गुवाहाटी : असम के प्रबुद्ध नागरिकों के एक समूह ने मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हस्तक्षेप करने का शुक्रवार को आग्रह किया और पड़ोसी राज्य में जारी हिंसा पर उनकी चुप्पी पर हैरानी जताई. उन्होंने मणिपुर के लोगों से संयम बरतने और किसी भी तरह की हिंसा में शामिल नहीं होने की भी अपील की. 'एक्सोम नागरिक समाज' ने एक बयान में कहा है, 'मणिपुर में भय, निराशा और अनिश्चितता का माहौल है. राज्य में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है.
बयान पर साहित्यकारों, शिक्षाविदों, पूर्व पुलिस अधिकारियों और नौकरशाहों, पत्रकारों, लेखकों और अधिवक्ताओं सहित 70 से अधिक नागरिकों के हस्ताक्षर हैं. उन्होंने सभी समुदायों से हिंसा छोड़ने की अपील की. बयान में कहा गया है, 'हमें समझना होगा कि आपसी हिंसा और नफरत से कोई फायदा नहीं होगा. यह केवल दोनों समुदायों के लोगों के लिए और अधिक दुख और पीड़ा का कारण बनेगी। हिंसा तुरंत रुकनी चाहिए.'
इसमें राज्य और केंद्र सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा गया, 'दोनों सरकारों को शांति का माहौल बहाल करने के लिए प्रयास करने होंगे.' मोदी की चुप्पी के संबंध में बयान में कहा गया है, 'हम इस बात से भी हैरान हैं कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर की स्थिति के बारे में अभी तक एक शब्द भी क्यों नहीं बोला है. उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए और राज्य में जल्द से जल्द शांति कायम करने में मदद करनी चाहिए.'
मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच एक महीने पहले भड़की हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन द्वारा तीन मई को आहूत आदिवासी एकता मार्च में हिंसा भड़क गई थी.
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(पीटीआई-भाषा)