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Delhi Govt Vs LG: LG सचिवालय ने सर्विस मामले से जुड़ी सभी फाइलें दिल्ली सरकार को लौटाई

उपराज्यपाल सचिवालय ने सर्विस मामले से संबंधित सारी फाइलें दिल्ली सरकार को लौटा दी हैं. वहीं, बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की प्रशासनिक सक्रियता में भी कमी आई है.

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Published : May 16, 2023, 3:04 PM IST

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नई दिल्ली: दिल्ली में सर्विसेज के अधिकार (अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग जैसे मामले) को लेकर पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से उपराज्यपाल वीके सक्सेना की प्रशासनिक सक्रियता में कमी आ गई है. मंगलवार को उपराज्यपाल सचिवालय ने सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के संवैधानिक पीठ के फैसले के मद्देनजर सर्विसेज मामले से जुड़ी सभी फाइलें दिल्ली सरकार को लौटा दी.

दरअसल, अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर अन्य सभी मामलों में उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह और सहायता से काम करना होगा. ऐसे में अब माना जा रहा है कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना भी काफी सोच समझकर ही कोई कदम उठाएंगे. उपराज्यपाल अब कोई भी सरकार से संबंधित कार्यों में दखल देने से बच रहे हैं. पिछले सप्ताह सर्विसेस विभाग के सचिव आशीष मोरे के तबादले को आदेश की अनदेखी करने के बाद दिल्ली सरकार को एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा है. इस वजह से अधिकारियों के बीच अभी असमंजस की स्थिति है. अब जब तक सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार की इस याचिका पर फैसला नहीं सुना देता तब तक ऐसी ही स्थिति बने रहने की संभावना है.

उपराज्यपाल के जिम्मे बचे मुख्य कार्य: उपराज्यपाल अभी किसी प्रकार के जल्दीबाजी में नहीं दिख रहे हैं और न ही सरकार कोई उतावलापन दिखा रही है. उपराज्यपाल दिल्ली में होने वाले आगामी G-20 सम्मेलन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की खुद निगरानी कर रहे हैं. साथ ही यमुना की सफाई और कूड़े के निस्तारण पर भी उनका विशेष ध्यान रहा है. इसके लिए वे लगातार अधिकारियों के साथ बैठकर कर रहे थे. यमुना नदी के किनारे कई परियोजनाओं पर उनके ही निर्देश पर काम शुरू हुआ है.

इतना ही नहीं, यमुना की सफाई और संपूर्ण निस्तारण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित की गई उच्चस्तरीय निगरानी समितियों के मुखिया भी हैं. ऐसे में यमुना की सफाई और कूड़ा निस्तारण के मामले में वे आगे भी उसी सक्रियता के साथ काम करते हुए दिखाई देंगे, जैसा वे अभी तक कर रहे थे. इस मामले में दिल्ली सरकार के अन्य विभागों से सहयोग लेने से उन्हें कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, डीडीए, दिल्ली पुलिस और अपने अधिकार क्षेत्र वाले अन्य विभागों से जुड़े कार्यों में भी सक्रियता उनकी बनी रहेगी.

यह भी पढ़ें-Sanjay Singh on LG: आप सांसद ने एलजी को बोला तानाशाह लाटसाहब, कहा- उपराज्यपाल को अपने पद पर रहने का हक नहीं

दिल्ली सरकार के इन विभागों से अब दूरी: सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह और सहायता से काम करने को कहा है. इसलिए अब वे लोक निर्माण विभाग, बिजली विभाग, दिल्ली जल बोर्ड, वन एवं पर्यावरण, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण जैसे तमाम विभागों जो सीधे तौर पर सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, उनसे जुड़े कामों को लेकर अब उपराज्यपाल की भूमिका बदल जाएगी. इन विभागों से संबंधित उपराज्यपाल सचिवालय में रखी फाइलें, मंगलवार को सरकार को लौटा दी गई है.

यह भी पढ़ें-LG vs Delhi Govt: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से केजरीवाल ही दिल्ली के बॉस, एलजी मानें सरकार की सलाह

नई दिल्ली: दिल्ली में सर्विसेज के अधिकार (अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग जैसे मामले) को लेकर पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से उपराज्यपाल वीके सक्सेना की प्रशासनिक सक्रियता में कमी आ गई है. मंगलवार को उपराज्यपाल सचिवालय ने सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के संवैधानिक पीठ के फैसले के मद्देनजर सर्विसेज मामले से जुड़ी सभी फाइलें दिल्ली सरकार को लौटा दी.

दरअसल, अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर अन्य सभी मामलों में उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह और सहायता से काम करना होगा. ऐसे में अब माना जा रहा है कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना भी काफी सोच समझकर ही कोई कदम उठाएंगे. उपराज्यपाल अब कोई भी सरकार से संबंधित कार्यों में दखल देने से बच रहे हैं. पिछले सप्ताह सर्विसेस विभाग के सचिव आशीष मोरे के तबादले को आदेश की अनदेखी करने के बाद दिल्ली सरकार को एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा है. इस वजह से अधिकारियों के बीच अभी असमंजस की स्थिति है. अब जब तक सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार की इस याचिका पर फैसला नहीं सुना देता तब तक ऐसी ही स्थिति बने रहने की संभावना है.

उपराज्यपाल के जिम्मे बचे मुख्य कार्य: उपराज्यपाल अभी किसी प्रकार के जल्दीबाजी में नहीं दिख रहे हैं और न ही सरकार कोई उतावलापन दिखा रही है. उपराज्यपाल दिल्ली में होने वाले आगामी G-20 सम्मेलन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की खुद निगरानी कर रहे हैं. साथ ही यमुना की सफाई और कूड़े के निस्तारण पर भी उनका विशेष ध्यान रहा है. इसके लिए वे लगातार अधिकारियों के साथ बैठकर कर रहे थे. यमुना नदी के किनारे कई परियोजनाओं पर उनके ही निर्देश पर काम शुरू हुआ है.

इतना ही नहीं, यमुना की सफाई और संपूर्ण निस्तारण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित की गई उच्चस्तरीय निगरानी समितियों के मुखिया भी हैं. ऐसे में यमुना की सफाई और कूड़ा निस्तारण के मामले में वे आगे भी उसी सक्रियता के साथ काम करते हुए दिखाई देंगे, जैसा वे अभी तक कर रहे थे. इस मामले में दिल्ली सरकार के अन्य विभागों से सहयोग लेने से उन्हें कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, डीडीए, दिल्ली पुलिस और अपने अधिकार क्षेत्र वाले अन्य विभागों से जुड़े कार्यों में भी सक्रियता उनकी बनी रहेगी.

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दिल्ली सरकार के इन विभागों से अब दूरी: सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह और सहायता से काम करने को कहा है. इसलिए अब वे लोक निर्माण विभाग, बिजली विभाग, दिल्ली जल बोर्ड, वन एवं पर्यावरण, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण जैसे तमाम विभागों जो सीधे तौर पर सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, उनसे जुड़े कामों को लेकर अब उपराज्यपाल की भूमिका बदल जाएगी. इन विभागों से संबंधित उपराज्यपाल सचिवालय में रखी फाइलें, मंगलवार को सरकार को लौटा दी गई है.

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