में 50 मीटर व डोली के गुजरने वाले स्थानों पर 20 मीट क्षेत्र प्रतिबंधित किया गया है.
देवस्थानम बोर्ड के 14 अधिकारियों, कर्मचारियों, 14 हक-हकूकधारियों और 8 तीर्थ पुरोहित के अलावा कुछ सेवकों को केदारनाथ धाम जाने की अनुमति दी गई है. लॉकडाउन का उल्लंघन न हो, इसके लिए विभिन्न स्थानों पर पुलिस बल तैनात है. डोली आज गौरीकुंड पहुंचेगी और कल सुबह गौरीकुंड से रवाना होकर केदारनाथ धाम पहुंचेगी. 17 मई सुबह पांच बजे भगवान केदारनाथ के कपाट खोल दिए जाएंगे.