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Hate Speech : उत्तर प्रदेश विधानसभा में बीते 10 सालों से किसी भी पार्टी के नेता ने नहीं दी कोई हेट स्पीच, जानिए क्या है सच - congress leader pushpendra srivastava

लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव आते ही सत्ता के लिए सभी पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर हमलावर हो जाते हैं. इसी दौरान वे एक-दूसरे को कोसने में कभी-कभी ऐसी भाषा का प्रयोग कर देते हैं, जिससे सियासत गरमा जाती है. वहीं, आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में पिछले 10 सालों से किसी भी नेता ने हेट स्पीच (Hate Speech In Uttar Pradesh Assembly) नहीं दी. जानिए क्या है इसके पीछे का सच...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 26, 2023, 9:54 PM IST

Updated : Sep 26, 2023, 10:11 PM IST

ईटीवी भारत से बात करते उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूचना के अधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेश चेयरमैन पुष्पेंद्र श्रीवास्तव

लखनऊ: हेट स्पीच का जैसे ही कोई मामला आता है तो उस पर सियासत शुरू हो जाती है. फिर चाहे वह नेता सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का. पिछले लोकसभा 2019 और पिछले कई प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में हेच स्पीच की बाढ़ सी आ गई थी. इसको लेकर सत्ता और विपक्ष के नेताओं ने जमकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए थे. वहीं, लोकसभा के विशेष सत्र के दौरान सांसद रमेश बिधूड़ी के भाषण में आपत्तिजनक शब्दों ने जहां न केवल भाजपा के नेताओं को मुश्किल में डाला, बल्कि दूसरे पार्टी के नेताओं को भी इस मामले को तूल देने का मौका दे दिया.

हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी कई बार सख्त टिप्पणी कर चुका है. लेकिन, इसके बाद भी यह बंद नहीं हो रही है. संसद में हुई घटना के बाद फिर से हेट स्पीच के मामले को गरमा दिया है. जहां लगातार चुनाव व राजनीतिक पार्टियों के भाषण के दौरान नेताओं द्वारा इस तरह की आपत्तिजनक भाषाओं का प्रयोग होता रहा है तो वहीं दूसरी ओर सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश विधानसभा में बैठे नेताओं को लेकर एक नया ही तथ्य सामने आया है.

कांग्रेस नेता की आरटीआई
कांग्रेस नेता की आरटीआई

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूचना के अधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेश चेयरमैन पुष्पेंद्र श्रीवास्तव की तरफ से 17 जून 2023 को एक आरटीआई दाखिल किया गया था. इसमें विभिन्न पार्टियों के नेताओं के संदर्भ में दर्ज हेट स्पीच के कुल कितने मामले दर्ज हैं, इसका विवरण जन सूचना अधिकारी विधानसभा सचिवालय उत्तर प्रदेश से मांगा गया था. लेकिन, इस सूचना को लेकर उन्हें संबंधित विभागों की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. उनका कहना है कि विभाग की ओर से जो सूचना उपलब्ध कराई गई है, उसमें मांगे गए रिकॉर्ड का कोई जवाब नहीं मिला.

जवाब के स्थान पर एक-दूसरे विभाग को लिखते रहे चिट्ठी

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूचना के अधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेश चेयरमैन पुष्पेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 17 जून 2023 को उन्होंने आरटीआई एक्ट 2005 के तहत चार बिंदुओं पर जन सूचना अधिकारी विधानसभा सचिवालय से सूचना मांगी थी. इसमें पहले पॉइंट में उत्तर प्रदेश विधानसभा के दोनों सदन विधानसभा और विधान परिषद में ऐसे कितने सदस्य हैं, जिनके ऊपर आपराधिक मुकदमे, हेट स्पीच और राजनीतिक मुकदमे विचाराधीन हैं. विधायकगण की सूची और उनके राजनीतिक दल की सूची मांगी गई थी. दूसरे पॉइंट में सभी विधायकगण पर उक्त मुकदमे कब से विचाराधीन हैं और किस विधायक को किस आपराधिक मामले में किस न्यायालय द्वारा दोषी सिद्ध किया गया है, इसकी विस्तृत सूची मांगी थी.

लखनऊ में कांग्रेस कार्यालय
लखनऊ में कांग्रेस कार्यालय

तीसरे पॉइंट में विधायकों द्वारा मुकदमे की सूची, मुकदमा अपराध संख्या, धाराएं, थाने का नाम, जनपद का नाम आदि मांगा गया था. वहीं, चौथे पॉइंट में विगत 10 वर्षों में किस विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पर लगे आपराधिक मुकदमे सरकार द्वारा वापस किए गए उन सभी मुकदमों, अपराध संख्या और राजनीतिक दलों की स्थिति सहित जानकारी मांगी थी. पुष्पेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि इस संदर्भ में 20 जून 2023 को संयुक्त सचिव एवं जन सूचना अधिकारी विधानसभा सचिवालय की ओर से विशेष सचिव जन सूचना अधिकारी गोपन विभाग को एक पत्र लिखा गया. इस पत्र में उनके द्वारा मांगे गए सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सारी जानकारी उन्हें भेजने के लिए निर्देश किया गया था. लेकिन, विभाग की ओर से केवल एक विभाग से दूसरे विभाग तक पत्राचार होता रहा.

किसी भी विभाग से नहीं मिली कोई जानकारी

पुष्पेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने बीते 10 वर्षों में सभी राजनीतिक पार्टियों के विधायकों पर दर्ज मुकदमे व हेट स्पीच से जुड़ी जानकारी मांगी थी. लेकिन, सरकार की तरफ कोई भी जानकारी नहीं दी गई. उल्टा जानकारी के लिए एक विभाग से दूसरे विभाग तक केवल घूमते रहे. जबकि, अंत में न्याय विभाग के पास जब यह मामला गया तो वहां से भी अभी तक कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया. आखिरी में बताया गया कि ऐसी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है. उन्होंने सरकार की मनसा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि सरकार कोई भी जानकारी देने के बजाय केवल गोल-गोल घूमा रही है.

बीते 5 सालों में हेट स्पीच के कई मामले हाईलाइट रहे

वहीं, अगर हेट स्पीच की बात की जाए तो बीते 5 सालों में उत्तर प्रदेश में कई बड़े नेताओं द्वारा हेट स्पीच के मामले सामने आए हैं. इसमें दो प्रमुख मामलों की काफी चर्चा भी रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान पर भड़काऊ भाषण देने का एक मामला दर्ज हुआ था. रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान को दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. इसके पहले भी उन्हें भड़काऊ भाषण देने के एक अन्य मामले में सजा सुनाई जा चुकी है. इसके चलते उनकी विधानसभा की सदस्यता चली गई थी. इसके अलावा 2022 के विधानसभा चुनाव में हेट स्पीच के मामले में विधायक अब्बास अंसारी और उनके छोटे भाई उमर अंसारी पर चुनाव के समय अधिकारियों को धमकी देने के मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था. चुनाव के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए 3 मार्च 2022 को दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.

यह भी पढ़ें: रालोद नेता खालिद मसूद के बिगड़े बोल, PM Modi के लिए कहीं आपत्तिजनक बातें

यह भी पढ़ें: हेट स्पीच मामले में सपा नेता आजम खान को 2 साल की सजा, कोर्ट से मिली जमानत

ईटीवी भारत से बात करते उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूचना के अधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेश चेयरमैन पुष्पेंद्र श्रीवास्तव

लखनऊ: हेट स्पीच का जैसे ही कोई मामला आता है तो उस पर सियासत शुरू हो जाती है. फिर चाहे वह नेता सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का. पिछले लोकसभा 2019 और पिछले कई प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में हेच स्पीच की बाढ़ सी आ गई थी. इसको लेकर सत्ता और विपक्ष के नेताओं ने जमकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए थे. वहीं, लोकसभा के विशेष सत्र के दौरान सांसद रमेश बिधूड़ी के भाषण में आपत्तिजनक शब्दों ने जहां न केवल भाजपा के नेताओं को मुश्किल में डाला, बल्कि दूसरे पार्टी के नेताओं को भी इस मामले को तूल देने का मौका दे दिया.

हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी कई बार सख्त टिप्पणी कर चुका है. लेकिन, इसके बाद भी यह बंद नहीं हो रही है. संसद में हुई घटना के बाद फिर से हेट स्पीच के मामले को गरमा दिया है. जहां लगातार चुनाव व राजनीतिक पार्टियों के भाषण के दौरान नेताओं द्वारा इस तरह की आपत्तिजनक भाषाओं का प्रयोग होता रहा है तो वहीं दूसरी ओर सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश विधानसभा में बैठे नेताओं को लेकर एक नया ही तथ्य सामने आया है.

कांग्रेस नेता की आरटीआई
कांग्रेस नेता की आरटीआई

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूचना के अधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेश चेयरमैन पुष्पेंद्र श्रीवास्तव की तरफ से 17 जून 2023 को एक आरटीआई दाखिल किया गया था. इसमें विभिन्न पार्टियों के नेताओं के संदर्भ में दर्ज हेट स्पीच के कुल कितने मामले दर्ज हैं, इसका विवरण जन सूचना अधिकारी विधानसभा सचिवालय उत्तर प्रदेश से मांगा गया था. लेकिन, इस सूचना को लेकर उन्हें संबंधित विभागों की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. उनका कहना है कि विभाग की ओर से जो सूचना उपलब्ध कराई गई है, उसमें मांगे गए रिकॉर्ड का कोई जवाब नहीं मिला.

जवाब के स्थान पर एक-दूसरे विभाग को लिखते रहे चिट्ठी

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूचना के अधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेश चेयरमैन पुष्पेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 17 जून 2023 को उन्होंने आरटीआई एक्ट 2005 के तहत चार बिंदुओं पर जन सूचना अधिकारी विधानसभा सचिवालय से सूचना मांगी थी. इसमें पहले पॉइंट में उत्तर प्रदेश विधानसभा के दोनों सदन विधानसभा और विधान परिषद में ऐसे कितने सदस्य हैं, जिनके ऊपर आपराधिक मुकदमे, हेट स्पीच और राजनीतिक मुकदमे विचाराधीन हैं. विधायकगण की सूची और उनके राजनीतिक दल की सूची मांगी गई थी. दूसरे पॉइंट में सभी विधायकगण पर उक्त मुकदमे कब से विचाराधीन हैं और किस विधायक को किस आपराधिक मामले में किस न्यायालय द्वारा दोषी सिद्ध किया गया है, इसकी विस्तृत सूची मांगी थी.

लखनऊ में कांग्रेस कार्यालय
लखनऊ में कांग्रेस कार्यालय

तीसरे पॉइंट में विधायकों द्वारा मुकदमे की सूची, मुकदमा अपराध संख्या, धाराएं, थाने का नाम, जनपद का नाम आदि मांगा गया था. वहीं, चौथे पॉइंट में विगत 10 वर्षों में किस विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पर लगे आपराधिक मुकदमे सरकार द्वारा वापस किए गए उन सभी मुकदमों, अपराध संख्या और राजनीतिक दलों की स्थिति सहित जानकारी मांगी थी. पुष्पेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि इस संदर्भ में 20 जून 2023 को संयुक्त सचिव एवं जन सूचना अधिकारी विधानसभा सचिवालय की ओर से विशेष सचिव जन सूचना अधिकारी गोपन विभाग को एक पत्र लिखा गया. इस पत्र में उनके द्वारा मांगे गए सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सारी जानकारी उन्हें भेजने के लिए निर्देश किया गया था. लेकिन, विभाग की ओर से केवल एक विभाग से दूसरे विभाग तक पत्राचार होता रहा.

किसी भी विभाग से नहीं मिली कोई जानकारी

पुष्पेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने बीते 10 वर्षों में सभी राजनीतिक पार्टियों के विधायकों पर दर्ज मुकदमे व हेट स्पीच से जुड़ी जानकारी मांगी थी. लेकिन, सरकार की तरफ कोई भी जानकारी नहीं दी गई. उल्टा जानकारी के लिए एक विभाग से दूसरे विभाग तक केवल घूमते रहे. जबकि, अंत में न्याय विभाग के पास जब यह मामला गया तो वहां से भी अभी तक कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया. आखिरी में बताया गया कि ऐसी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है. उन्होंने सरकार की मनसा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि सरकार कोई भी जानकारी देने के बजाय केवल गोल-गोल घूमा रही है.

बीते 5 सालों में हेट स्पीच के कई मामले हाईलाइट रहे

वहीं, अगर हेट स्पीच की बात की जाए तो बीते 5 सालों में उत्तर प्रदेश में कई बड़े नेताओं द्वारा हेट स्पीच के मामले सामने आए हैं. इसमें दो प्रमुख मामलों की काफी चर्चा भी रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान पर भड़काऊ भाषण देने का एक मामला दर्ज हुआ था. रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान को दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. इसके पहले भी उन्हें भड़काऊ भाषण देने के एक अन्य मामले में सजा सुनाई जा चुकी है. इसके चलते उनकी विधानसभा की सदस्यता चली गई थी. इसके अलावा 2022 के विधानसभा चुनाव में हेट स्पीच के मामले में विधायक अब्बास अंसारी और उनके छोटे भाई उमर अंसारी पर चुनाव के समय अधिकारियों को धमकी देने के मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था. चुनाव के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए 3 मार्च 2022 को दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.

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Last Updated : Sep 26, 2023, 10:11 PM IST

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