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साइबर ग्रूमिंग बड़ा खतरा, इसके प्रति बच्चों में समझ बढ़ाने की जरूरत : गृह मंत्रालय

साइबर खतरों के प्रति जागरूक करने के लिए गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने पुस्तिका तैयार की है, जिसमें इसके प्रति आगाह किया गया है. गृह मंत्रालय का मानना है कि साइबर ग्रूमिंग बच्चों और किशोरों द्वारा सामना किए जाने वाले प्रमुख साइबर खतरों में से एक है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

home ministry cyber security children
साइबर ग्रूमिंग बड़ा खतरा
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Published : Oct 14, 2022, 6:52 PM IST

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (एमएचए) ने स्वीकार किया है कि साइबर ग्रूमिंग बच्चों और किशोरों के सामने आने वाले प्रमुख साइबर खतरों में से एक के रूप में बढ़ रहा है, जहां अपराधी बच्चों का यौन शोषण करने की कोशिश करते हैं.

गृह मंत्रालय ने कहा, 'साइबर ग्रूमिंग बच्चों और किशोरों द्वारा सामना किए जाने वाले प्रमुख साइबर खतरों में से एक के रूप में बढ़ रहा है. यह एक ऐसा चलन है जिसमें कोई व्यक्ति यौन शोषण या शोषण के लिए उनका विश्वास हासिल करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया या चैटिंग प्लेटफॉर्म को माध्यम बनाता है.' इस तथ्य से अवगत होने के कारण गृह मंत्रालय बच्चों और किशोरों को साइबर दुनिया को बेहतर ढंग से समझने और भविष्य के जिम्मेदार और सावधान साइबर नागरिक बनने के लिए खुद को तैयार करने के लिए एक पुस्तिका लेकर आया है (home ministry cyber security children).

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की सलाह से तैयार की गई पुस्तिका विशेष रूप से साइबर ग्रूमिंग, साइबर बुलिंग, ऑनलाइन गेमिंग, ई-मेल धोखाधड़ी, ऑनलाइन लेनदेन धोखाधड़ी और सोशल नेटवर्किंग प्रोफाइल के लिए सुरक्षा जैसे कारकों से संबंधित है.

एमएचए ने कहा, 'हमारी नई पीढ़ी को बहुत कम उम्र में साइबर स्पेस का अनुभव हो रहा है. अधिक से अधिक बच्चे गेम खेलने, दोस्त बनाने और सोशल नेटवर्किंग साइटों का उपयोग करने के लिए ऑनलाइन समय बिताते हैं. वास्तव में, स्मार्ट फोन की सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन गेम तक पहुंच, खरीदारी आदि में काफी वृद्धि हुई है. साइबर स्पेस हमें दुनिया भर के करोड़ों ऑनलाइन उपयोगकर्ताओं के साथ जोड़ता है. साइबर स्पेस के बढ़ते उपयोग के साथ, साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं.' दरअसल, गृह मंत्रालय पहले ही साइबर दोस्त, साइबर सुरक्षा और साइबर सुरक्षा जागरूकता सोशल मीडिया हैंडल लॉन्च कर चुका है.

साइबर सुरक्षा चिंता का विषय क्यों?: आज इंटरनेट, कंप्यूटर, स्मार्ट फोन और अन्य संचार प्रौद्योगिकी उपकरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं. साइबर अपराधी पीड़ितों पर हमला करने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स, ईमेल, चैट रूम, पायरेटेड सॉफ्टवेयर, वेबसाइट आदि जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं. बच्चे विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों के प्रति संवेदनशील होते हैं. भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) के अनुसार, भारत में 2017 में साइबर सुरक्षा की घटनाओं के 53,000 से अधिक मामले सामने आए.

साइबर बुलिंग: साइबर बुलिंग बच्चों और युवाओं द्वारा सामना किए जाने वाले आम साइबर खतरों में से एक है. एक साइबर बुली दूसरों को धमकाने के लिए टेक्स्ट मैसेज, ईमेल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, वेब पेज, चैट रूम का उपयोग कर सकता है. एमएचए हैंडबुक में कहा गया है, 'बच्चों पर साइबर बुलिंग के परिणाम कई गुना हैं. शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक परिणाम हो सकते हैं जो न केवल छात्रों के अकादमिक प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं बल्कि उनके दैनिक जीवन को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं.'

साइबर ग्रूमिंग: साइबर ग्रूमिंग बच्चों और किशोरों के सामने एक बड़ा साइबर खतरा बनता जा रहा है. यह एक ऐसा अभ्यास है जहां कोई व्यक्ति सोशल मीडिया या मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से बच्चों के साथ भावनात्मक बंधन बनाता है, जिसका उद्देश्य यौन शोषण या शोषण के लिए उनका विश्वास हासिल करना है.

ऑनलाइन गेमिंग: बच्चे और ज्यादातर लोग ऑनलाइन गेमिंग कर रहे हैं और ये संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. साइबर अपराधी उन्हें शिकार बनाने की कोशिश करते हैं. यह धोखाधड़ी, साइबर बुलिंग, अनुचित सामग्री को दूसरों के बीच साझा करने का तरीका हो सकता है.

ई-मेल धोखाधड़ी: ई-मेल धोखाधड़ी साइबर अपराधियों का सबसे कम खर्चीला हथियार है. व्यक्तिगत लाभ के लिए या व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए वह इसका इस्तेमाल करते हैं.

इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक आईपीएस सेठी ने कहा कि इस तरह की पुस्तिका समय की जरूरत थी. सेठी ने कहा, 'हम नियमित रूप से शिकायतें प्राप्त करते रहते हैं जहां साइबर अपराधी लोगों को धोखा देते हैं.' उन्होंने कहा कि बच्चों और किशोरों के लिए ऑनलाइन खतरे के बारे में खुद को जागरूक करना बहुत जरूरी है. सेठी ने कहा, 'बच्चे खुद को ऑनलाइन गेमिंग में शामिल करते हैं जो धोखेबाजों के लिए लोगों को धोखा देने का एक आसान तरीका बन गया है.'

पढ़ें- कर्नाटक: दोस्ती, प्यार और फिर ब्लैकमेल कर लूटे 21 लाख, जानें कैसे

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (एमएचए) ने स्वीकार किया है कि साइबर ग्रूमिंग बच्चों और किशोरों के सामने आने वाले प्रमुख साइबर खतरों में से एक के रूप में बढ़ रहा है, जहां अपराधी बच्चों का यौन शोषण करने की कोशिश करते हैं.

गृह मंत्रालय ने कहा, 'साइबर ग्रूमिंग बच्चों और किशोरों द्वारा सामना किए जाने वाले प्रमुख साइबर खतरों में से एक के रूप में बढ़ रहा है. यह एक ऐसा चलन है जिसमें कोई व्यक्ति यौन शोषण या शोषण के लिए उनका विश्वास हासिल करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया या चैटिंग प्लेटफॉर्म को माध्यम बनाता है.' इस तथ्य से अवगत होने के कारण गृह मंत्रालय बच्चों और किशोरों को साइबर दुनिया को बेहतर ढंग से समझने और भविष्य के जिम्मेदार और सावधान साइबर नागरिक बनने के लिए खुद को तैयार करने के लिए एक पुस्तिका लेकर आया है (home ministry cyber security children).

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की सलाह से तैयार की गई पुस्तिका विशेष रूप से साइबर ग्रूमिंग, साइबर बुलिंग, ऑनलाइन गेमिंग, ई-मेल धोखाधड़ी, ऑनलाइन लेनदेन धोखाधड़ी और सोशल नेटवर्किंग प्रोफाइल के लिए सुरक्षा जैसे कारकों से संबंधित है.

एमएचए ने कहा, 'हमारी नई पीढ़ी को बहुत कम उम्र में साइबर स्पेस का अनुभव हो रहा है. अधिक से अधिक बच्चे गेम खेलने, दोस्त बनाने और सोशल नेटवर्किंग साइटों का उपयोग करने के लिए ऑनलाइन समय बिताते हैं. वास्तव में, स्मार्ट फोन की सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन गेम तक पहुंच, खरीदारी आदि में काफी वृद्धि हुई है. साइबर स्पेस हमें दुनिया भर के करोड़ों ऑनलाइन उपयोगकर्ताओं के साथ जोड़ता है. साइबर स्पेस के बढ़ते उपयोग के साथ, साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं.' दरअसल, गृह मंत्रालय पहले ही साइबर दोस्त, साइबर सुरक्षा और साइबर सुरक्षा जागरूकता सोशल मीडिया हैंडल लॉन्च कर चुका है.

साइबर सुरक्षा चिंता का विषय क्यों?: आज इंटरनेट, कंप्यूटर, स्मार्ट फोन और अन्य संचार प्रौद्योगिकी उपकरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं. साइबर अपराधी पीड़ितों पर हमला करने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स, ईमेल, चैट रूम, पायरेटेड सॉफ्टवेयर, वेबसाइट आदि जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं. बच्चे विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों के प्रति संवेदनशील होते हैं. भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) के अनुसार, भारत में 2017 में साइबर सुरक्षा की घटनाओं के 53,000 से अधिक मामले सामने आए.

साइबर बुलिंग: साइबर बुलिंग बच्चों और युवाओं द्वारा सामना किए जाने वाले आम साइबर खतरों में से एक है. एक साइबर बुली दूसरों को धमकाने के लिए टेक्स्ट मैसेज, ईमेल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, वेब पेज, चैट रूम का उपयोग कर सकता है. एमएचए हैंडबुक में कहा गया है, 'बच्चों पर साइबर बुलिंग के परिणाम कई गुना हैं. शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक परिणाम हो सकते हैं जो न केवल छात्रों के अकादमिक प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं बल्कि उनके दैनिक जीवन को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं.'

साइबर ग्रूमिंग: साइबर ग्रूमिंग बच्चों और किशोरों के सामने एक बड़ा साइबर खतरा बनता जा रहा है. यह एक ऐसा अभ्यास है जहां कोई व्यक्ति सोशल मीडिया या मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से बच्चों के साथ भावनात्मक बंधन बनाता है, जिसका उद्देश्य यौन शोषण या शोषण के लिए उनका विश्वास हासिल करना है.

ऑनलाइन गेमिंग: बच्चे और ज्यादातर लोग ऑनलाइन गेमिंग कर रहे हैं और ये संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. साइबर अपराधी उन्हें शिकार बनाने की कोशिश करते हैं. यह धोखाधड़ी, साइबर बुलिंग, अनुचित सामग्री को दूसरों के बीच साझा करने का तरीका हो सकता है.

ई-मेल धोखाधड़ी: ई-मेल धोखाधड़ी साइबर अपराधियों का सबसे कम खर्चीला हथियार है. व्यक्तिगत लाभ के लिए या व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए वह इसका इस्तेमाल करते हैं.

इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक आईपीएस सेठी ने कहा कि इस तरह की पुस्तिका समय की जरूरत थी. सेठी ने कहा, 'हम नियमित रूप से शिकायतें प्राप्त करते रहते हैं जहां साइबर अपराधी लोगों को धोखा देते हैं.' उन्होंने कहा कि बच्चों और किशोरों के लिए ऑनलाइन खतरे के बारे में खुद को जागरूक करना बहुत जरूरी है. सेठी ने कहा, 'बच्चे खुद को ऑनलाइन गेमिंग में शामिल करते हैं जो धोखेबाजों के लिए लोगों को धोखा देने का एक आसान तरीका बन गया है.'

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