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Chhattisgarh : साल 2023 में छत्तीसगढ़ में लाल आतंक ने मचाया कोहराम

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Published : Apr 20, 2023, 3:39 PM IST

Updated : Apr 26, 2023, 5:37 PM IST

छत्तीसगढ़ में साल 2023 में चुनाव होना है. नक्सलियों के निशाने पर सुरक्षाबलों के साथ साथ राजनेता भी है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि साल 2023 में अब तक कितने नक्सली हमले हुए हैं.

election year of Chhattisgarh
गर्मियों में ज्यादा सक्रिय रहते हैं नक्सली

रायपुर : छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में नक्सली हमले का खतरा मंडरता रहता है. राजनेता के साथ सात सुरक्षाबलों के जवान नक्सलियों के टारगेट पर रहते हैं. इस मामले में एक बात ज्यादा नोटिस की गई है कि नक्सली गर्मी के मौसम में ज्यादा नक्सली हमले करते हैं. ऐसा अंदेशा हमेशा से नक्सल एक्सपर्ट जताते आए हैं. नक्सल एक्सपर्ट मानते हैं कि गर्मी के मौसम में नक्सली ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं. जनप्रतिनिधियों के लिए भी लोगों से संवाद करना गर्मी में सही समय रहता है. हालांकि प्रदेश के गृहमंत्री का दावा है कि किसी भी नेता को डरने की जरूरत नहीं है. नक्सलियों से निपटने के लिए सरकार तैयार है.

विधायक के काफिले पर हमला : हाल ही में बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी के काफिले पर नक्सली हमले की घटना के बाद जनप्रतिनिधियों को अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही है. साल 2013 में छत्तीसगढ़ में चुनाव के दौरान बड़ा नक्सली हमला हो चुका है. 25 मई 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस के काफिले पर हमला कर तत्कालीन कांग्रेसी प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल सहित दो दर्जन से ज्यादा नेता कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी थी. इस दौरान जवान भी शहीद हुए थे. वहीं इस साल चुनाव से पहले ही चार बीजेपी नेताओं की हत्या नक्सली कर चुके हैं.

election year of Chhattisgarh
गर्मियों में ज्यादा सक्रिय रहते हैं नक्सली

इस साल अब तक हुई बड़ी घटनाएं:

• 11 फरवरी : दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने पूर्व सरपंच रामधर की गला रेतकर हत्या कर दी.
• 10 फरवरी : नारायणपुर के छोटे डोंगर में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष सागर साहू की गोली मारकर हत्या की गई.
• 5 फरवरी : बीजापुर जिले के आवापल्ली इलाके के एक गांव में मंडल अध्यक्ष नीलकंठ कक्केम को नक्सलियों ने मारा था.
• 16 जनवरी : कांकेर में भाजपा नेता बुधराम करटाम की संदिग्ध मौत हुई थी.उनका शव घर से कुछ दूर सड़क किनारे मिला था.

विधायक के काफिले पर नक्सली हमले को लेकर सियासी वार पलटवार: बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी के काफिले पर नक्सली हमले को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने भी नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है कि जब विधायक कोई कार्यक्रम बना रहे हैं तो रोड ओपनिंग पार्टी जानी चाहिए. सीएम भूपेश ने यह सवाल भी उठाया है कि ''कैंप से सीआरपीएफ जवानों को क्यों नहीं भेज रहे हैं.'' वहीं गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा है कि "जनप्रतिनिधियों को अपने दौरे की जानकारी देनी चाहिए. हम लोग सुरक्षा मुहैया कराने में कहीं भी पीछे नहीं है. लेकिन बार बार आग्रह करने के बाद भी जनप्रतिनिधि जानकारी नहीं दे हैं." वहीं बीजेपी ने बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी पर नक्सली हमले को लेकर सवाल उठाए हैं. पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने कहा है कि "विधायक हीरो बनने के लिए हमले की चाल चल रहे हैं." भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा है कि ''बीजापुर की घटना ने सरकार की पोल खोल दी है. वास्तविकता क्या है. इसकी जांच सरकार कराए.''

गर्मी में बढ़ जाते हैं नक्सली हमले : बीजापुर विधायक के काफिले पर नक्सली हमले को लेकर सियासत गरमाई हुई है. लेकिन नक्सल मामलों के जानकारों की मानें तो हर साल गर्मी में नक्सली हमले बढ़ जाते हैं. नक्सल एक्सपर्ट वर्णिका शर्मा कहती हैं ''गर्मी के मौसम में नक्सली ज्यादा हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं. इसकी वजह भी है. क्योंकि गर्मी के मौसम में जंगल झाड़ियां साफ रहती है. नक्सली जंगल में दूर तक नजर रख सकते हैं. इसके अलावा उन्हें मूवमेंट के लिए लंबा समय मिल जाता है. जिस वजह से गर्मी के मौसम में नक्सली अधिकतर बड़ी और हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं. वहीं जनप्रतिनिधि भी अपने क्षेत्रों में ज्यादा भ्रमण करते हैं. दूर-दूर तक लोगों से भेंट मुलाकात कर अपना जनसंपर्क बढ़ाते हैं. यही वजह है कि गर्मियों में नक्सली इन जनप्रतिनिधियों पर नजर रखते हैं. मौका मिलते ही उन पर हमला बोल देते हैं.''

यह भी पढ़ें- बीजापुर में विधायक विक्रम शाह मंडावी के काफिले पर नक्सली हमला, गृह मंत्री बोले अभी नक्सली हमले की जानकारी नहीं

गर्मियों में नक्सल हमले हुए कम: हालांकि बस्तर पुलिस का कहना है कि अब नक्सल घटनाओं पर काफी लगाम लग चुकी है. नक्सल ऑपरेशन डीआईजी सुंदरराज पी ने बताया कि ''नक्सलियों के खिलाफ मुहिम चल रही है. साल 2022 में कोई बड़ी घटना नहीं हुई है. साल 2023 में भी नक्सलियों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए कार्रवाई की जा रही है. साल 2023 में भी किसी बड़ी घटना को अंजाम देने का मौका नक्सलियों को नहीं दिया गया है. जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा को लेकर रोड ओपनिंग सहित अन्य सभी बंदोबस्त किए जाते हैं. जेड, जेड प्लस सहित अन्य कैटेगरी के जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनके कार्यक्रमों की व्यवस्था की जाती है. सुरक्षित तरीके से कार्यक्रमों को संपन्न कराने में सहयोग किया जाता है.''

रायपुर : छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में नक्सली हमले का खतरा मंडरता रहता है. राजनेता के साथ सात सुरक्षाबलों के जवान नक्सलियों के टारगेट पर रहते हैं. इस मामले में एक बात ज्यादा नोटिस की गई है कि नक्सली गर्मी के मौसम में ज्यादा नक्सली हमले करते हैं. ऐसा अंदेशा हमेशा से नक्सल एक्सपर्ट जताते आए हैं. नक्सल एक्सपर्ट मानते हैं कि गर्मी के मौसम में नक्सली ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं. जनप्रतिनिधियों के लिए भी लोगों से संवाद करना गर्मी में सही समय रहता है. हालांकि प्रदेश के गृहमंत्री का दावा है कि किसी भी नेता को डरने की जरूरत नहीं है. नक्सलियों से निपटने के लिए सरकार तैयार है.

विधायक के काफिले पर हमला : हाल ही में बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी के काफिले पर नक्सली हमले की घटना के बाद जनप्रतिनिधियों को अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही है. साल 2013 में छत्तीसगढ़ में चुनाव के दौरान बड़ा नक्सली हमला हो चुका है. 25 मई 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस के काफिले पर हमला कर तत्कालीन कांग्रेसी प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल सहित दो दर्जन से ज्यादा नेता कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी थी. इस दौरान जवान भी शहीद हुए थे. वहीं इस साल चुनाव से पहले ही चार बीजेपी नेताओं की हत्या नक्सली कर चुके हैं.

election year of Chhattisgarh
गर्मियों में ज्यादा सक्रिय रहते हैं नक्सली

इस साल अब तक हुई बड़ी घटनाएं:

• 11 फरवरी : दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने पूर्व सरपंच रामधर की गला रेतकर हत्या कर दी.
• 10 फरवरी : नारायणपुर के छोटे डोंगर में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष सागर साहू की गोली मारकर हत्या की गई.
• 5 फरवरी : बीजापुर जिले के आवापल्ली इलाके के एक गांव में मंडल अध्यक्ष नीलकंठ कक्केम को नक्सलियों ने मारा था.
• 16 जनवरी : कांकेर में भाजपा नेता बुधराम करटाम की संदिग्ध मौत हुई थी.उनका शव घर से कुछ दूर सड़क किनारे मिला था.

विधायक के काफिले पर नक्सली हमले को लेकर सियासी वार पलटवार: बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी के काफिले पर नक्सली हमले को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने भी नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है कि जब विधायक कोई कार्यक्रम बना रहे हैं तो रोड ओपनिंग पार्टी जानी चाहिए. सीएम भूपेश ने यह सवाल भी उठाया है कि ''कैंप से सीआरपीएफ जवानों को क्यों नहीं भेज रहे हैं.'' वहीं गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा है कि "जनप्रतिनिधियों को अपने दौरे की जानकारी देनी चाहिए. हम लोग सुरक्षा मुहैया कराने में कहीं भी पीछे नहीं है. लेकिन बार बार आग्रह करने के बाद भी जनप्रतिनिधि जानकारी नहीं दे हैं." वहीं बीजेपी ने बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी पर नक्सली हमले को लेकर सवाल उठाए हैं. पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने कहा है कि "विधायक हीरो बनने के लिए हमले की चाल चल रहे हैं." भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा है कि ''बीजापुर की घटना ने सरकार की पोल खोल दी है. वास्तविकता क्या है. इसकी जांच सरकार कराए.''

गर्मी में बढ़ जाते हैं नक्सली हमले : बीजापुर विधायक के काफिले पर नक्सली हमले को लेकर सियासत गरमाई हुई है. लेकिन नक्सल मामलों के जानकारों की मानें तो हर साल गर्मी में नक्सली हमले बढ़ जाते हैं. नक्सल एक्सपर्ट वर्णिका शर्मा कहती हैं ''गर्मी के मौसम में नक्सली ज्यादा हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं. इसकी वजह भी है. क्योंकि गर्मी के मौसम में जंगल झाड़ियां साफ रहती है. नक्सली जंगल में दूर तक नजर रख सकते हैं. इसके अलावा उन्हें मूवमेंट के लिए लंबा समय मिल जाता है. जिस वजह से गर्मी के मौसम में नक्सली अधिकतर बड़ी और हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं. वहीं जनप्रतिनिधि भी अपने क्षेत्रों में ज्यादा भ्रमण करते हैं. दूर-दूर तक लोगों से भेंट मुलाकात कर अपना जनसंपर्क बढ़ाते हैं. यही वजह है कि गर्मियों में नक्सली इन जनप्रतिनिधियों पर नजर रखते हैं. मौका मिलते ही उन पर हमला बोल देते हैं.''

यह भी पढ़ें- बीजापुर में विधायक विक्रम शाह मंडावी के काफिले पर नक्सली हमला, गृह मंत्री बोले अभी नक्सली हमले की जानकारी नहीं

गर्मियों में नक्सल हमले हुए कम: हालांकि बस्तर पुलिस का कहना है कि अब नक्सल घटनाओं पर काफी लगाम लग चुकी है. नक्सल ऑपरेशन डीआईजी सुंदरराज पी ने बताया कि ''नक्सलियों के खिलाफ मुहिम चल रही है. साल 2022 में कोई बड़ी घटना नहीं हुई है. साल 2023 में भी नक्सलियों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए कार्रवाई की जा रही है. साल 2023 में भी किसी बड़ी घटना को अंजाम देने का मौका नक्सलियों को नहीं दिया गया है. जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा को लेकर रोड ओपनिंग सहित अन्य सभी बंदोबस्त किए जाते हैं. जेड, जेड प्लस सहित अन्य कैटेगरी के जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनके कार्यक्रमों की व्यवस्था की जाती है. सुरक्षित तरीके से कार्यक्रमों को संपन्न कराने में सहयोग किया जाता है.''

Last Updated : Apr 26, 2023, 5:37 PM IST
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