शिमला: इधर लोकसभा चुनाव सिर पर आ गए हैं और उधर हिमाचल कांग्रेस में अपने ही अपनों से नाराज हो रहे हैं. पहली नाराजगी युवा कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह की है. हाल ही में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दो कैबिनेट मंत्री अपनी टीम में और शामिल किए. सीएम के करीबी राजेश धर्माणी व यादविंदर सिंह गोमा को कैबिनेट रैंक का मंत्री बनाया गया. करीब एक माह बाद दोनों नए मंत्रियों को विभाग दिए गए. राजेश धर्माणी को तकनीकी शिक्षा के साथ वोकेशनल एंड इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग विभाग दिया गया. वहीं, यादविंदर सिंह गोमा को आयुष के साथ युवा सेवाएं व खेल विभाग का जिम्मा सौंपा गया. युवा सेवाएं व खेल विभाग पहले लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के पास था. हिमाचल के छह बार सीएम रहे दिग्गज कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह के पास अब केवल लोक निर्माण विभाग है. बेशक लोक निर्माण विभाग सबसे अहम विभागों में शामिल है और जिस मंत्री के पास ये विभाग होता है, उसे कैबिनेट में नंबर दो का स्टेट्स माना जाता है, लेकिन सियासी जानकार इस कदम को युवा नेता के पर कतरने सरीखा बता रहे हैं.
विक्रमादित्य सिंह को मिला राम मंदिर का निमंत्रण : इसी तरह राम मंदिर में श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए हिमाचल से केवल एक ही नेता को निमंत्रण मिला है. ये नेता विक्रमादित्य सिंह हैं. आरएसएस के जनसंपर्क विंग ने प्रतिभा सिंह व विक्रमादित्य सिंह के नाम निमंत्रण पत्र उन्हें सौंपा. वहीं, प्रतिभा सिंह ने निमंत्रण पत्र मिलने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की है. विक्रमादित्य सिंह कई मर्तबा दोहरा चुके हैं कि वो समारोह में जाएंगे. साथ ही वे ये कहना भी नहीं भूलते कि उनके पिता वीरभद्र सिंह देव समाज के लिए किस तरह की भावनाएं रखते थे. ये बात सभी जानते हैं कि वीरभद्र सिंह अयोध्या में श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण के प्रबल समर्थक रहे हैं. इन परिस्थितियों में हिमाचल कांग्रेस के बीच एक के बाद एक कई घटनाएं पेश आई, जिससे ये स्पष्ट है कि यहां पार्टी में विभिन्न स्तरों पर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
एक साल में नाराजगी के अनेक स्वर: हिमाचल में कांग्रेस को सत्ता संभाले एक साल से अधिक का अरसा हो गया है. पहले तो सीएम के चयन में यहां काफी बवाल हुआ. सत्ता का केंद्र रहे होली लॉज व अन्य गुटों में सीएम पद को लेकर खूब खींचतान हुई. वीरभद्र सिंह के समर्थकों ने होली लॉज के वास्ते, खाली कर दो रास्ते के नारे गुंजा कर कांग्रेस हाईकमान को सकते में डाल दिया था. खैर, कांग्रेस हाईकमान ने हिमाचल की कमान सुखविंदर सिंह सुक्खू को सौंपने का ऐलान किया. मन मसोस कर प्रतिभा सिंह व उनके समर्थकों ने ये फैसला सिर माथे लिया. बाद में कैबिनेट के गठन को लेकर खींचतान शुरू हुई. प्रेम कुमार धूमल को चुनाव में हरा कर अचानक से राजनीति के स्टार बने राजेंद्र राणा मंत्री पद के दावेदार थे. इसी तरह दिग्गज नेता संतराम शर्मा के बेटे सुधीर शर्मा भी मंत्री पद चाहते थे. कांगड़ा ने कांग्रेस को सबसे अधिक सीटें दीं, लेकिन उसे प्रतिनिधित्व उस हिसाब से नहीं मिला. इस तरह हालिया कैबिनेट विस्तार में भी नाराजगी किसी न किसी रूप में बरकरार है.
धर्माणी बोले, सीएम ने नहीं पूछी पसंद: इधर चर्चा ये है कि सीएम ने नए मंत्रियों को पोर्टफोलियो बांटते समय उनकी पसंद आदि नहीं पूछी. ये भी कहा जा रहा है कि जिन तीन मंत्रियों से विभाग लेकर नए दो मंत्रियों को दिए गए, उनसे भी बात नहीं की गई. विक्रमादित्य सिंह तो पक्का इस बात से नाराज हैं कि खेल विभाग उनसे बिना पूछे ले लिया गया. वे खेल विभाग में कुछ इनोवेटिव आइडिया लागू करने वाले थे. इसी तरह नए मंत्री राजेश धर्माणी की निराशा भी उनके इस बयान से झलकती है कि उन्हें पोर्टफोलियो देते समय पसंद नहीं पूछी गई. हालांकि, वे सीएम के करीबी हैं और उन्होंने कहा कि विभाग देना सीएम का विशेषाधिकार है. वहीं, रोहित ठाकुर व हर्षवर्धन चौहान भी उनसे कुछ विभाग लेने से खास खुश नहीं हैं. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि वन विभाग, शहरी विकास विभाग जैसे कई विभाग नए मंत्रियों को दिए जा सकते थे.
अयोध्या निमंत्रण से भी असहज हुआ कांग्रेस का माहौल: राम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रतिभा सिंह व विक्रमादित्य सिंह को निमंत्रण मिलने से कांग्रेस की स्थिति असहज हुई है। सीएम सुखविंदर सिंह सहित अन्य किसी बड़े नेता को अभी निमंत्रण नहीं मिला है। वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह कह चुके हैं कि राम लला सबके हैं और अयोध्या जाने के लिए उन्हें किसी निमंत्रण की जरूरत नहीं है। वे समय आने पर श्री राम लला के दर्शन को जाएंगे। ये सारी बातें सही हैं, लेकिन ये तय है कि अयोध्या निमंत्रण के कांग्रेस के लिए स्थितियां असहज हुई हैं। प्रतिभा सिंह ने तो राम मंदिर निर्माण के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की है। अब देखना है कि कांग्रेस हाईकमान के इनकार के बाद विक्रमादित्य सिंह प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाते हैं या नहीं?
सरकार गांव के द्वार तो चली, लेकिन गुटबाजी कैसे रुकेगी: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कैबिनेट सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई है. सीएम सुक्खू 17 जनवरी से इसकी शुरुआत करेंगे. ये कांग्रेस की लोकसभा चुनाव की तैयारी का पहला पड़ाव भी कहा जा सकता है. ये सियासी गतिविधियां अपनी जगह सही हैं, लेकिन संगठन व सरकार के बीच की रार कैसे थमेगी, इस पर चिंतन जरूरी है. प्रतिभा सिंह कई मर्तबा विभिन्न मुद्दों पर अपनी नाराजगी खुल कर बयान कर चुकी हैं. मामला चाहे एक साल के समारोह से जुड़ा हो या फिर संगठन के लोगों को सरकार में एडजस्ट करने का, प्रतिभा सिंह मुखरता से अपनी बात कहती आई हैं.
लोकसभा की चारों सीट जीतना कांग्रेस के लिए चुनौती: फिलहाल, कांग्रेस की अगली चुनौती चारों लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी चयन की है. जिस तरह से संगठन व सरकार में माहौल है, उसमें चार प्रत्याशी चुनना आसान नहीं है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी बलदेव शर्मा का कहना है कि लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस को अपनी विधानसभा चुनाव के समय दी गई गारंटियों पर जवाब देना मुश्किल होगा. कर्ज में डूबे प्रदेश में गारंटियों को पूरा करना संभव नहीं दिखता. खासकर महिलाओं को 1500 रुपए प्रति माह की गारंटी पर जवाब देना सहज नहीं होगा. वहीं, विक्रमादित्य सिंह की नाराजगी भी कांग्रेस को असहज करेगी. आने वाले समय में सीएम सुखविंदर सिंह की परीक्षा होगी. हमीरपुर संसदीय सीट से सीएम व डिप्टी सीएम दोनों ही आते हैं. अब एक मंत्री भी इस सीट से हो गया है. ऐसे में ये सीट कांग्रेस के लिए नाक का सवाल है. देखना है कि आने वाले समय में कांग्रेस किस एकजुटता से भाजपा का मुकाबला करती है. वो भी उन परिस्थितियों में जब देश में माहौल राममय हो रहा है.
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