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किसी भी स्रोत से ज्ञान को आने दें : न्यायालय

सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दल को कोविड​​​​-19 की तैयारियों पर स्वत: संज्ञान लिए गए एक मामले में हस्तक्षेप करने और अपने सुझाव देने की अनुमति दी. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 16, 2021, 8:37 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा, 'हजारों फूल खिलने दें और किसी भी स्रोत से ज्ञान को आने दें.' इस टिप्पणी के साथ ही कि न्यायालय ने एक राजनीतिक दल को कोविड​​​​-19 की तैयारियों पर स्वत: संज्ञान लिए गए एक मामले में हस्तक्षेप करने और अपने सुझाव देने की अनुमति दी.

हालांकि न्यायालय ने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. याचिका में अखिल भारतीय एक समान निशुल्क कोविड टीकाकरण नीति का निर्देश देने तथा वायरस के प्रभाव का पता लगाने और इसके प्रसार पर काबू के लिए उपाय सुझाव देने की खातिर विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने का अनुरोध किया गया था.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि यद्यपि जनहित याचिका कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान दायर की गई थी, 'आपका मकसद हमारे आदेशों के माध्यम से पूरा हो गया है. हम पहले ही कोविड तैयारियों पर स्वत: संज्ञान लिए गए मामले में आदेश पारित कर चुके हैं. आप उस मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं और अपने सुझाव दे सकते हैं. हजारों फूल खिलने दें, किसी भी संभव स्रोत से ज्ञान आने दें.'

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने हालांकि कहा कि विश्व राजनैतिक इतिहास में इस उद्धरण का एक अलग संदर्भ में इस्तेमाल किया गया था, लेकिन यहां इसका अलग संदर्भों में इस्तेमाल किया जा सकता है.

चीनी नेता माओत्से तुंग ने 1957 में देश की राजनीतिक व्यवस्था के संबंध में बुद्धिजीवियों के विभिन्न विचारों को आमंत्रित करने के लिए पहली बार इस उद्धरण का इस्तेमाल किया था.

पढ़ें :- स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर ने कोविड से मृत्यु के दस्तावेज के लिए दिशानिर्देश जारी किये: केंद्र

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने एसडीपीआई की ओर से पेश अधिवक्ता ए सेल्विन राजा से कहा, 'आप आ सकते हैं और उस (स्वत: संज्ञान) मामले में अपने सुझाव दे सकते हैं. हम आपके हस्तक्षेप की अनुमति देंगे. आपका स्वागत है.'

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिका 10 मई को दायर की गई थी और कोविड तैयारियों पर स्वत: संज्ञान लिए गए मामले में पारित कई आदेशों द्वारा चिंताओं पर गौर किया गया है.

पीठ ने कहा कि अधिकतम लोगों को दायरे में लाने के लिए देश की टीकाकरण नीति में संशोधन किया गया है. अदालत के आदेश पर देश भर के प्रमुख डॉक्टरों, विषाणु विज्ञानियों और महामारी विज्ञानियों का एक राष्ट्रीय कार्यबल भी गठित किया गया है.

न्यायालय ने याचिका का निपटारा करते हुए राजा से कहा कि अदालत द्वारा गठित राष्ट्रीय कार्य बल में देश भर के डॉक्टर हैं और वे अपने विषय के विशेषज्ञ हैं तथा केंद्रीय कैबिनेट सचिव इसके संयोजक हैं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा, 'हजारों फूल खिलने दें और किसी भी स्रोत से ज्ञान को आने दें.' इस टिप्पणी के साथ ही कि न्यायालय ने एक राजनीतिक दल को कोविड​​​​-19 की तैयारियों पर स्वत: संज्ञान लिए गए एक मामले में हस्तक्षेप करने और अपने सुझाव देने की अनुमति दी.

हालांकि न्यायालय ने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. याचिका में अखिल भारतीय एक समान निशुल्क कोविड टीकाकरण नीति का निर्देश देने तथा वायरस के प्रभाव का पता लगाने और इसके प्रसार पर काबू के लिए उपाय सुझाव देने की खातिर विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने का अनुरोध किया गया था.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि यद्यपि जनहित याचिका कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान दायर की गई थी, 'आपका मकसद हमारे आदेशों के माध्यम से पूरा हो गया है. हम पहले ही कोविड तैयारियों पर स्वत: संज्ञान लिए गए मामले में आदेश पारित कर चुके हैं. आप उस मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं और अपने सुझाव दे सकते हैं. हजारों फूल खिलने दें, किसी भी संभव स्रोत से ज्ञान आने दें.'

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने हालांकि कहा कि विश्व राजनैतिक इतिहास में इस उद्धरण का एक अलग संदर्भ में इस्तेमाल किया गया था, लेकिन यहां इसका अलग संदर्भों में इस्तेमाल किया जा सकता है.

चीनी नेता माओत्से तुंग ने 1957 में देश की राजनीतिक व्यवस्था के संबंध में बुद्धिजीवियों के विभिन्न विचारों को आमंत्रित करने के लिए पहली बार इस उद्धरण का इस्तेमाल किया था.

पढ़ें :- स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर ने कोविड से मृत्यु के दस्तावेज के लिए दिशानिर्देश जारी किये: केंद्र

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने एसडीपीआई की ओर से पेश अधिवक्ता ए सेल्विन राजा से कहा, 'आप आ सकते हैं और उस (स्वत: संज्ञान) मामले में अपने सुझाव दे सकते हैं. हम आपके हस्तक्षेप की अनुमति देंगे. आपका स्वागत है.'

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिका 10 मई को दायर की गई थी और कोविड तैयारियों पर स्वत: संज्ञान लिए गए मामले में पारित कई आदेशों द्वारा चिंताओं पर गौर किया गया है.

पीठ ने कहा कि अधिकतम लोगों को दायरे में लाने के लिए देश की टीकाकरण नीति में संशोधन किया गया है. अदालत के आदेश पर देश भर के प्रमुख डॉक्टरों, विषाणु विज्ञानियों और महामारी विज्ञानियों का एक राष्ट्रीय कार्यबल भी गठित किया गया है.

न्यायालय ने याचिका का निपटारा करते हुए राजा से कहा कि अदालत द्वारा गठित राष्ट्रीय कार्य बल में देश भर के डॉक्टर हैं और वे अपने विषय के विशेषज्ञ हैं तथा केंद्रीय कैबिनेट सचिव इसके संयोजक हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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