नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को राज्यपाल नियुक्त किये जाने पर सवाल खड़े करने को लेकर रविवार को प्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरा इकोसिस्टम एक बार फिर इस मुद्दे पर सक्रिय हो गया है. उन्होंने किसी का नाम लिये बिना कहा कि उन्हें समझना चाहिए कि अब वे भारत को व्यक्तिगत जागीर नहीं मान सकते.
उल्लेखनीय है कि सरकार ने वर्ष 2019 अयोध्या विवाद पर फैसला देने वाली पीठ में शामिल रहे उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर और चार भाजपा नेताओं सहित छह लोगों को राज्यपाल पद पर नियुक्त किया है तथा सात राज्यों के राज्यपालों का फेरबदल किया है. न्यायमूर्ति नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. कांग्रेस ने नजीर की नियुक्ति को लेकर सरकार पर निशाना साधा और इस कदम को न्यायपालिका की स्वतंतत्रा के लिए ‘बड़ा खतरा करार दिया . रिजिजू ने ट्विटर पर कहा कि भारत संवैधानिक प्रावधानों पर निर्देशित होगा.
बता दें कि पूर्व न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर कर्नाटक में दक्षिण कन्नड़ जिले के रहने वाले हैं. उनका जन्म 5 जनवरी, 1958 को हुआ था और उन्होंने 18 फरवरी, 1983 को एक वकील के रूप में नामांकन कराया था. उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस किया और 12 मई, 2003 को उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए. वह 4 जनवरी को सेवानिवृत्त हुए.
शीर्ष अदालत से विदाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस नजीर की सादगी का जिक्र करते हुए कहा था कि जज के पास 2019 तक पासपोर्ट भी नहीं था और कुछ हफ्ते पहले ही देश से बाहर पहली बार मॉस्को गए थे. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,'वह मूल रूप से सरल हैं. हाल तक उनकी एकमात्र आईडी ड्राइविंग लाइसेंस और जज आईडी थी. उनका पासपोर्ट 2019 में बनाया गया था और उन्होंने कहा कि उस पासपोर्ट पर पहली मुहर तब लगी थी जब उन्होंने कुछ हफ्ते पहले मास्को की यात्रा की थी.'
(एक्सट्रा इनपुट भाषा)