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भारत जल्द लागू कर सकता है अपनी साइबर सुरक्षा रणनीति - राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति

भारत के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा संस्थाओं पर बढ़ते चीन प्रायोजित साइबर हमले की रिपोर्ट के बाद सरकार साइबर सुरक्षा को पुख्ता बनाने में जुटी है. देर से ही सही, लेकिन राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति को ठीक करने का काम शुरू किया जाएगा. वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

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Published : Mar 1, 2021, 10:42 PM IST

नई दिल्ली : समय के साथ साइबर हमलों के खतरे का सामना करते हुए भारत में लंबे समय से प्रतीक्षित राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति (NCSS) एक महीने में लागू हो सकती है. भारतीय बिजली क्षेत्र के संगठनों पर हमला करने वाली चीन प्रायोजित संस्थाओं की हालिया रिपोर्ट के बाद ऐसी संभावना है कि भारत की साइबर सुरक्षा नीति की दीवार को बहुत तेजी से खड़ा किया जा सकता है.

भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक लेफ्टिनेंट जनरल राजेश पंत ने ईटीवी भारत को बताया कि हमारी नई रणनीति (एनसीएसएस) बहुत जल्द सामने आने वाली है. जिसमें पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को संबोधित किया जाएगा कि हम अपनी सुरक्षा कैसे करेंगे. रणनीति पर काम पहले ही खत्म हो चुका है और इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा गया है. इसलिए यह एक या दो महीने में हो जाना चाहिए. हाल ही में एक रिपोर्ट में ई रेड इको नाम के एक चीन प्रायोजित समूह की भागीदारी का संकेत दिया गया था, जो भारत के बिजली क्षेत्र पर निर्देशित साइबर हमलों में लिप्त था.

साइबर सुरक्षा केंद्र होना जरूरी

जनरल पंत ने कहा कि यह सब साइबर स्वच्छता से संबंधित है. हमें वास्तव में इंटरनेट से जुडे़ कंप्यूटर के बारे में सावधान रहना होगा. प्रतिकूल साइबर हमलावर आपको उन कंप्यूटरों पर कुछ लिंक पर क्लिक करने के लिए कहता है जो इंटरनेट से जुड़े हैं. इसी से मालवेयर आता है और वहां से फैल जाता है जिसे 'लेटरल स्प्रेडिंग' कहा जाता है. लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि इसके ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) तक विरोधी को पहुंचने में सक्षम नहीं होना चाहिए. भारत के साइबर सुरक्षा समन्वयक ने कहा कि आईटी पर निर्भरता इतनी अधिक हो गई है, यही कारण है कि भारत में हर क्षेत्र में एक साइबर सुरक्षा केंद्र होना चाहिए.

एक खोजी और शोध-आधारित रिपोर्ट जिसे रिकॉर्डेड फ्यूचर द्वारा तैयार किया गया है, जो कि अमेरिका की एक निजी साइबर खतरा विश्लेषण फर्म है. दरअसल, अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनावपूर्ण सीमा सैन्य गतिरोध की पृष्ठभूमि में रिपोर्ट के निष्कर्षों का महत्व है. हालांकि, दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच वार्ता द्वारा 'विघटन और डी-एस्केलेशन' की एक प्रक्रिया को गति प्रदान की गई है.

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति

इस साल वेलफेयर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स, हार्वर्ड कैनेडी स्कूल द्वारा लाए एक रिपोर्ट में विश्व साइबर शक्ति के माप में भारत को 21वें स्थान पर रखा गया है. जबकि अमेरिका ने राष्ट्रीय साइबर पावर इंडेक्स (एनसीपीआई) सूची का नेतृत्व किया है. चीन साइबर क्षमताओं के मामले में दूसरे सबसे शक्तिशाली देश के रूप में ब्रिटेन, रूस, नीदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बाद दूसरे स्थान पर है.

NCPI राष्ट्र के 'इरादे' के साथ-साथ साइबर 'क्षमता' का एक संयुक्त उपाय है. सात राष्ट्रीय उद्देश्यों के संदर्भ में 30 देशों की साइबर क्षमताओं की गणना करना, जिसमें घरेलू समूहों की निगरानी भी शामिल है. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा को मजबूत करना और बढ़ाना है.

यह भी पढ़ें-जानें क्यों मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा सांसद पैसे देकर लेंगे वैक्सीन

इसका काम सूचना वातावरण को नियंत्रित और हेरफेर करना, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए विदेशी खुफिया संग्रह, वाणिज्यिक लाभ या घरेलू उद्योग के विकास को बढ़ाना, एक प्रतिकूल अवसंरचना और क्षमताओं को नष्ट करना या अक्षम करना और अंतिम रूप से अंतरराष्ट्रीय साइबर मानदंडों और तकनीकी मानकों को परिभाषित करना होगा.

नई दिल्ली : समय के साथ साइबर हमलों के खतरे का सामना करते हुए भारत में लंबे समय से प्रतीक्षित राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति (NCSS) एक महीने में लागू हो सकती है. भारतीय बिजली क्षेत्र के संगठनों पर हमला करने वाली चीन प्रायोजित संस्थाओं की हालिया रिपोर्ट के बाद ऐसी संभावना है कि भारत की साइबर सुरक्षा नीति की दीवार को बहुत तेजी से खड़ा किया जा सकता है.

भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक लेफ्टिनेंट जनरल राजेश पंत ने ईटीवी भारत को बताया कि हमारी नई रणनीति (एनसीएसएस) बहुत जल्द सामने आने वाली है. जिसमें पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को संबोधित किया जाएगा कि हम अपनी सुरक्षा कैसे करेंगे. रणनीति पर काम पहले ही खत्म हो चुका है और इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा गया है. इसलिए यह एक या दो महीने में हो जाना चाहिए. हाल ही में एक रिपोर्ट में ई रेड इको नाम के एक चीन प्रायोजित समूह की भागीदारी का संकेत दिया गया था, जो भारत के बिजली क्षेत्र पर निर्देशित साइबर हमलों में लिप्त था.

साइबर सुरक्षा केंद्र होना जरूरी

जनरल पंत ने कहा कि यह सब साइबर स्वच्छता से संबंधित है. हमें वास्तव में इंटरनेट से जुडे़ कंप्यूटर के बारे में सावधान रहना होगा. प्रतिकूल साइबर हमलावर आपको उन कंप्यूटरों पर कुछ लिंक पर क्लिक करने के लिए कहता है जो इंटरनेट से जुड़े हैं. इसी से मालवेयर आता है और वहां से फैल जाता है जिसे 'लेटरल स्प्रेडिंग' कहा जाता है. लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि इसके ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) तक विरोधी को पहुंचने में सक्षम नहीं होना चाहिए. भारत के साइबर सुरक्षा समन्वयक ने कहा कि आईटी पर निर्भरता इतनी अधिक हो गई है, यही कारण है कि भारत में हर क्षेत्र में एक साइबर सुरक्षा केंद्र होना चाहिए.

एक खोजी और शोध-आधारित रिपोर्ट जिसे रिकॉर्डेड फ्यूचर द्वारा तैयार किया गया है, जो कि अमेरिका की एक निजी साइबर खतरा विश्लेषण फर्म है. दरअसल, अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनावपूर्ण सीमा सैन्य गतिरोध की पृष्ठभूमि में रिपोर्ट के निष्कर्षों का महत्व है. हालांकि, दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच वार्ता द्वारा 'विघटन और डी-एस्केलेशन' की एक प्रक्रिया को गति प्रदान की गई है.

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति

इस साल वेलफेयर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स, हार्वर्ड कैनेडी स्कूल द्वारा लाए एक रिपोर्ट में विश्व साइबर शक्ति के माप में भारत को 21वें स्थान पर रखा गया है. जबकि अमेरिका ने राष्ट्रीय साइबर पावर इंडेक्स (एनसीपीआई) सूची का नेतृत्व किया है. चीन साइबर क्षमताओं के मामले में दूसरे सबसे शक्तिशाली देश के रूप में ब्रिटेन, रूस, नीदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बाद दूसरे स्थान पर है.

NCPI राष्ट्र के 'इरादे' के साथ-साथ साइबर 'क्षमता' का एक संयुक्त उपाय है. सात राष्ट्रीय उद्देश्यों के संदर्भ में 30 देशों की साइबर क्षमताओं की गणना करना, जिसमें घरेलू समूहों की निगरानी भी शामिल है. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा को मजबूत करना और बढ़ाना है.

यह भी पढ़ें-जानें क्यों मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा सांसद पैसे देकर लेंगे वैक्सीन

इसका काम सूचना वातावरण को नियंत्रित और हेरफेर करना, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए विदेशी खुफिया संग्रह, वाणिज्यिक लाभ या घरेलू उद्योग के विकास को बढ़ाना, एक प्रतिकूल अवसंरचना और क्षमताओं को नष्ट करना या अक्षम करना और अंतिम रूप से अंतरराष्ट्रीय साइबर मानदंडों और तकनीकी मानकों को परिभाषित करना होगा.

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