नई दिल्ली : लोक सभा में जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Tribal Affairs minister Arjun Munda) ने संसद में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2022 पेश (Constitution (Scheduled Tribe) Order (Amendment) Bill 2022) किया. उन्होंने विधेयक पेश किए जाने के मकसद के बारे में कहा कि जनजातीय समुदाय का बड़ा वर्ग ऐसा है जो कई समस्याओं का सामना कर रहा है.
अर्जुन मुंडा ने महाराष्ट्र की महिला सांसद द्वारा शून्यकाल में उठाए गए मुद्दे का जिक्र कर कहा कि जनजातीय समुदाय अनुवांशिक बीमारी का सामना कर रही है. ऐसे में केंद्र सरकार जनजातीय समुदाय की पहचान और उनसे जुड़ी समस्याओं के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है. अपराह्न करीब तीन बजे शुरू हुई चर्चा के बाद अर्जन मुंडा ने शाम पांच बजे चर्चा का विस्तृत जवाब दिया. मुंडा के जवाब के बाद लोक सभा में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2022 पेश (Constitution (Scheduled Tribe) Order (Amendment) Bill 2022) ध्वनिमत से पारित हो गया.
अर्जुन मुंडा ने कहा कि मोदी सरकार का मानना है कि जनजाति एवं जनजातीय क्षेत्रों के विकास के बिना देश के समग्र विकास का सपना पूरा नहीं हो सकता है, ऐसे में मानव विकास सूचकांक के सभी मानकों के आधार पर इनके लिये प्रतिबद्धता के साथ काम किया जा रहा है.
लोक सभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री मुंडा ने कहा, 'भारत सरकार जनजातियों के विकास के लिये प्रतिबद्ध है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने लगातार इस दिशा में काम किया है.' उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि जनजाति एवं जनजातीय क्षेत्रों के विकास के बिना देश के समग्र विकास का सपना पूरा नहीं हो सकता है.
उन्होंने कहा कि सरकार मानव विकास सूचकांक के सभी मानकों के आधार पर जनजाति विकास के लिये काम कर रही है. मुंडा ने कहा कि 2014 में सरकार बनने के बाद से ही धन, निर्णय, कार्यक्रम एवं इनके कार्यान्वयन की दृष्टि से राज्यों के साथ विभिन्न स्तर पर समन्वय करके काम किया जा रहा है और राज्यों को आवंटित राशि में वृद्धि की गई है.
उन्होंने कहा कि हमने राज्यों को प्रेरित किया है कि अनुसूचित जाति/जनजाति उप योजना पर अच्छे तरीके से काम करें. मुंडा ने कहा कि किसी राज्य में जनजातियों का निर्धारण लोकुर समिति द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर होता है. राज्य सरकार इन मानकों के आधार पर इन्हें चिन्हित करके केंद्र के पास भेजती है. केंद्र सरकार के स्तर पर विचार-विमर्श करने के बाद उपयुक्त पाए जाने पर इन्हें मंत्रिमंडल के पास भेजा जाता है.
उन्होंने कहा कि वह सदस्यों को बताना चाहते हैं कि सरकार इस विषय पर संवेदनशील है. गौरतलब है कि इससे पहले विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने केंद्र सरकार से देश में विभिन्न समुदायों को जनजातियों की सूची में शामिल करने से संबंधित अलग-अलग विधेयक लाने के बजाय एक समग्र विधेयक लाने की मांग की थी.
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इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए असम की नौगांव लोक सभा सीट से कांग्रेस सांसद प्रद्युत बोरदोलोई ने कहा कि केंद्र सरकार त्रिपुरा में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इस तरीके का विधेयक लाई है. उन्होंने कहा कि सरकार को जनजातियों को पहचान देने के अलावा कई अन्य मुद्दों पर भी काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल ट्राइब्स से जुड़ी संसदीय समिति ने आज तक एक भी रिपोर्ट पेश नहीं की है. उन्होंने सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े किए और कहा कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय को रिपोर्ट पेश किए जाने में गंभीरता दिखानी चाहिए.