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वकील अदालत की कार्यवाही में बाधा नहीं डाल सकते : सुप्रीम कोर्ट - Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बार एसोसिएशन के हड़ताल या बहिष्कार को लेकर सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि वकीलों का सुनवाई के लिए अदालत आने से इनकार करना 'गैर-पेशेवर' और 'अशोभनीय' है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 12, 2021, 4:30 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि बार एसोसिएशन के हड़ताल या बहिष्कार के कारण वकीलों का सुनवाई के लिए अदालत आने से इनकार करना 'गैर-पेशेवर' और 'अशोभनीय' है क्योंकि वे अदालती कार्यवाही में बाधा नहीं डाल सकते और अपने मुव्वकिल के हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते.

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि एक वकील अदालत का अधिकारी होता है जिसे समाज में विशेष दर्जा प्राप्त होता है. न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना ने 27 सितंबर, 2021 को राजस्थान उच्च न्यायालय के वकीलों की हड़ताल के एक मामले की सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की.

पीठ ने कहा, '...बार एसोसिएशन और बार काउंसिल द्वारा आहूत हड़ताल या बहिष्कार के कारण अदालती कार्यवाही में शामिल होने से इनकार करना किसी भी वकील के लिए गैर-पेशेवर और अशोभनीय है. इतना ही नहीं वकील अदालत का एक अधिकारी होता है और समाज में उसे विशेष दर्जा प्राप्त होता है, वकीलों का दायित्व और कर्तव्य है कि वे अदालत की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने दें, उनका अपने मुव्वकिलों के प्रति कर्तव्य होता है और हड़ताल न्याय की प्रक्रिया में बाधक बनता है.'

न्यायालय से कहा, 'इसलिए वे अदालत की कार्यवाही को बाधित नहीं कर सकते और अपने मुव्वकिलों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते. इस अदालत (न्यायालय) द्वारा पहले दिए गए आदेशों और वकीलों की हड़ताल पर चिंता व्यक्त किये जाने के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ है.....'

शीर्ष अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा की दलील पर संज्ञान लिया कि बीसीआई ने जयपुर स्थित राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर दिया है.

'इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता'
वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि सिर्फ एक अदालत के बहिष्कार का आह्वान किया गया था. इसपर शीर्ष अदालत ने कहा कि इसे भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. पीठ ने कहा, 'सिर्फ एक अदालत का बहिष्कार न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा और जिस अदालत का बहिष्कार किया गया है उसके न्यायाधीश पर दबाव पड़ेगा और यह न्यायपालिका को नैतिक पतन की ओर ले जा सकता है.'

नोटिस जारी किया
पीठ ने राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव और पदाधिकारियों को नोटिस जारी करके पूछा है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए. इस मामले पर अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होनी है. न्यायालय ने चार अक्टूबर को अपने आदेश में रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि वह जयपुर स्थित राजस्थान उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से नोटिस तामील करे.

पढ़ें- SC ने चैरिटेबल ट्रस्ट से कहा, आश्रितों के टीकाकरण के लिए DM से करें संपर्क

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि बार एसोसिएशन के हड़ताल या बहिष्कार के कारण वकीलों का सुनवाई के लिए अदालत आने से इनकार करना 'गैर-पेशेवर' और 'अशोभनीय' है क्योंकि वे अदालती कार्यवाही में बाधा नहीं डाल सकते और अपने मुव्वकिल के हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते.

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि एक वकील अदालत का अधिकारी होता है जिसे समाज में विशेष दर्जा प्राप्त होता है. न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना ने 27 सितंबर, 2021 को राजस्थान उच्च न्यायालय के वकीलों की हड़ताल के एक मामले की सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की.

पीठ ने कहा, '...बार एसोसिएशन और बार काउंसिल द्वारा आहूत हड़ताल या बहिष्कार के कारण अदालती कार्यवाही में शामिल होने से इनकार करना किसी भी वकील के लिए गैर-पेशेवर और अशोभनीय है. इतना ही नहीं वकील अदालत का एक अधिकारी होता है और समाज में उसे विशेष दर्जा प्राप्त होता है, वकीलों का दायित्व और कर्तव्य है कि वे अदालत की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने दें, उनका अपने मुव्वकिलों के प्रति कर्तव्य होता है और हड़ताल न्याय की प्रक्रिया में बाधक बनता है.'

न्यायालय से कहा, 'इसलिए वे अदालत की कार्यवाही को बाधित नहीं कर सकते और अपने मुव्वकिलों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते. इस अदालत (न्यायालय) द्वारा पहले दिए गए आदेशों और वकीलों की हड़ताल पर चिंता व्यक्त किये जाने के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ है.....'

शीर्ष अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा की दलील पर संज्ञान लिया कि बीसीआई ने जयपुर स्थित राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर दिया है.

'इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता'
वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि सिर्फ एक अदालत के बहिष्कार का आह्वान किया गया था. इसपर शीर्ष अदालत ने कहा कि इसे भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. पीठ ने कहा, 'सिर्फ एक अदालत का बहिष्कार न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा और जिस अदालत का बहिष्कार किया गया है उसके न्यायाधीश पर दबाव पड़ेगा और यह न्यायपालिका को नैतिक पतन की ओर ले जा सकता है.'

नोटिस जारी किया
पीठ ने राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव और पदाधिकारियों को नोटिस जारी करके पूछा है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए. इस मामले पर अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होनी है. न्यायालय ने चार अक्टूबर को अपने आदेश में रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि वह जयपुर स्थित राजस्थान उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से नोटिस तामील करे.

पढ़ें- SC ने चैरिटेबल ट्रस्ट से कहा, आश्रितों के टीकाकरण के लिए DM से करें संपर्क

(पीटीआई-भाषा)

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