नई दिल्ली: जैसा कि भारत हर घर तिरंगा कार्यक्रम (Har Ghar Tiranga programme) के साथ अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है. 1971 के मुक्ति संग्राम के दिग्गज ब्रिगेडियर बीके खन्ना (Retd Brigadier BK Khanna) ने इस पहल की सराहना की और कहा कि इस तरह का कार्यक्रम निश्चित रूप से साथी नागरिकों को अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करेगा.
ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा कि 'हर घर तिरंगा एक अच्छी पहल है क्योंकि यह देशभक्ति को प्रोत्साहित करेगा. तिरंगा हमारा प्रतीक है जो दर्शाता है कि हमें अपनी राष्ट्रवादी भावना को बनाए रखना चाहिए.' ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा कि जहां तक देशभक्ति के मुद्दे का सवाल है, भारत अपनी भावनाओं में बदलाव देख रहा है. केवल सेना ही नहीं बल्कि पूरे देशवासी युद्ध के दौरान लड़ते हैं.
उन्होंने कहा, 'भारतीय सेना हमेशा देश की रक्षा के लिए है लेकिन देशवासियों को भी एकजुट होना चाहिए.' उन्होंने कहा 'मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में इस तरह की पहल (हर घर तिरंगा) निश्चित रूप से लोगों को प्रोत्साहित करेगी. आत्मविश्वास पैदा करेगी.'
1971 के युद्ध की ताजा कीं यादें : बांग्लादेश में 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान ब्रिगेडियर खन्ना राजपूताना राइफल्स में कैप्टन थे. हालांकि, बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए भारत के पाकिस्तानी सेना के खिलाफ युद्ध में प्रवेश करने से पहले ब्रिगेडियर खन्ना और उनकी प्लाटून को उग्रवाद की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नागालैंड में तैनात किया गया था.
ब्रिगेडियर खन्ना ने पुराने समय को याद करते हुए कहा, '1971 के युद्ध के दौरान हमें पहली बार नागालैंड में तैनात किया गया था और हमें बताया गया था कि हमें बांग्लादेश जाना है और यदि आवश्यक हो तो हमें देश को आजाद कराना है.' ब्रिगेडियर खन्ना ने बताया कि एक महीने के लंबे प्रशिक्षण के बाद उनकी प्लाटून नावों से बराक नदी पार कर सड़क मार्ग से बांग्लादेश के धर्मपुरम गई.
ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा, 'सितंबर से नवंबर 1970 तक ऑपरेशन जैकपॉट के दौरान हमने तोपखाने, हथियारों, सामरिक अभियानों और खुफिया जानकारी के मामले में मुक्ति वाहिनी को सक्रिय सहायता प्रदान की.' आठ महीने से अधिक युद्ध के बाद भारतीय सेना और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी ने पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान में बांग्लादेश) को पाकिस्तानी सेना से मुक्त कराया.
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