कोच्चि : केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का दशकों का राजनीतिक कौशल विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व वाले एलडीएफ को मिली शानदार जीत का एक प्रमुख कारण है. राज्य में करीब चार दशक से एलडीएफ और यूडीएफ एक-एक कार्यकाल के लिए सत्ता में आते थे. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी गठबंधन ने लगातार दो बार चुनाव जीता है.
केरल विधानसभा चुनाव के लिए मतदान छह अप्रैल को हुए थे. वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) की इस ऐतिहासिक जीत के लिए कई वजह जिम्मेदार हैं, जिनमें सरकार की ओर से मुफ्त में चावल बांटने, कोविड-19 का बेहतर प्रबंधन जैसी तमाम चीजें शामिल हैं.
![Left creates sets history in Kerala; Wins the second consecutive term](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/167352626_3925137320911402_8032696605536311572_n_0205newsroom_1619976432_1104.jpg)
कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरी और भाजपा की परंपरागत वाम विरोधी नीतियों ने भी एलडीएफ को आसानी से जीतने में मदद की. एलडीएफ ने 140 में से 99 सीटें जीती हैं. जबकि यूडीएफ को 41 सीटें मिली हैं.
वहीं, चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. भाजपा नीत एनडीए ने केरल में कम से कम 35 सीटें जीतने का दावा किया था, लेकिन रविवार को आए परिणामों में पार्टी का पूरी तरह से सूपड़ा साफ दिखा. यहां तक कि पार्टी के लोकप्रिय उम्मीदवार ई. श्रीधरन और पार्टी के राज्य प्रमुख के. सुरेन्द्रन भी जीत हासिल नहीं कर सके.
पिनराई विजयन के नेतृत्व में एलडीएफ ने 14 में से 11 जिलों में पूर्ण बहुमत हासिल किया. मालाबार क्षेत्र में, केरल के उत्तरी जिले कासरगोड, कन्नूर, कोझिकोड और पलक्कड़ और केरल के मध्य भाग से त्रिशूर, कोट्टायम, और इडुक्की में भी एलडीएफ ने जीत हासिल की.