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न्यायाधीश के रूप में किरपाल के नाम की सिफारिश का LGBTQ समुदाय, अन्य ने किया स्वागत

दिल्ली उच्च न्यायालय के लिए सौरभ किरपाल के रूप में भारत को पहला समलैंगिक न्यायाधीश मिलने की संभावना का मंगलवार को व्यापक स्वागत हुआ. एलजीबीटीक्यू समुदाय के कुछ लोगों ने जहां इसे ऐतिहासिक करार दिया तो कुछ अन्य ने इसे 'निष्पक्ष भारत' के प्रतीक के रूप में वर्णित किया.

किरपाल
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Published : Nov 17, 2021, 7:15 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High court) के लिए सौरभ किरपाल के नाम को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के कॉलेजियम ने मंजूरी दे दी है. सौरभ किरपाल के रूप में भारत को पहला समलैंगिक न्यायाधीश मिलने वाला है. एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) समुदाय के कुछ लोगों ने जहां इसे ऐतिहासिक करार दिया तो कुछ अन्य ने इसे 'निष्पक्ष भारत' के प्रतीक के रूप में वर्णित किया है.

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमण की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की मंजूरी मिलने के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता का दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ा है. उनके यौन अभिरूचि के कारण उनके नाम की सिफारिश पर फैसला 2018 के बाद से कई बार स्थगित हुआ.

केंद्र को मंजूरी के लिए सिफारिश भेजी गई है, जो इसे वापस कॉलेजियम को भेज सकता है. हालांकि, अगर नाम वापस भेजा जाता है, तो केंद्र के पास इसे मंजूरी देने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा.

अपनी समलैंगिक स्थिति के बारे में खुलकर बोलने वाले किरपाल (49) की संभावित पदोन्नति की खबर को समलैंगिक समुदाय के लोगों और मशहूर हस्तियों, अधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों से सोशल मीडिया तथा अन्य जगहों पर भावनात्मक प्रतिक्रिया मिली है.

किरपाल के मित्र, लेखक शरीफ डी रंगनेकर के लिए यह सिफारिश अविश्वसनीय रूप से बहुत बड़ी है. साथ ही यह समुदाय में एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए कई लोगों को प्रेरित करेगी.

पूर्व पत्रकार और 'स्ट्रेट टू नॉर्मल: माई लाइफ ऐज ए गे मैन' के लेखक रंगनेकर ने कहा कि मैं आपको बता नहीं सकता कि यह खबर पाकर मैं कितना खुश हूं. यह निश्चित रूप से सौरभ किरपाल की उपलब्धि है, इसका सारा श्रेय उन्हें जाता है, लेकिन हम एक ऐसे समुदाय में रह रहे हैं, जहां बहुत कम लोग हैं, जो किसी खास पद पर हैं, जो एक खास तरह का प्रभाव रखते हैं, एक ऐसी चीज जिसे हम आज पाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि सौरभ भारत से अलग किसी दूसरे देश में जाने का विकल्प चुन सकते थे, और अधिक सम्मान प्राप्त कर सकते थे. लेकिन वह यहीं रहे, वह किसी भी दबाव में नहीं झुके हैं. आप नहीं जानते कि अब और कितने वकील किरपाल के रूप में सामने आएंगे, तथा भेदभाव महसूस नहीं करेंगे. यह वास्तव में समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है.

पढ़ें : देश के पहले समलैंगिक जज वकील सौरभ किरपाल को कॉलेजियम की मंजूरी, दिल्ली HC के बनेंगे न्यायाधीश

उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस भूपिंदर नाथ किरपाल के पुत्र सौरभ किरपाल ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर किया तथा जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद भारत लौट आए. किरपाल दो दशक से अधिक समय से शीर्ष अदालत में वकालत कर रहे हैं. वह उस मामले में नवतेज जौहर, रितु डालमिया और अन्य लोगों के वकील थे, जिसमें 2018 में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था.

दिल्ली निवासी ट्रांसजेंडर महिला नाज जोशी ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में किरपाल की संभावित नियुक्ति 'निष्पक्ष भारत' के लिए एक उदाहरण स्थापित करेगी. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, न्यायपालिका प्रणाली में एलजीबीटीक्यू समुदाय का एक सदस्य हमारे समुदाय को लाभान्वित कर सकता है. हम उम्मीद कर सकते हैं कि वह हमारे अधिकारों के लिए लड़ेंगे और भारत में समलैंगिक विवाह को वैध बनाएंगे, जो समय की जरूरत है. इस समुदाय से बाहर के कई लोगों ने भी इस बारे में टिप्पणी की.

अभिनेता-फिल्म निर्माता फरहान अख्तर के विचार में, उच्चतम न्यायालय द्वारा किरपाल को चुना जाना ऐतिहासिक है. यह इस दिशा में एक बड़ा कदम है कि यौन अभिरूचि पर नहीं, बल्कि योग्यता पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

फिल्म निर्देशक अपूर्व असरानी ने ट्वीट किया कि सौरभ किरपाल समलैंगिक के रूप में पहचान रखते हैं और एलजीबीटीक्यू अधिकारों के बारे में मुखर हैं... आज वह दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनने के लिए तैयार हैं....

कई अन्य लोगों ने भी सोशल मीडिया पर अपने विचार रखे.

किंग्शुक बनर्जी ने कहा कि यह वास्तव में खुशी की बात है. अगर ऐसा होता है तो भारत यूरोपीय संघ और कनाडा की लीग में शामिल हो जाएगा. यह वास्तव में भारत में बहुलवाद और बहु-संस्कृतिवाद को प्रदर्शित करता है.

कौस्तुभ मेहता ने ट्वीट किया कि हमें लॉ स्कूल में सिखाया गया था कि वकील सामाजिक इंजीनियर होते हैं. सौरभ किरपाल की पदोन्नति से, समावेश और बहुलता का संदेश न्यायिक हलकों में और अंततः समाज में फैल जाएगा. यह सोशल इंजीनियरिंग की एक उत्कृष्ट कृति होगी!

बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय कॉलेजियम ने 2017 में किरपाल की पदोन्नति की सिफारिश की थी. इसके बाद उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. हालांकि, केंद्र ने उनके कथित यौन अभिरूचि का हवाला देते हुए उनकी सिफारिश पर आपत्ति जताई थी.

उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिश 2018 में पहली बार किरपाल की उम्मीदवारी पर विचार करने के लगभग तीन साल बाद आई है. उनके नाम की सिफारिश और केंद्र की कथित आपत्ति को लेकर पिछले चार साल से न्यायिक गलियारों में व्यापक चर्चा होती रही है. दिल्ली उच्च न्यायालय में 60 न्यायाधीशों के स्वीकृत पद हैं और वर्तमान में यह 30 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High court) के लिए सौरभ किरपाल के नाम को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के कॉलेजियम ने मंजूरी दे दी है. सौरभ किरपाल के रूप में भारत को पहला समलैंगिक न्यायाधीश मिलने वाला है. एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) समुदाय के कुछ लोगों ने जहां इसे ऐतिहासिक करार दिया तो कुछ अन्य ने इसे 'निष्पक्ष भारत' के प्रतीक के रूप में वर्णित किया है.

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमण की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की मंजूरी मिलने के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता का दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ा है. उनके यौन अभिरूचि के कारण उनके नाम की सिफारिश पर फैसला 2018 के बाद से कई बार स्थगित हुआ.

केंद्र को मंजूरी के लिए सिफारिश भेजी गई है, जो इसे वापस कॉलेजियम को भेज सकता है. हालांकि, अगर नाम वापस भेजा जाता है, तो केंद्र के पास इसे मंजूरी देने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा.

अपनी समलैंगिक स्थिति के बारे में खुलकर बोलने वाले किरपाल (49) की संभावित पदोन्नति की खबर को समलैंगिक समुदाय के लोगों और मशहूर हस्तियों, अधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों से सोशल मीडिया तथा अन्य जगहों पर भावनात्मक प्रतिक्रिया मिली है.

किरपाल के मित्र, लेखक शरीफ डी रंगनेकर के लिए यह सिफारिश अविश्वसनीय रूप से बहुत बड़ी है. साथ ही यह समुदाय में एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए कई लोगों को प्रेरित करेगी.

पूर्व पत्रकार और 'स्ट्रेट टू नॉर्मल: माई लाइफ ऐज ए गे मैन' के लेखक रंगनेकर ने कहा कि मैं आपको बता नहीं सकता कि यह खबर पाकर मैं कितना खुश हूं. यह निश्चित रूप से सौरभ किरपाल की उपलब्धि है, इसका सारा श्रेय उन्हें जाता है, लेकिन हम एक ऐसे समुदाय में रह रहे हैं, जहां बहुत कम लोग हैं, जो किसी खास पद पर हैं, जो एक खास तरह का प्रभाव रखते हैं, एक ऐसी चीज जिसे हम आज पाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि सौरभ भारत से अलग किसी दूसरे देश में जाने का विकल्प चुन सकते थे, और अधिक सम्मान प्राप्त कर सकते थे. लेकिन वह यहीं रहे, वह किसी भी दबाव में नहीं झुके हैं. आप नहीं जानते कि अब और कितने वकील किरपाल के रूप में सामने आएंगे, तथा भेदभाव महसूस नहीं करेंगे. यह वास्तव में समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है.

पढ़ें : देश के पहले समलैंगिक जज वकील सौरभ किरपाल को कॉलेजियम की मंजूरी, दिल्ली HC के बनेंगे न्यायाधीश

उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस भूपिंदर नाथ किरपाल के पुत्र सौरभ किरपाल ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर किया तथा जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद भारत लौट आए. किरपाल दो दशक से अधिक समय से शीर्ष अदालत में वकालत कर रहे हैं. वह उस मामले में नवतेज जौहर, रितु डालमिया और अन्य लोगों के वकील थे, जिसमें 2018 में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था.

दिल्ली निवासी ट्रांसजेंडर महिला नाज जोशी ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में किरपाल की संभावित नियुक्ति 'निष्पक्ष भारत' के लिए एक उदाहरण स्थापित करेगी. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, न्यायपालिका प्रणाली में एलजीबीटीक्यू समुदाय का एक सदस्य हमारे समुदाय को लाभान्वित कर सकता है. हम उम्मीद कर सकते हैं कि वह हमारे अधिकारों के लिए लड़ेंगे और भारत में समलैंगिक विवाह को वैध बनाएंगे, जो समय की जरूरत है. इस समुदाय से बाहर के कई लोगों ने भी इस बारे में टिप्पणी की.

अभिनेता-फिल्म निर्माता फरहान अख्तर के विचार में, उच्चतम न्यायालय द्वारा किरपाल को चुना जाना ऐतिहासिक है. यह इस दिशा में एक बड़ा कदम है कि यौन अभिरूचि पर नहीं, बल्कि योग्यता पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

फिल्म निर्देशक अपूर्व असरानी ने ट्वीट किया कि सौरभ किरपाल समलैंगिक के रूप में पहचान रखते हैं और एलजीबीटीक्यू अधिकारों के बारे में मुखर हैं... आज वह दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनने के लिए तैयार हैं....

कई अन्य लोगों ने भी सोशल मीडिया पर अपने विचार रखे.

किंग्शुक बनर्जी ने कहा कि यह वास्तव में खुशी की बात है. अगर ऐसा होता है तो भारत यूरोपीय संघ और कनाडा की लीग में शामिल हो जाएगा. यह वास्तव में भारत में बहुलवाद और बहु-संस्कृतिवाद को प्रदर्शित करता है.

कौस्तुभ मेहता ने ट्वीट किया कि हमें लॉ स्कूल में सिखाया गया था कि वकील सामाजिक इंजीनियर होते हैं. सौरभ किरपाल की पदोन्नति से, समावेश और बहुलता का संदेश न्यायिक हलकों में और अंततः समाज में फैल जाएगा. यह सोशल इंजीनियरिंग की एक उत्कृष्ट कृति होगी!

बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय कॉलेजियम ने 2017 में किरपाल की पदोन्नति की सिफारिश की थी. इसके बाद उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. हालांकि, केंद्र ने उनके कथित यौन अभिरूचि का हवाला देते हुए उनकी सिफारिश पर आपत्ति जताई थी.

उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिश 2018 में पहली बार किरपाल की उम्मीदवारी पर विचार करने के लगभग तीन साल बाद आई है. उनके नाम की सिफारिश और केंद्र की कथित आपत्ति को लेकर पिछले चार साल से न्यायिक गलियारों में व्यापक चर्चा होती रही है. दिल्ली उच्च न्यायालय में 60 न्यायाधीशों के स्वीकृत पद हैं और वर्तमान में यह 30 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

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