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लोकसभा: विश्व भारती के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस सांसद और केंद्रीय मंत्री में तीखी नोकझोंक

लोकसभा में बुधवार को तृणमूल कांग्रेस की सदस्य अपरुपा पोद्दार और सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार के बीच तीखी नोंकझोंक हुई. दरअसल पश्चिम बंगाल स्थित विश्व-भारती विश्वविद्यालय को यूनेस्को के धरोहर स्थल के रूप में वर्णित करने वाली तीन पट्टिकाओं में रवींद्र नाथ टौगोर का नाम नहीं था, जिससे वह नाराज थीं. Lok Sabha, Winter Session of Lok Sabha

Lok Sabha winter session
लोकसभा शीतकालीन सत्र
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By PTI

Published : Dec 6, 2023, 10:50 PM IST

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल स्थित विश्व-भारती विश्वविद्यालय को यूनेस्को के धरोहर स्थल के रूप में वर्णित करने वाली तीन पट्टिकाओं में नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्र नाथ टैगोर का नाम नहीं होने के मुद्दे पर बुधवार को लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस की सदस्य अपरुपा पोद्दार और शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार के बीच तीखी नोकझोंक हुई. तृणमूल कांग्रेस सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना कहा कि 'दाढ़ी रख लेने मात्र से कोई टैगोर नहीं बन जाता.'

यह तीखी नोकझोंक उस वक्त हुई जब पोद्दार ने तेलंगाना में जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित 'केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023' पर चर्चा के दौरान विश्व-भारती विश्वविद्यालय से संबंधित पट्टिका विवाद का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जनादेश मिलना अलग बात होती है और दलितों के दिल में झांकना अलग बात. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की मानें तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराध बढ़े हैं.

पोद्दार ने सदन में मौजूद शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि वह पश्चिम बंगाल से आते हैं, लेकिन इन्हें कोई दर्द नहीं होता. पोद्दार ने इसके बाद विश्व-भारती विश्वविद्यालय से संबंधित पट्टिका विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि यूनेस्को की ओर से इस ऐतिहासिक संस्थान को विश्व धरोहर स्थल बताने वाली पट्टिका में कुलपति (बिद्युत चक्रवर्ती) और पदेन कुलाधिपति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम थे, लेकिन इसकी स्थापना करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्र नाथ टैगोर का नाम छोड़ दिया गया.

उन्होंने प्रधानमंत्री का नाम लिए बिना कहा कि 'कोई दाढ़ी रख लेने से टैगोर नहीं बन जाता.' इस बात पर राज्य मंत्री सरकार और सांसद के बीच कुछ देर तीखी नोकझोंक हुई. पोद्दार ने केंद्र सरकार पर विश्व-भारती में किसी भी प्रकार के मेले और उत्सव का आयोजन न करने देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री को बंगाल के लिए सोचना चाहिए था, लेकिन उन्होंने तो तारकेश्वर में आग्रह के बावजूद केंद्रीय विद्यालय की नींव तक नहीं रखी.

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल स्थित विश्व-भारती विश्वविद्यालय को यूनेस्को के धरोहर स्थल के रूप में वर्णित करने वाली तीन पट्टिकाओं में नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्र नाथ टैगोर का नाम नहीं होने के मुद्दे पर बुधवार को लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस की सदस्य अपरुपा पोद्दार और शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार के बीच तीखी नोकझोंक हुई. तृणमूल कांग्रेस सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना कहा कि 'दाढ़ी रख लेने मात्र से कोई टैगोर नहीं बन जाता.'

यह तीखी नोकझोंक उस वक्त हुई जब पोद्दार ने तेलंगाना में जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित 'केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023' पर चर्चा के दौरान विश्व-भारती विश्वविद्यालय से संबंधित पट्टिका विवाद का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जनादेश मिलना अलग बात होती है और दलितों के दिल में झांकना अलग बात. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की मानें तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराध बढ़े हैं.

पोद्दार ने सदन में मौजूद शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि वह पश्चिम बंगाल से आते हैं, लेकिन इन्हें कोई दर्द नहीं होता. पोद्दार ने इसके बाद विश्व-भारती विश्वविद्यालय से संबंधित पट्टिका विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि यूनेस्को की ओर से इस ऐतिहासिक संस्थान को विश्व धरोहर स्थल बताने वाली पट्टिका में कुलपति (बिद्युत चक्रवर्ती) और पदेन कुलाधिपति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम थे, लेकिन इसकी स्थापना करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्र नाथ टैगोर का नाम छोड़ दिया गया.

उन्होंने प्रधानमंत्री का नाम लिए बिना कहा कि 'कोई दाढ़ी रख लेने से टैगोर नहीं बन जाता.' इस बात पर राज्य मंत्री सरकार और सांसद के बीच कुछ देर तीखी नोकझोंक हुई. पोद्दार ने केंद्र सरकार पर विश्व-भारती में किसी भी प्रकार के मेले और उत्सव का आयोजन न करने देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री को बंगाल के लिए सोचना चाहिए था, लेकिन उन्होंने तो तारकेश्वर में आग्रह के बावजूद केंद्रीय विद्यालय की नींव तक नहीं रखी.

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